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Shashi Bhushan Mishra
उजाले से हृदय का अनुबंध कर ले, अपनी ख़ातिर ख़ुशी का प्रबंध कर ले, बीत जाए भटकने में ही न ये पल, तोड़ मन की बेड़ियाँ स्वछंद कर ले, बाहरी परिदृश्य छलते हैं हमेशा, देख ले दर्पण नयन को बंद कर ले, अंधेरा है हर जगह अज्ञानता का, जला दीपक ज्ञान का आनंद कर ले, विकल्पों से हो तुम्हारा सामना तो, सत्यपथ को ही प्रथम पसंद कर ले, अगर ख़तरा हो कभी सैलाब का तो, पास घर के ही कोई तटबंध कर ले, सीख ले चलना समय के साथ 'गुंजन', फूल से दामन भरो गुलकंद कर ले, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #ख़ुशी का प्रबंध कर ले#
Gyanu Sagar
मुकद्दर में हर चीज भगवान नहीं लिखता कभी-कभी हम इंसान भी लिखते हैं ©Gyanu Sagar मुकद्दर के लेखक
मुकद्दर के लेखक #शायरी
read moreItzz Rajatt
बातें, रात तमाम करो, आज ना बिछड़ने का कोई ऐसा एहतमाम करो। Ehtamam-प्रबंध, तमाम- सारी। #dilkibaatehai #yqbaba #yqdidi
Ehtamam-प्रबंध, तमाम- सारी। #dilkibaatehai #yqbaba #yqdidi
read moreAnindya Dey
.. आखरी सांस छोड़ी छूटी या रूकेगी जब, वो आह न हो इस जज़्बः को ज़रूरी ज़ब्त.. .. सोच लें यों सोच से ही हो मुनासिब सब, जो बहते गुज़रते सोच पे मुमकिन हो ज़ब्त.. ..🌱खुशामदीद ..💞 ज़ब्त माने, सहन, सहनशीलता, प्रबंध, क्रम।
..🌱खुशामदीद ..💞 ज़ब्त माने, सहन, सहनशीलता, प्रबंध, क्रम।
read moreRAKESH NAYAK
बहोत से गहरे लफ्ज़ कलम से पंनो तक तो ठीक पर वही लफ्ज़ पंनो से आपके आंखों तक मे ही कुछ अक्षर उन्हे बेजुबां कर देते है " लेखक के भाव " #writers #feelings #nojoto
Writer Abhishek Anand 96
जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा, ये कौन जानता है कौन किस जगह होगा। तू मेरे सामने बैठा है, और मैं सोचता हूँ की आते लम्हों में जीना भी इक सजा होगा। यही जगह जहाँ हम आज मिल के बैठे है। इसी जगह पे राम जाने कल को क्या होगा बिछड़ने वाले तुझे देख - देख सोचता हूँ तू फिर मिलेगा तो कितना बदल गया होगा हम अपने-अपने बखेड़ों में फस चुके होंगे यह चमकते हुए पल धुआँ होगा यह चमकता हुआ दिल बुझा - बुझा सा होगा लहू रुलाऐगा वो धूप छाँव का मंज़र की नजर उठेगा जिस दिन उस दिन हर तरफ अंधेरा होगा मिलने वाले ना जाने कल तेरा कहाँ ठिकाना होगा ना जाने कल मेरा कहाँ बसेरा होगा मिलने वाले इक दिन तू बहुत रुलाऐगा जब याद तुम्हारी अंतर्मन की गहराई को छु जाएगा ©wrïtêr ãbhïßhêk æñæñd #desert लेखक के लेखनी को सलाम ❣️
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी गुजर बसर करने की,कीमत चुका रहे है दाल रोटी में,दिल जला रहे है तड़प तड़प कर,सब्र की होली जला रहे है खेल जाता है हर सियासी हमारे जज्बातों से हमारे जीने में,महँगाई का पहाड़ खड़ा कर जाता है खजाने की दुहाई गरीबो के नाम मगर इम्तिहान सब्र का हम देते रहते है खुद करोड़ो अरबो का मालिक हो जाता है जले में नमक का प्रबन्ध,हर चुनाव कर जाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #bornfire जले में नमक का प्रबंध हर चुनाव कर जाता है
Mukesh Kumarhttps:/
जन्मदिन के खास लम्हें मुबारक, आंखों में बसे नए ख्वाब मुबारक , जिंदगी जो लेकर आई हैं आपके लिए आज... वो तमाम खुशियों की हसीं सौगात मुबारक ??? दोस्तों के लिए न्यू शायरीयरी #Dosti मुकेश कुमार लेखक
दोस्तों के लिए न्यू शायरीयरी #Dosti मुकेश कुमार लेखक
read moreHintsOfHeart.
अफ़साने झूठ कहते हैं चलो हम मान लेते हैं हाल-ए-दिल क़ातिब¹ मगर किरदार बोल देते हैं ; छुपाती हैं फ़ज़ायें, अश्क अपना रातों के अंधेरे में सुबह शबनम से भरे पत्ते ये राज़ खोल देते हैं। ©HintsOfHeart. #राज_छिपाए_नहीं_छिपते 1. लिखनेवाले या लेखक के दिल का हाल।
#राज_छिपाए_नहीं_छिपते 1. लिखनेवाले या लेखक के दिल का हाल। #Life
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