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Shree

मेरी सुबह का खिला, इतराता, झूमता, खुशनुमा ख्याल-सा, सुसज्जित संज्ञान, ओ! आदित्य प्रकाश मेरे.. हां, तुम हो। बर्फ़-सी शीतल ब्यार की व्याकुल #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #a_journey_of_thoughts #euphonichymns #EHHindiPrompt612 #unboundeddesires #lovepoemsarebest

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मेरी सुबह का खिला, इतराता, झूमता, 
खुशनुमा ख्याल-सा, सुसज्जित संज्ञान, 
ओ! आदित्य प्रकाश मेरे.. हां, तुम हो।

बर्फ़-सी शीतल ब्यार की व्याकुलता, 
निषिद्ध प्रेम का अट्टहास लिए स्वतंत्र 
विचरन की दिशा, द्वार और वेग.. तुम हो।

उद्यानों में लदी, झूमती पुष्पलता
को थपकियां देते, चूमते बौराये भौंरे के 
हृदयावरण में संचित मधु अंश.. तुम हो।

ओ सुनो ना, किंचित राग अह्लादित
छेड़ती सागर तट पर टूटी सीपीयों
के अनुनय अनुराग गाती लहरें.. तुम हो।

मुंडेर पर चहचहाते पक्षियों के झुंड
की सुंदर क्रीड़ाओ, कलाओं में अव्वल
स्वच्छंद अविस्मरणीय उड़ान.. तुम हो। मेरी सुबह का खिला, इतराता, झूमता, 
खुशनुमा ख्याल-सा, सुसज्जित संज्ञान, 
ओ! आदित्य प्रकाश मेरे.. हां, तुम हो।

बर्फ़-सी शीतल ब्यार की व्याकुल

खामोशी और दस्तक

बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। #adventure #प्रेरक

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बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

©खामोशी और दस्तक बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।

kavi manish mann

बाधाएं आती हैं आएं घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पांवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों से हंसते-हंसते, आग लगाकर जलना ह #yqdidi #yqhindi #अटलबिहारीवाजपेयी #अटलविहारीवाजपेयी

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इस संकट की घड़ी में 
मुझे अटल बिहारी बाजपेई जी की 
एक कविता याद आ रही है।

कृपया कैप्शन में पढ़े🙏✍️✍️ बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
 
पांवों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
 
निज हाथों से हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना ह

Mr.Poet

बाधाएं आती हैं आएं घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पांवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों से हंसते-हंसते, आग लगाकर जलना ह #nojotophoto #विचार

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 बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
 
पांवों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
 
निज हाथों से हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना ह

Kaleem Ansari

में में न रह तेरे बाद में

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और कितना लिखू तेरी याद में
 कोई दम नहीं मेरी फरयाद में
 मेरी रूह भी छीन के ले गई मुझ से
 में में ना रहा तेरे बाद में में में न रह तेरे बाद में

डॉ वीणा कपूर "वेणु"...

लहरों में नहरों में गहरों में पहरों में अतृप्त प्यास #sagarkinare #कविता

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सागर की लहरों में,
मेरे गांव की नहरों में
सीमाओं के पहरों में,
उथले और गहरों में,
सब ओर तुम्हें खोजती,
मेरी मौन तलाश।
एक दिन तो तुम
मिल ही जाओगे
पूर्ण है विश्वास।
जल सम पारदर्शी
गगन सम समदर्शी
मेरी भोली आस
सागर के किनारे भी
अतृप्त है प्यास।।

©Veena Kapoor लहरों में
नहरों में
गहरों में
पहरों में
अतृप्त प्यास

#sagarkinare

( W.T) ग्रुप अनवर अनवर हु यार

रात में नींद में #विचार

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( prahlad Singh )( feeling writer)

#में, में हूं #Sunrise

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( मैं, मैं हूं
 मैं, तुम तो नहीं
 मैं, खुद का आइना हूं
में, ओरो में कहीं गुम तो नहीं )

©( cop prahlad Singh )( feeling writer) #में, में हूं

#Sunrise

Amit Kumar

मेले में अकेले में

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हर बार हम खों जाते है 
चक्रव्यूह के मेले में 
ढूंढ़ता कोई और है हमें 
साथी खुद अकेले में 

-अनभिज्ञ मेले में अकेले में

Safar Ka musafir

में होंश में हूं।।

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सितम कितने हुए उसका दुःख नहीं,
सितम किस - किस ने किए बस ये बात दर्द देती है। में होंश में हूं।।
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