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Stories related to बात मन की बात

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Tekchand ' संस्कारी '

बात मन की मन ही जाने... #मन #S #a #b L♥️ve #Dard #SAD #viral #कुछअनकहा #Tek #लव

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Neena Jha

#HeartBook जय माँ शारदे 🙏 विषय... मन की बात मन की बात, मन की बात, मन की बात कहो आज नहीं कल नहीं अभी कि अभी कहो मन की बात, मन की बात, मन की #विचार #स्वतंत्रता_दिवस #जय_श्री_नारायण #neverendingoverthinking #नीना_झा

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Poet Kuldeep Singh Ruhela

#love_shayari दो उंगलियों को मिलाकर दिल बना दिया तुमने प्यार के पंखों को फिर से फैला दिया तुमने बड़ी शरार हो तुम कह दी बात मन की हम सोचते #शायरी

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yogesh atmaram ambawale

सुप्रभात। प्रस्तुत है, Rest Zone द्वारा प्रेषित यह सुंदर #Collab #नज़ाकत #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #नज़ाकत #yqdidi

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एक नज़ाकत हैं,
उनके लिखी रचनाओं के शब्दों में|
पढ़ते हैं तो लगे,बात मन की लिखी,
जैसे वो भी शामिल हैं,अपने किस्सों में| सुप्रभात।
प्रस्तुत है, Rest Zone द्वारा प्रेषित यह सुंदर #collab #नज़ाकत  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#नज़ाकत #yqdidi

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्ड़लिया छन्द होता क्या बंगाल में , किसे नही मालूम । फिर भी देख किसान ये , पूँजे धरती चूम ।। पूँजे धरती चूम , दर्द जीवन का सहता । मुँख पाय #कविता

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कुण्ड़लिया छन्द

होता क्या बंगाल में , किसे नही मालूम ।
फिर भी देख किसान ये , पूँजे धरती चूम ।।
पूँजे धरती चूम , दर्द जीवन का सहता ।
मुँख पाये मत खोल , बात मन की क्या कहता ।।
बैठा छिपकर देख , आज भी रहता रोता ।
क्या खोलूँ मैं राज , वहाँ क्या-क्या है होता ।।

घर में तुम करना नहीं , देखो कभी कलेष ।
मजा उडाते लोग हैं  , सदा लडाके मेष ।
सदा लडाके मेष , शीश उनके है फोड़े ।
पाते ही पद चाप , राह जीवन की मोड़े ।।
कहे प्रखर ये बात , रहो तुम इनसे डर कर ।
कर लो उचित मिलाप , बुलाकर तुम इनको घर ।।

२०/०७/२०२३   -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्ड़लिया छन्द

होता क्या बंगाल में , किसे नही मालूम ।
फिर भी देख किसान ये , पूँजे धरती चूम ।।
पूँजे धरती चूम , दर्द जीवन का सहता ।
मुँख पाय

Pk Pankaj

कौन है वो तुम्हारी ? कुछ रिश्ता नहीं अपना फिर भी अपना सा लगता है तेरे बारे में बोले गलत कोई तो खून मेरा भी खौलता है दिखाता नहीं पर तू आए #yqdidi #yqhindi #pk_pankaj

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कौन है वो तुम्हारी 

उद्देश्यहीन भटकता फिर रहा था
यूं ही तुझसे मिलने पहुंच गया था
तू ना आई,पर जो आई
वो उस दिन का उद्देश्य दे गई
ज्यों ही उसने पूछा कौन है वह तुम्हारी ?

 कौन है वो तुम्हारी ?

कुछ रिश्ता नहीं अपना 
फिर भी अपना सा लगता है
तेरे बारे में बोले गलत कोई 
तो खून मेरा भी खौलता है
दिखाता नहीं पर तू आए

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

धुन :- स्वप्न झरे फूल से दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये । पीर मन के आज सब , पराग में ही ढ़ल गये । आज बात-बात में , बात मन की कह गये #कविता

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धुन :-    स्वप्न झरे फूल से
दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये ।
पीर मन के आज सब , पराग में ही ढ़ल गये ।

आज बात-बात में , बात मन की कह गये ।
हम ख़फ़ा नही हुए , हम जुदा भी हो गये ।
तीर से चुभे हृदय वो , जो जुबाँ से कह गये 
आज उनके दिल से हम , इस तरह उतर गये
दिन सभी बदल गये ,कष्ट भी निखर गये ...

आज सुन के बात वो , पाँव न जमीं रहे 
जो ज़िन्दगी मेरी रहे , वो ज़िन्दगी में न रहे 
लगा-लगा शज़र यहाँ , बाग हम बना रहे 
धूप आते ही सभी , छाँव लेके उड़ गये 
दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये ...

भोर की लालिमा में , आँख सुर्ख थी मेरी 
प्रीत के बहाव में, ज़िन्दगी निकल गई 
नूर ही नूर था , चाँदनी जवान थी ।
हम मगन जरा हुए , और फिर फिसल गये
दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये ....

ख़्व़ाब से लगी मुझे , ज़िन्दगी मेरी यहाँ 
सोचकर हैरान हूँ , क्या खुशी मिली यहाँ
वक्त से भी तेज वो , आगे-आगे बढ़ गये
अभी तक तो रात थी , दिन कैसे निकल गये 

दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये 
पीर मन के आज सब , पराग में ही ढ़ल गये ।।
२१/१२/२०२२      -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR धुन :-    स्वप्न झरे फूल से

दिन सभी बदल गये , कष्ट भी निखर गये ।
पीर मन के आज सब , पराग में ही ढ़ल गये ।

आज बात-बात में , बात मन की कह गये

Ghumnam Gautam

झूठी कामयाबी का ढोल """"""""" ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है ज़िंदगी मजदूरों की क्यों मौत का मंज़र हुई है ढोल झूठी कामयाबी का बजाना #रोटी #मन_की_बात #विचार #ghumnamgautam

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झूठी कामयाबी का ढोल
"""""""""
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
ज़िंदगी मजदूरों की क्यों मौत का मंज़र हुई है
ढोल झूठी कामयाबी का बजाना बाद में तुम

तुम कहो क्यों लोग अपने घर को पैदल ही चले थे
क्या तुम्हारे दावे सारे सच नहीं थे चुटकुले थे
तुम बताओ ज़िंदगी क्यों मौत से बद्तर हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
ढोल झूठी कामयाबी का बजाना बाद में तुम

चुगलियाँ करतीं रहेंगी रोटियाँ पटरी पे हैं जो
पूछेंगी पापा कहाँ हैं बेटियाँ गोदी में हैं जो
जो थी सधवा पल में विधवा माँग को धोकर हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
जो नया जुमला गढ़ा है वो सुनाना बाद में तुम

गोद में बच्चा पड़ा है,बीवी रोती जा रही है
जो चले थे घर को उनकी लाश घर पर आ रही है
जड़ व्यवस्था पहले से थी,अब तो यह  जर्जर हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
सीना छप्पन-इंच का अपना फुलाना बाद में तुम

क्या कहोगे उस नज़र को बाट जोहे जो खड़ी है
क्या कहोगे माँ से बोलो खाट से जो गिर पड़ी है
तुमने की नोटों की बारिश पर कहो किसपर  हुई है
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
बात मन की दम्भ से भरकर सुनाना बाद में तुम

ढोल झूठी कामयाबी का....

©गुमनाम गौतम झूठी कामयाबी का ढोल
"""""""""
ये बताओ काली पटरी लाल यूँ क्यूँकर हुई है
ज़िंदगी मजदूरों की क्यों मौत का मंज़र हुई है
ढोल झूठी कामयाबी का बजाना

Taran Kohli

@मन की बात #मोटिवेशनल

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M R Mehata(रानिसीगं )

मन की बात #ज़िन्दगी

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जय माता दी

©M R Mehata(रानिसीगं ) मन की बात
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