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हिमांशु Kulshreshtha
गुज़रते हैं आज भी अपने शहर की गली – गली, कूचे – कूचे से ख़ुद की तलाश में पहचाना सा कोई चेहरा अब मिलता नहीं तुम जो निकली मेरी जिन्दगी से किसी और से कोई पहचान न रही ©हिमांशु Kulshreshtha आज भी..
आज भी.. #शायरी
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी वैश्वीकरण अब जी का जंजाल बन गया जगत सारा इससे कराहता है हर बस्तु कीमत के साये में है जो सन्तुलन जीवन का खा जाता है होड़ लगी है कमाने की स्वास्थ्य और उम्र अधीर हो जाता है पैमाना कुछ निश्चित नही बचा है धोखा देकर पहाड़ पैसो का बनाया जाता है उद्योग पति खाद्यान्न बेचने पर आ गये रिसर्च के काम सम्हाले नही जाते है छोटे छोटे व्यापार व्यापारियों के खा गये सरकार पर दबाब बनाकर महँगाई आसमान चढ़ाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #longdrive वैश्वीकरण अब जी का जंजाल बन गया,जग सारा इससे कराहता है #nojotohindi
#longdrive वैश्वीकरण अब जी का जंजाल बन गया,जग सारा इससे कराहता है #nojotohindi #कविता
read more- @Hardik Mahajan
मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,नहीं भी, हाँ कलनहीं हूँ.....।। मैं अग्नि भी, पथ भी, हाँ अग्निपथ हूँ.... मैं अग्नि भी, शमन भी, हाँ अग्निशमन हूँ..... मैं वायु भी,यान भी हाँ वायुयान हूँ.... मैं जल भी,कर भी, हाँ जलकर हूँ.... मैं अव भी, तरण भी, हाँ अवतरण हूँ.... मैं रस भी, पान भी, हाँ रसपान हूँ..... मैं यम भी, राज भी, हाँ यमराज हूँ..... मैं अंत भी,मृत्यु भी, हाँ अंतमृत्यु हूँ.... मैं मृत्यु भी, लोक भी, हाँ मृत्युलोक हूँ......।। ✍️✍️हार्दिक महाजन ©hardik Mahajan मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,न
मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,न #Poetry
read moreKiran Chaudhary
White दिल मेरा टूटा, आंसू भी सिर्फ मेरे आये, रात भर जागकर, मैंने न जाने कितनी तकिया भिगाये, लेकिन फिर भी इतना कहूंगी, इससे तुमको क्या 💔 ©Kiran Chaudhary इससे तुमको क्या 💔 #short_shyari
इससे तुमको क्या 💔 #short_shyari #शायरी
read moreRameshkumar Mehra Mehra
माॅडर्न भी दिखो मर्यादा भी....... बनी रहे......! श्रंगार भी हो जाए.....!! संस्कृति भी बनी रहे..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # माॅडर्न भी दिखो मर्यादा भी,बनी रहे,श्रृंगार भी हो जाए,संस्कृति भी बनी रहे.....
# माॅडर्न भी दिखो मर्यादा भी,बनी रहे,श्रृंगार भी हो जाए,संस्कृति भी बनी रहे..... #Quotes
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White कोई किसी का नहीं, सियासत इससे बड़ी क्या? जरूरत सब सब की वहीं, सियासत इससे बड़ी क्या? है सनक, वो तेरा दुश्मन, आस्तीन के भी कर दर्शन, सांप पाले हैं पिला - दूध,दूर कहां, जो कहीं, सियासत इससे बड़ी क्या? वक्त का देखो, है जलवा, आग बैरी फिर तल तलवा, तलती मौत पे और लौ - गयी हवा,गुम जहन -जहीं , सियासत इससे बड़ी क्या? ©BANDHETIYA OFFICIAL #सियासत इससे बड़ी क्या ?
#सियासत इससे बड़ी क्या ? #मोटिवेशनल
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 📜 भीमसेन का गान्धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा मॉंगना, युधिष्ठिर का अपना अपराध स्वीकार करना, गान्धारी के दृष्टिपात से युधिष्ठिर के पैरों के नखों का काला पड़ जाना, अर्जुन का भयभीत होकर श्रीकृष्ण के पीछे छिप जाना, पाण्डवों का अपनी माता से मिलना, द्रौपदी का विलाप, कुन्ती का आश्वासन तथा गान्धारी का उन दोनोंको धीरज बँधाना. 📜 वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं-जनमेजय ! गान्धारी की यह बात सुनकर भीमसेन नें डरे हुए की भॉंति विनय पूर्वक उनकी बात का उत्तर देते हुए कहा। माताजी ! यह अधर्म हो या धर्म मैंने दुर्योधन से डरकर अपने प्राण बचाने के लिये ही वहॉं ऐसा किया था अत: आप मेरे उस अपराध को क्षमा कर दें। 📜 आपके उस महाबली पुत्र को कोई भी धर्मानु कूल युद्ध करके मारने का साहस नहीं कर सकता था अत: मैंने विषमता पूर्ण बर्ताव किया। पहले उसने भी अधर्मसे ही राजा युघिष्ठिर को जीता था और हम लोगों के साथ सदा धोखा किया था, इसलिये मैंने भी उसके साथ विषम बर्ताव किया। कौरव सेना का एक मात्र बचा हुआ यह पराक्रमी वीर गदा युद्ध के द्वारा मुझे मारकर पुन: सारा राज्य हर न ले, 📜 इसी आशड्का़ से मैंने वह अयोग्य बर्ताव किया था। राजकुमारी द्रौपदी से, जो एक वस्त्र धारण किये रजस्वला अवस्था में थी, आपके पुत्र ने जो कुछ कहा था, वह सब आप जानती हैं। दुर्योधन का संहार किये बिना हम लोग निष्कण्टक प्रथ्वी का राज्य नहीं भोग सकते थे, इसलिये मैंने यह अयोग्य कार्य किया। 📜 आपक ेपुत्र ने तो हम सब लोगों का इससे भी बढ़कर अप्रिय किया था कि उसने भरी सभा में द्रौपदी को अपनी बॉंयी जॉंघ दिखायी। आपके उस दुराचारी पुत्र को तो हमें उसी समय मार डालना चाहिये था, परंतु धर्मराज की आज्ञा से हम लोग समय के बन्धन में बँधकर चुप रह गये। 📜 रानी ! आपके पुत्र ने उस महान् वैर की आग को और भी प्रज्वलित कर दिया और हमें वन में भेजकर सदा क्लेश पहुँचाया इसीलिये हमने उसके साथ ऐसा व्यवहार किया है। रणभूमि में दुर्योधन का वध करके हमलोग इस वैर से पार हो गये। राजा युधिष्ठिर को राज्य मिल गया और हम लोगों का क्रोध शान्त हो गया। 📜 गान्धार्युवाच गान्धारी बोलीं –तात ! तुम मेरे पुत्र की इतनी प्रशंसा कर रहे हो इसलिये यह उसका वध नहीं हुआ (वह अपने यशोमय शरीर से अमर है) और मेरे सामने तुम जो कुछ कह रहे हो, वह सारा अपराध दुर्योधनbने अवश्य किया है। भारत ! परंतु वृषसेन ने जब नकुल के घोड़ो को मारकर उसे रथहीन कर दिया था, 📜 उस समय तुमने युद्ध में दु:शासन -को मारकर जो उसका खून पी लिया, वह सत्पुरुषों द्वारा निन्दित और नीच पुरुषों द्वारा सेवित घोर क्रूरता पूर्ण कर्म है। वृकोदर ! तुमने वही क्रूर कार्य किया है, इसलिये तुम्हारे द्वारा सत्यन्त अयोग्य कर्म बन गया है। भीमसेन उवाच भीमसेन बोले—माताजी ! दूसरे का भी खून नहीं पीना चाहिये फिर अपना ही खून कोई कैसे पी सकता है ? 📜 जैसे अपना शरीर है, वैसे ही भाई का शरीर है।अपने में और भाई में कोई अन्तर नहीं है। मॉं ! आप शोक न करें। वह खून मेरे दॉंतो और ओठों को लॉंघकर आगे नहीं जा सका था। इस बात को सूर्य-पुत्र यमराज जानते हैं, कि केवल मेरे दोनों हाथ ही रक्त में सने हुए थे। 📜 युद्ध में वृषसेन के द्वारा नकुल के घोड़ो को मारा गया देख जो दु:शासन के सभी भाई हर्ष से उल्लसित हो उठे थे, उनके मनमें वैसा करके मैंने केवल त्रास उत्पन्न किया था। द्यतक्रीडा के समय जब द्रौपदी का केश खींचा गया, उस समय क्रोध में भरकर मैंने जो प्रतिज्ञा की थी, उसकी याद हमारे हृदय में बराबर बनी रहती थी। ©N S Yadav GoldMine #sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 📜 भीमसेन का गान्धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्
#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 📜 भीमसेन का गान्धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क् #कोट्स
read moreRishu singh
White अब उसके पास मेरे लिए वक्त कम होता कतराने लगा है मुझे फ़ोन करने से पता नही मैं ज्यादा सोच रही हु य वो इससे भी अधिक बदल चुका हैं हर रोज हमारी बहस होती है हर रोज नाराजगी होती है फिर भी कुछ ठीक नही हो रहा क्या अब मैं उसकी ज़िंदगी में वो खास इंसान नही हु जो कई वर्षो पहले हुआ करती थी ©Rishu singh #sad_quotes अब उसके पास मेरे लिए वक्त कम होता कतराने लगा है मुझे फ़ोन करने से पता नही मैं ज्यादा सोच रही हु य वो इससे भी अधिक बदल चुका हैं ह
#sad_quotes अब उसके पास मेरे लिए वक्त कम होता कतराने लगा है मुझे फ़ोन करने से पता नही मैं ज्यादा सोच रही हु य वो इससे भी अधिक बदल चुका हैं ह #शायरी
read moreVickram
Men walking on dark street मैं लिखता हूं खुद को खाली करने के लिए सबसे ज्यादा बोझ सिर्फ मन का होता है इस तरह से आजाद कर लेता हूं खुद को कि कोई बंधन मेरे जिस्म पर न रह जाए नयी सोच के लिए खाली जगह भी जरूरी है इतने ख्यालों को लेकर कहां घूमा जाए हजारों पन्ने लिख कर खुद ही पड़ता हुं मैं खुद से ही अपने सवालों का हल पाता हूं मैं इस तरह मिल लेता हूं मैं अक्सर खुद से ही ताकी किसी और से मिलने की ख्वाहिश न रह जाए ©Vickram #Emotional शौक भी है और दवा भी
#Emotional शौक भी है और दवा भी #शायरी
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