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Mo k sh K an
धूप चढ़ा कर तकली पर, तू कात नूर की ऊन रूह तेरी हो आफ़ताब, तू सलत में झुक कर धून पिरो ख़ुदी को आज ख़ुदा में, ख़ुदा ख़ुदी हो जाने दे अक़्स, आइना और रोशनी सब तुझ में खो जाने दे जुस्त रहे ना बाँकी कोई, ना ही कोई जुनून धूप चढ़ा कर तकली पर, तू कात नूर की ऊन कायनात हो नाज़िर,वो तुझमें ज़ाहिर हो जाए तेरी शिद्दत की मौजों में, दरया वो साहिर खो जाए इश्क़ भी तू हो ,आशिक भी तू, तू ही रहे सुकून धूप चढ़ा कर तकली पर, तू कात नूर की ऊन अलिफ़ भी तू हो, अन-हल-हक़, तू अपना आप रसूल इल्म बिखेरे, इश्क़ लुटाए, तेरा एक उसूल और ना कोई दैर ना दानिश, और ना कोई ज़ून धूप चढ़ा कर तकली पर, तू कात नूर की ऊन कात नूर की ऊन @ उदासियाँ ©Mo k sh K an ~कात नूर की ऊन #उदासियाँ_the_journey #Zen #Hope #prayer #sufi #mokshkan #analhq
Manjul mahoba
पीपल बरगद काट कैं,मनी प्लांट लगाएं। भीषण गर्मी अब परी,कात कहां मर जाएं। #कविता
read moreIrshad Ali Ishaque
ख़ुदाए अर्ज़! मैं #बेटी के ख़्वाब कात सकूँ तू मेरे खेत में इतनी कपास रहने दे..! 'शहज़ाद नीर'
ख़ुदाए अर्ज़! मैं #बेटी के ख़्वाब कात सकूँ तू मेरे खेत में इतनी कपास रहने दे..! 'शहज़ाद नीर'
read moreSukhdev Kumawat
प्यार को दो ही पल नसीब हुएइक मु���ाकात, इक जुदाई हैआइना पत्थरों से टकरायाये सजा सादगी की पाई हैमेरी इक सांस भी नहीं मेरीज़िन्दगी किस कदर परा
प्यार को दो ही पल नसीब हुएइक मु���ाकात, इक जुदाई हैआइना पत्थरों से टकरायाये सजा सादगी की पाई हैमेरी इक सांस भी नहीं मेरीज़िन्दगी किस कदर परा #nojotophoto
read moreKr. Mannu
रोज़ रोज़ तुम रूठो, रोज़ रोज़ मना लूँ.. राहत का शेर समझा है क्या ? होंठो से लगाऊं तो वाह..चुभ जाऊँ तो आह.. गुलाब का पेड़ समझा है क्या ? का #मन्नू
read moreRupam Jha
कतय हेरायल ढेंगा-पानी आ कतय चोरा-नुकी क खेल, कतय गेल ओ धप्पा-धुप्पी आ कतय हेरायल पोसम्पा क रेल, कबड्डीयो नै खेलै आब बच्चा,इ कोन कलजुग भेल, फोने म खेल ताकी लेलक ,छूटल नेना-भुटका क सँझुका मेल, कतय चली गेल माटिक चूल्हा परहक भोजन-भात, ओय भोज्य क वर्णन की करब,अहा!गजबे होय छल स्वाद, चिनबारक चूल्हा-चेकी बिला गेल,भेल गैस-सिलिंडरक साथ, विलुप्त भ गेल सबटा संस्कृति,उफ! कतेक नमहर छैक आधुनिकताक हाथ, डहि गेल सबटा खर क घर,बदैल गेल देहातक हालात, बड़का-बड़का इमारत बनि गेल,बढ़ि गेल सबहक आब बिसात, नै जैत अइछ आब कियो कलम-गाछी,नै रहल ओ पहुलका बात, बूढ़-पुराण सँ लय बच्चा-बुदरुक सब अपने मँ मग्न रहै छैथ,केने रहै छैथ सब क कात, कोनाक नेनाक हड्डी मजगूत हेतै,जँ नै वो अपन मैट पर लोड़ीयैत, नून-रोटी क जगह पिज़्ज़ा-बर्गर ल लेलकै,स्वास्थ्य पर होयत अछि वज्रनिपात, कंसारक चूड़ा-मुरही निपत्ता भेल,फास्ट-फूड लगौने अछि सब पर घात, खेती-पातीं चौपट भ गेल,बदैल गेल सबटा हालात, शहर बनेता गांव क सब मिल,नै जानी की छैन ग्रामीणक जज्बात, शहर बनबैक सपना त नहिये पुरतैन,धोता गाम सँ सेहो हाथ!! गामक वर्णन की करब गाम त होइते अछि अमूल्य(ओना प्रयास केने छी अयि स पहुलका पोस्ट म गांव क वर्णित करै क)मुदा आब बहुत तेजी सँ बहुत किछु बदैल रहल
गामक वर्णन की करब गाम त होइते अछि अमूल्य(ओना प्रयास केने छी अयि स पहुलका पोस्ट म गांव क वर्णित करै क)मुदा आब बहुत तेजी सँ बहुत किछु बदैल रहल #yqdidi #मैथिली #अनवरत #bestyqhindiquotes #नवरूप #yqmaithili #jhapost #मैथिलीकविता
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