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Dr Jayanti Pandey
बांटने की राजनीति फिर से बाजार में आई है वो रहबर बने फिर रहे हैं,जो देश के सौदाई हैं कहते फिर रहे हैं ,उन्हें उनके हिस्से का हक मिले देश बंटा जिनकी शह पर,उन्हें यहां का सब मिले? श्रीमंत ! बहुत सह चुकी है धरती यह,अब और नहीं लाखों की हत्या का रक्त है तुमपर,भूलने का दौर नहीं नहीं पसंद यहां की संस्कृति, कहीं भी जा सकते हो सत्तावन देश हैं उम्मा में, देखो , शरण पा सकते हो! एहसान हमारी संस्कृति का है कि फल-फूल रहे हो इसमें पल कर, इसको ही तुम रातों दिन हूल रहे हो बांटा,काटा तलवारों से, नफ़रत का विष वमन किया तुम्हारी वहशी जीवनचर्या ने बाकी का दम घोंट दिया यह शिव राजे का देश है, यहां शिवराई ही आएगी बिके हुए गद्दार निजामों की एक नहीं चल पाएगी। देश हमारा समझ चुका है, ये खेल तुम्हारे गहरे हैं तुम्हारे ही व्यंजन तुम्हें चखाने के वादे पर हम भी ठहरे हैं। आदरणीय ओवैसी जी ने लखनऊ में एक तकरीर की कि उन्हें सियासत में उनका हिस्सा मिलना चाहिए।यह हिस्सा वो भारतीय होने के नाते नहीं, मुसलमान होने के
आशिष गंगाधरजी चोले
एक दिवस सुंदर अशी पहाट उगवली भल्या पहाटेच शिवनेरी ची तोफ गरजली वाऱ्याची झुळूक ही सह्याद्रिच्या कुशीत डोलावली गुलामीत स्वातंत्र्याची चाहूल पहाट घेऊन आली जिजाऊ पोटी शिवा जन्मला सांगत मुके पाखरेही किलबलली राजमाता जिजाऊ चा इवलासा अंश होता तो सिंहाचा छावा ज्यांनी शिकवले मावळ्यांना गनिमी कावा पुरून उरले मर्द मराठे असंख्य मुघलांना जेव्हा उफाळला मावळ्यांच्या रक्तातील लाव्हा मस्तकी जिरेटोप न हाती भवानी तलवार फडकविला भगवा झेंडा छातीवर शोषुन वार जिकून घेतले असाध्य असे दुर्ग अफाट सागरालाही केले बंदिस्त राजेंनी बांधून किल्ले सिंधुदुर्ग परस्त्री असते माते समान या विचाराने शत्रूराज्यांच्या स्त्रियांसही दर्जा स्वतःच्या आई-बहिणींचा देई जगातील एकमेव माझे राजे असे ज्यांच्या दरबारात नाचली नाही कधीच नर्तकी बाई पराक्रमी शिवाजी महाराष्ट्री अवतरला मूठभर मावळे घेऊन शत्रूंच्या तोफांसमोर तलवार घेऊनि एकटाच उभा ठाकला ना भूतो ना भविष्य एक राजा साऱ्या जगाचा छत्रपती शिवाजी महाराज जाहला ज्याला माज होता दिल्लीच्या तख्ताचा तोच पळाला जिवाच्या आकांताने पाहून वाघ भगव्या रक्ताचा अभिमान आम्हांस आमच्या राजेंचा रक्षणास ठायी राही सदा रयतेच्या रक्षणास ठायी राही सदा रयतेच्या लेखन:- आशिष गंगाधरजी चोले. राजे
Sumit Mgr
आपके बारे में जो अपशब्द सुनता हूं तो लगता हैं कि, आज आप नहीं हो यहीं ठीक हैं राजे जिस स्वराज्य में आपने औरतों बच्चों के लिए बहुत कुछ किया पर आज उसी स्वराज्य में कुछ गीदड़ उन पे हाथ उठाते हैं ये सब देखकर लगता हैं कि आज आप नहीं हो यहीं ठीक हैं राजे कहा आपके ओ तनाजी, बाजी, येसाजी और कहा आज के मावले उन्हें देखकर लगता हैं कि, आज आप नहीं हो यहीं ठीक हैं राजे मुजरा राजे