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Stories related to मुसीबतों का सामना कैसे करें

संजय जालिम " आज़मगढी"

# जीयु कैसे#

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White अफ़साना दिल का कहूँ कैसे
दीवाना दिल को रखू कैसे
माना मैं मुफ़्लिस् ,काफिर  हु ज़माने का
उनके सिवा "जालिम" उल्फ़त में जियु कैसे

©संजय जालिम " आज़मगढी" # जीयु कैसे#

dilkibaatwithamit

तेरे बग़ैर हम भला, इन‌ दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँ

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White तेरे बग़ैर हम भला, इन‌ दुआओं का क्या करें
ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें

गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी
चाँदनी रात औ इन चाँद सितारों का क्या करें

दिल कि,अब मरघटी विरानों में भटकता फिरे 
गुलशन से वास्ता क्या, गुलज़ारों का क्या करें

जब ग़म ही है नसीब अपना दर्द ही मोहतरम
मौसम ए खिजां है,सब्ज़ चनारों का क्या करें

सिमटा हुआ मकान,और दरकी हुई दीवारें हैं
बारिश से बचें कैसे, और शरारों का क्या करें

डूब जाने का इरादा कर लिया फिर डर कैसा
कश्ती की ज़रूरत नहीं पतवारों का क्या करें

हम कोई मुंसिफ तो नहीं फैसला कर दें कोई
दुनिया ही समझे ,इन गुनहगारों का क्या करें

©dilkibaatwithamit तेरे बग़ैर हम भला, इन‌ दुआओं का क्या करें
ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें

गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी
चाँदनी रात औ इन चाँ

Ghumnam Gautam

White हाँ, मुझे प्यार है और तुम से ही है
पर बताओ मैं इज़हार कैसे करूँ

©Ghumnam Gautam #कैसे 
#इज़हार 
#ghumnamgautam

Parasram Arora

कैसे तय हो?

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White ये बात कित्नी अजीब है 
कि सांसे मेरी धीमी 
और मंद होती जा रहीं 
जबकि मेरी  नब्ज़ ने 
फड़कना बन्द कर  दिया है 


अब ये कैसे तय हो 
कि मै कितनी 
देर या  कितने दिन और  
जीता रहूगा ?
और मानलो मरना ही पढ़ा 
तो मेरा अंतिम क्षण कौनसा होगा

©Parasram Arora  कैसे तय हो?

आचार्य योगेश शर्मा

जीवन में पहली बार भूतों से सामना

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मेरे जीवन की पहली भागवत कथा में भूतौ का  सामना 
उस समय मैं 21 बर्ष का था मै गया तो था गुरु जी से मिलने 
उसी समय पर वहां अशोक कुमार जी बरेली से आये हुये थे गुरूजी से आशीर्वाद लेकर मे गुरुजी के चरणों की सेवा कर  रहा था ।
उसी समय गुरूजी हमसे बोले तुम कथा कर लोगे हमने कहा गुरु जी कभी किये तो नही पर अध्ययन तो पूरा है पर कभी किया नहीं है 
फिर करो जी ने हमसे कहा अशोक कुमार जी की कथा आपको करनी है 
बड़ा आयोजन है कथा पंडाल में हो गई और और हमारा आशीर्वाद है तुम्हें 
जब गुरु जी ने हमें ऐसा कहा तो हमने सोचा कि गुरु जी का आशीर्वाद साथ है तो घबराने की काहे बात है हमने कोई तैयारी भी नहीं की थी उसे दिन के चार दिन बाद ही कथा प्रारंभ थी कथा स्थल पर हम पहुंचे दो ब्राह्मण भी हमारे साथ थे माला संध्या उपासना करने वाले जैसे ही हम बरेली पहुंचे अशोक कुमार जी हमें स्टेशन पर लेने आए अपनी निजी गाड़ी से हमें अपनी हवेली पर लेकर गए अशोक कुमार जी ने हमें हवेली की तीसरी मंजिल पर ठहराया अशोक कुमार जी के पिताजी वहां पर थे उनका नाम था लक्ष्मण प्रसाद लक्ष्मण प्रसाद जी ने हमसे पूछा कि आप कथा कर पाओगे यहां पर हमने कहा कथा करने ही तो आए हैं उन्होंने बताया यह कथा प्रेत बाधा के लिए कराई जा रही है इस हवेली में अनेक प्रकार की आत्माएं हमें परेशान करती है किसी ने बताया है श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से उनकी मुक्ति होगी लेकिन इस हवेली में एक रात से ज्यादा यहां पर कोई टिक नहीं पता तो आप कर सकोगे हमने कहा गुरु जी का आशीर्वाद है सब हो जाएगा तो शाम का 4:00 गया था हम अपनी संध्या उपासना करने के लिए बैठे कुछ समय तो बढ़िया बैठे रहे अपनी उपासना करते रहे थोड़ी देर बाद उसे कमरे में जिसमें हम बैठे थे ट्यूब लाइट जल रही थी एक ट्यूबलाइट चौक में जल रही थी फिर भी वहां पर कम से कम 11 है आत्माएं उपस्थित हुई और हमें परेशान करने लगी फिर हम डरने लगे लेकिन गुरुजी ने आशीर्वाद दिया था और अपने ध्यान में लग रहे कुछ देर बाद वह आत्माएं मिलकर के आक्रमण करना चाहती थी फिर हमारे पास जो जल रखा था उसे जल से हमने उनके ऊपर छींटे मारें फिर उनमें से एक आत्मा ने बात किया आवाज आई हम आपसे कुछ नहीं कहेंगे बस हम मुक्ति चाहते हैं फिर हमने कहा श्रीमद् भागवत की शरण में आओ और सप्ताह प्राण आप सुनो आपकी सद्गति होगी उसके बाद संध्या उपासना करके जब हम उठे तो हम पहुंचे जहां हमारे दो ब्राह्मण ठहरे  हुए थे उन्होंने कहा महाराज जी बड़े जल्दी आ गए तो हमने कहा जल्दी ही काम हो गया तो आ गए उन ब्राह्मणों को भी उन आत्माओं ने हमसे पहले डराया था वह तो वहां से भागने लगे फिर हमने उनको समझाया और कहा आप हमारे साथ रहो कुछ नहीं बिगड़ेगा फिर दूसरे दिन जब हम संध्या के लिए बैठे तो उन आत्माओं ने कहा कि हमारे मुक्ति के लिए इस हवेली के नीचे नीचे खाना है उसे तहखाना में हमको हमको युद्ध के समय बंधक बनाकर बंद कर दिया गया था तब से हम इसी हवेली में रहते हैं फिर अशोक कुमार जी हमारे लिए भोजन लेकर आए तो हमने उनको यह सब बताया उन्होंने कहा महाराज जी यह हवेली राजा महाराजाओं के समय की है और हमारे दादा ने इसे खरीदा था एक दिन हमारे पिताजी ने इस तहखाना को खुलवा दिया था तब से ही घर में हलचल मची हुई है फिर हमने अशोक कुमार जी को आश्वासन दिया और कहा कि आप कथा स्थल पर मंडप की व्यवस्था करो और कल से प्रोग्राम चालू करें सब ठीक होगा उसके बाद साथ दिवस कथा हुई गुरु जी की कृपा से आशीर्वाद से कथा मैं कोई रुकावट नहीं आई और जो प्रेत आत्माएं थी वह भी मुक्ति को प्राप्त हो गई जय श्री राधे

©आचार्य योगेश शर्मा जीवन में पहली बार भूतों से सामना

Bhupendra Rawat

मैं प्यार का इकरार कैसे करता मैं खुशी का इज़हार कैसे करता तूने छोड़ दिया था मुझे मंझधार मे तो, मैं तेरा इंतज़ार कैसे करता शायरी वीडियो खूबसू

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मैं प्यार का इकरार कैसे करता
मैं खुशी का इज़हार कैसे करता
तूने छोड़ दिया था मुझे मंझधार मे
तो, मैं तेरा इंतज़ार कैसे करता

©Bhupendra Rawat मैं प्यार का इकरार कैसे करता
मैं खुशी का इज़हार कैसे करता
तूने छोड़ दिया था मुझे मंझधार मे
तो, मैं तेरा इंतज़ार कैसे करता शायरी वीडियो खूबसू

Ghumnam Gautam

green-leaves 

आज का दिन बिताऊँ तो कैसे
कल की रैना उधार है मुझ पर!

एक वादा ख़िलाफ़ लड़की है
बाक़ी दुनिया निसार है मुझ पर

©Ghumnam Gautam #GreenLeaves #लड़की 
#ghumnamgautam 
#रैना #कैसे

चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

# कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024

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New Year 2024-25  कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
_______________________
हे दिसंबर ! कैसे कहूँ अलविदा --2024

जाते जाते  कितनों के आंँखें  कर गए नम
माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ, 
खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो गम

हे दिसंबर ! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा-- 2024

भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा
 ज़ख्म है कितना गहरा , बेखबर हो गए हो
तुम क्या जानो ! जाने कितनों की सांँसे थम गईं

हे दिसंबर ! कैसे कहूंँ  अलविदा -- 2024

कपकपाती काया के रूह से पूछो-
जाते जाते  कितने को दर्द दे गए
  सिलते सिलते जाने कितने की उंगलियांँ जम गईं 

हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा - 2024

(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश
३१/१२/२०२४ , ११:०८ पूर्वाह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024

Parasram Arora

कैसे पता लगे?

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Unsplash कैसे  पता लगे 
कि कौनसी बात
  न्याय संगत है 
और कौनसी बात व्यर्थ 

कागज़ी फूलों पर तुमने
कभी किसी  भवरे को 
बैठते हुए  देखा है क्या?

©Parasram Arora कैसे पता लगे?

KUMARI USHA AMBEDKAR

लोग महान कैसे होते हैं

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