Find the Latest Status about अनश्वर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, अनश्वर.
Anupama Jha
इस नश्वर संसार में अनश्वर प्रेम की बात करते हैँ, हम कैसी विरोधाभास भरी जिंदगी जीते हैं। #नश्वर#अनश्वर#प्रेम#विरोधाभास #YQdidi
Poetry with Avdhesh Kanojia
अनन्त जीवन जीवन एक यात्रा अंतहीन है कोई प्रसन्न तो कोई ग़मगीन है। आत्मा का जीवन अनश्वर है केवल शरीर ही तो नश्वर है।। ✍️अवधेश कनौजिया© अनन्त जीवन जीवन एक यात्रा अंतहीन है कोई प्रसन्न तो कोई ग़मगीन है। आत्मा का जीवन अनश्वर है केवल शरीर ही तो नश्वर है।। ✍️अवधेश कनौजिया©
Anupama Jha
मधुमास के मधुर गान सा , कोयल की मधुर तान सा। रवि सम नित उदयमान सा, दिवस के अवसान सा। #प्रेम मधुमास के मधुर गान सा , कोयल की मधुर तान सा। रवि सम नित उदयमान सा, दिवस के अवसान सा।
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
शून्य से बिन्दु तक..... माँ " *************** जब भी कोई अपनी बातों में 'माँ 'का जिक्र करता है तो मेरी आँखें बरबस "शून्य" में ताकने लगती हैं। कोई "अक्स " तो नहीं उभरता है लेकिन यादों का गुबार जरूर उभर आता है.... बैठी हुई मुद्रा में माँ, मुस्कराती हुई माँ, धूप सेंकती माँ, खाना पकाती माँ, बच्चों के इंतज़ार में- द्वार की ओट से झाँकती माँ, कितने ही अक्स उभरते हैं, और... और.... और........ फिर उभरते हैं.............. बिलखते बच्चों के रुदन अनसुने कर चिरनिद्रा में मग्न "माँ"..... नश्वरता छोड़, अनश्वरता में विलीन होती जाती "माँ"...... कितने ही "अक्स" उभरते हैं... और मैं...... "शून्य"से "बिन्दु" तक घुम आता हूँ। अंकुर 05/02/2021 ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) शून्य से बिन्दु तक..... *************** जब भी कोई अपनी बातों में 'माँ 'का जिक्र करता है तो मेरी आँखें बरबस "शून्य" में ताकने लगती हैं। को
CM Chaitanyaa
सृजन करना किसी वस्तु का आसान बात नहीं, जैसे कोई स्त्री नौ मास तक रखती है गर्भ में, शिशु को ठीक वैसे ही एक कलाकार भी तो, अपने मस्तिष्क रूपी गर्भ में सहेज रखता है, उन सभी विचारों को जो ही जन्म देते हैं फिर, कला रूप में एक शिशु को करते हैं पालन, सींचते हैं उन्हें उतने प्रेम से एक माँ की तरह, जैसे भक्ति देख न सकी थी ज्ञान वैराग्य बूढ़े, उसी तरह कलाकार भी तो नहीं देख सकता, अपनी कला को जीर्ण-शीर्ण और माँगता है, अनश्वर भीख क्योंकि वो माँ नहीं देख सकती, उस शिशु को बलि चढ़ते हुए ! सृजन करना किसी वस्तु का आसान बात नहीं, जैसे कोई स्त्री नौ मास तक रखती है गर्भ में, शिशु को ठीक वैसे ही एक कलाकार भी तो, अपने मस्तिष्क रूप
विष्णुप्रिया
सत्य क्या है...??? आज सुबह गूगल पर कुछ खोज रही थी, जो खोज रही थी वो तो प्राप्त नही हुआ पर एक अन्य ही विचार आ टकराया अचानक, विचार भी थोड़ा उल्टा लगता है....पर फि
Juhi Grover
आधुनिकता का नारा (अनुर्शीषक में पढ़ें) आज शहर शहर में चल रहा है आधुनिकता का नारा, आधुनिकता क्या है नहीं जानते । घसीट रहे हैं घिसे पिटे रीति रिवाज़ों को, चले आ
Purohit Nishant
!! जन्मदिन मुबारक !! ©Purohit Nishant कलम को समर्पित फनकारों की याद में... पद्मभूषण सुमित्रानंदन पंत जी हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक इस युग को