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Tekchand ' संस्कारी '
मन के भीतर मन चला मन की करने सैर... मन का मन से हो गया मन में ही इक बैर... ©Tekchand ' संस्कारी ' बात मन की मन ही जाने... #मन #S #a #b #L♥️ve #Dard #SAD #viral #कुछअनकहा #Tek
Neena Jha
मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो आज नहीं कल नहीं अभी कि अभी कहो मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो उससे नहीं मुझसे नहीं किसी से तो कहो। बात हो शिक्षा की या हो भिक्षा की कैसे तितिक्षा मिली जन-जन को बतलाओ। हो कोई भी कष्ट या हो कोई भ्रष्ट कैसे करें सब स्पष्ट, सब को समझओ। न भ्रष्ट सहो न कष्ट सहो बस! मन की बात सुनो! मेरी नहीं उसकी नहीं अरे! मन की तो सुनो। ऐसी बातें बोलो जिससे मन हो साफ़ जो भी सुने तुमको खिलती हो मुस्कान। जैसी भी हो मुश्किल खुलकर भेंट करो पहाड़ हिमालय सा या हो अमृत उद्यान। हँसते रहो, मुस्काते रहो खुशियाँ पिरोते रहो आज नहीं कल नहीं अभी कि अभी कहो। तकनीकी में आगे तत्परता से रहें हो आपदा कैसी भी स्व-आत्म अडिग रहे। जैसा भेष हो वैसी ही भाषा चुनो जैसा देश हो वैसी ही प्रगति बुनो। है अपना देश महान कैसे! तुम ये बतलाओ। मुझसे नहीं खुद से नहीं जन - गण से कहो। मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो देश ध्वज को ऊँचा रखो, स्व - सम्मत रहो। मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो मुझसे नहीं इससे नहीं किसी से तो कहो। ©Neena Jha #HeartBook जय माँ शारदे 🙏 विषय... मन की बात मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो आज नहीं कल नहीं अभी कि अभी कहो मन की बात, मन की बात, मन की
#HeartBook जय माँ शारदे 🙏 विषय... मन की बात मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो आज नहीं कल नहीं अभी कि अभी कहो मन की बात, मन की बात, मन की #विचार #स्वतंत्रता_दिवस #जय_श्री_नारायण #neverendingoverthinking #नीना_झा
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
White दो उंगलियों को मिलाकर दिल बना दिया तुमने प्यार के पंखों को फिर से फैला दिया तुमने बड़ी शरार हो तुम कह दी बात मन की हम सोचते रहे के केसे तेरे करीब आय गुमनाम शायर poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #love_shayari दो उंगलियों को मिलाकर दिल बना दिया तुमने प्यार के पंखों को फिर से फैला दिया तुमने बड़ी शरार हो तुम कह दी बात मन की हम सोचते
#love_shayari दो उंगलियों को मिलाकर दिल बना दिया तुमने प्यार के पंखों को फिर से फैला दिया तुमने बड़ी शरार हो तुम कह दी बात मन की हम सोचते #शायरी
read moreyogesh atmaram ambawale
एक नज़ाकत हैं, उनके लिखी रचनाओं के शब्दों में| पढ़ते हैं तो लगे,बात मन की लिखी, जैसे वो भी शामिल हैं,अपने किस्सों में| सुप्रभात। प्रस्तुत है, Rest Zone द्वारा प्रेषित यह सुंदर #collab #नज़ाकत #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #नज़ाकत #yqdidi
सुप्रभात। प्रस्तुत है, Rest Zone द्वारा प्रेषित यह सुंदर #Collab #नज़ाकत #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #नज़ाकत #yqdidi
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्ड़लिया छन्द होता क्या बंगाल में , किसे नही मालूम । फिर भी देख किसान ये , पूँजे धरती चूम ।। पूँजे धरती चूम , दर्द जीवन का सहता । मुँख पाये मत खोल , बात मन की क्या कहता ।। बैठा छिपकर देख , आज भी रहता रोता । क्या खोलूँ मैं राज , वहाँ क्या-क्या है होता ।। घर में तुम करना नहीं , देखो कभी कलेष । मजा उडाते लोग हैं , सदा लडाके मेष । सदा लडाके मेष , शीश उनके है फोड़े । पाते ही पद चाप , राह जीवन की मोड़े ।। कहे प्रखर ये बात , रहो तुम इनसे डर कर । कर लो उचित मिलाप , बुलाकर तुम इनको घर ।। २०/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्ड़लिया छन्द होता क्या बंगाल में , किसे नही मालूम । फिर भी देख किसान ये , पूँजे धरती चूम ।। पूँजे धरती चूम , दर्द जीवन का सहता । मुँख पाय
कुण्ड़लिया छन्द होता क्या बंगाल में , किसे नही मालूम । फिर भी देख किसान ये , पूँजे धरती चूम ।। पूँजे धरती चूम , दर्द जीवन का सहता । मुँख पाय #कविता
read morePk Pankaj
कौन है वो तुम्हारी उद्देश्यहीन भटकता फिर रहा था यूं ही तुझसे मिलने पहुंच गया था तू ना आई,पर जो आई वो उस दिन का उद्देश्य दे गई ज्यों ही उसने पूछा कौन है वह तुम्हारी ? कौन है वो तुम्हारी ? कुछ रिश्ता नहीं अपना फिर भी अपना सा लगता है तेरे बारे में बोले गलत कोई तो खून मेरा भी खौलता है दिखाता नहीं पर तू आए
कौन है वो तुम्हारी ? कुछ रिश्ता नहीं अपना फिर भी अपना सा लगता है तेरे बारे में बोले गलत कोई तो खून मेरा भी खौलता है दिखाता नहीं पर तू आए #yqdidi #yqhindi #pk_pankaj
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
धुन :- स्वप्न झरे फूल से दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये । पीर मन के आज सब , पराग में ही ढ़ल गये । आज बात-बात में , बात मन की कह गये । हम ख़फ़ा नही हुए , हम जुदा भी हो गये । तीर से चुभे हृदय वो , जो जुबाँ से कह गये आज उनके दिल से हम , इस तरह उतर गये दिन सभी बदल गये ,कष्ट भी निखर गये ... आज सुन के बात वो , पाँव न जमीं रहे जो ज़िन्दगी मेरी रहे , वो ज़िन्दगी में न रहे लगा-लगा शज़र यहाँ , बाग हम बना रहे धूप आते ही सभी , छाँव लेके उड़ गये दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये ... भोर की लालिमा में , आँख सुर्ख थी मेरी प्रीत के बहाव में, ज़िन्दगी निकल गई नूर ही नूर था , चाँदनी जवान थी । हम मगन जरा हुए , और फिर फिसल गये दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये .... ख़्व़ाब से लगी मुझे , ज़िन्दगी मेरी यहाँ सोचकर हैरान हूँ , क्या खुशी मिली यहाँ वक्त से भी तेज वो , आगे-आगे बढ़ गये अभी तक तो रात थी , दिन कैसे निकल गये दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये पीर मन के आज सब , पराग में ही ढ़ल गये ।। २१/१२/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR धुन :- स्वप्न झरे फूल से दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये । पीर मन के आज सब , पराग में ही ढ़ल गये । आज बात-बात में , बात मन की कह गये
धुन :- स्वप्न झरे फूल से दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये । पीर मन के आज सब , पराग में ही ढ़ल गये । आज बात-बात में , बात मन की कह गये #कविता
read moreGhumnam Gautam
झूठी कामयाबी का ढोल """"""""" ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है ज़िंदगी मजदूरों की क्यों मौत का मंज़र हुई है ढोल झूठी कामयाबी का बजाना बाद में तुम तुम कहो क्यों लोग अपने घर को पैदल ही चले थे क्या तुम्हारे दावे सारे सच नहीं थे चुटकुले थे तुम बताओ ज़िंदगी क्यों मौत से बद्तर हुई है ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है ढोल झूठी कामयाबी का बजाना बाद में तुम चुगलियाँ करतीं रहेंगी रोटियाँ पटरी पे हैं जो पूछेंगी पापा कहाँ हैं बेटियाँ गोदी में हैं जो जो थी सधवा पल में विधवा माँग को धोकर हुई है ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है जो नया जुमला गढ़ा है वो सुनाना बाद में तुम गोद में बच्चा पड़ा है,बीवी रोती जा रही है जो चले थे घर को उनकी लाश घर पर आ रही है जड़ व्यवस्था पहले से थी,अब तो यह जर्जर हुई है ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है सीना छप्पन-इंच का अपना फुलाना बाद में तुम क्या कहोगे उस नज़र को बाट जोहे जो खड़ी है क्या कहोगे माँ से बोलो खाट से जो गिर पड़ी है तुमने की नोटों की बारिश पर कहो किसपर हुई है ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है बात मन की दम्भ से भरकर सुनाना बाद में तुम ढोल झूठी कामयाबी का.... ©गुमनाम गौतम झूठी कामयाबी का ढोल """"""""" ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है ज़िंदगी मजदूरों की क्यों मौत का मंज़र हुई है ढोल झूठी कामयाबी का बजाना
झूठी कामयाबी का ढोल """"""""" ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है ज़िंदगी मजदूरों की क्यों मौत का मंज़र हुई है ढोल झूठी कामयाबी का बजाना #रोटी #मन_की_बात #विचार #ghumnamgautam
read moreTaran Kohli
इतना कठोर ऐसे ही नही हुआ, बङे पत्थर मारे है इस जमाने ने। ©Taran Kohli @मन की बात
@मन की बात #मोटिवेशनल
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