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Divyanshu Pathak
भरतपुर के महाराजा सूरजमल जाट को राजस्थान का "प्लेटो" कहा जाता हैं 25 दिसंबर उनके बलिदान का दिन है । 😊💕💕🍫🍫🙏☕☕☕☕☕☕😊😊😊😊😊😊 : 12/25, 1:27 PM #Panchhi🐤: महाराजा सूरजमल या सूरज सिंह (फरवरी 1707 – 25 दिसम्बर 1763) राजस्थान के भरतपुर के हिन्दू जाट
Gauhar Ayub Etawi
16 दिसम्बर दिन-शुक्रवार रात-8 बजे नुमाइश पंडाल इटावा ©Gauhar Ayub Etawi 16 दिसम्बर दिन- शुक्रवार रात-8 बजे नुमाइश पंडाल इटावा
Gauhar Ayub Etawi
चलो अब हट कर कुछ अलग करते है। दो बिछड़े हुए दिलों की बात करते है। आग उधर भी है इधर भी है । ये तनहाई की रात इधर भी है उधर भी है क्या है दिल मे, उनके दिल की बात करते है। चलो आज ये नगमा आपके नाम करते हैं। ©Gauhar Ayub Etawi इटावा महोत्सव मे अपने साथियों शायरों के साथ ये शाम बज़्म के नाम।
Gauhar Ayub Etawi
मुझको छोड़ कर तुम कहां जाओगे। तुम जहां जाओगे तुम मुझे पाओगे। दर्दे दिल खोलकर सबको बांट दू अगर तो मेहफिल तुम खुद व खुद रूसबा हो जाओगे।। गलग मत समझना जो तुझे में रूसबा करूं। ऐसा करने से पहले तुम मुझे मरा पाओगे। मुझको छोड़ कर तुम कहां जाओगे। तुम जहां जाओगे तुम मुझे पाओगे। ©Gauhar Ayub Etawi इटावा महोत्सव
illiterate Indian(अनपढ़)
प्रश्न यह है कि कम उम्र में हृदयाघात आना यह हम सभी समाज के लोगों के लिए सोचनीय है आखिर हम क्या खा रहे हैं कैसे जी रहे हैं क्या हम वास्तव में मानसिक गुलाम है पढ़ लिख कर भी हम नपुंसक बन चुके हैं। सही और गलत में अंतर ना कर पाने के अर्थ में ज़हरीले रासायनिक वातावरण (घर,कार्यालय) में रहना हमारी नियति बन चुका है जहरीला खाना हमारी मजबूरी बन चुका है। जो देश आयुर्वेद का जन्म दाता हो जो दुनिया भर के मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए कामना करता हूं सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया वह देश इन भयंकर बीमारियों के कालचक्र में फंस चुका है आखिर क्यों इसके लिए कौन जिम्मेदार है। जिस देश में खाने पीने को लेकर इतना अधिक अध्ययन और विवेचना की गई हो उस देश की यह स्थिति कि करोड़ों करोड़ों लोग बीमारियों से मर रहे हैं और आधुनिक व्यवस्था लाचार खड़ी देख रही है जीवनशैली और खानपान के बदलाव से जो दिक्कतें आ रही हैं उसके प्रति कोई भी संस्था कोई भी राजनीतिक दल कोई भी सरकार ध्यान देने के लिए तैयार नहीं यह दुखद है और सोचनीय भी। इसलिए जरूरी यह है कि हम कम पढ़े लिखे लोग अपने भारतीय वेशभूषा खानपान रहन-सहन को आगे बढ़ाएं और इस वैश्विक दोष से मुक्ति पाएं हम किस प्रकार के दलदल में फंसे हुए हैं सब जानकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं खुद से ही संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं यही दर्शाता है कि हम वैश्वीकरण पश्चिमीकरण और स्वार्थी करण में फस कर अपने इस भारत देश का मौलिक स्वरूप संस्कृति को ही भूलते जा रहे हैं छोड़ते जा रहे हैं। अनपढ भारतीय इटावा उत्तर प्रदेश ©अनपढ illiterate Indian अनपढ भारतीय इटावा उत्तर प्रदेश #findyourself