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Gaurav Christ
परवाज़ हाज़िर ........
Gaurav Christ
Mili Saha
// राणा अमर सिंह // जिनकी वीरता और साहस ने, अकबर तक को विचलित किया, उस वीर दयालु और राष्ट्र प्रेमी, राणा अमर सिंह की है यह कथा, बचपन से ही सुनते आ रहे थे जो, अपने पूर्वजों की गौरव गाथा, पौत्र महाराणा उदय सिंह के और महारानी अजबदे पंवार माता, शिशोदिया राजवंश मेवाड़ के शासक पिता वीर महाराणा प्रताप, पिता की भांति ही अमर सिंह में कूट-कूट कर था देशभक्ति भाव, न्याय भावना, नेतृत्व, वीरता, दयालुता और बहादुरी का सम्मान, मुगलों के समक्ष महाराणा अमर सिंह को मिला चक्र वीर उपनाम, महाराणा प्रताप सदैव समझते, अमर सिंह आलस से है ग्रसित, किन्तु उन्होंने साहस से, अपनी वीरता को कई बार किया सिद्ध, राष्ट्र से प्रेम था अमर सिंह को, पूर्वजों के इतिहास से था लगाव, शौर्य और प्रताप का संगम था वो, था उसमें देशभक्ति का भाव, संग्राम और प्रताप का वंशज फिरंगीयों के आगे कभी न झुका, अपनी रगों में बहते हुए लहू का, सदैव अमर सिंह ने मान रखा, मृत्यु से पूर्व महाराणा प्रताप ने उत्तराधिकारी था किया घोषित, मेवाड़ वंश परंपरा अनुसार, अमर सिंह हुए शासक स्वीकारित, न्याय प्रियता, कृपाशिलता गुण इनके, प्रजा करती थी आदर, राष्ट्र-हित के लिए अमर सिंह ने, निर्माण करवाया बढ़-चढ़कर, प्रतापेश्वर महादेव मंदिर, महाराणा प्रताप के नाम से बनवाया, सिसोदिया राजवंश का इतिहास, ग्रंथ अमरसार में लिखवाया, मुगलों से कभी न मानी थी हार, हर अनुबंध को पैरों तले रौंदा, राष्ट्रभक्ति दिल में लिए मर मिटा था वो अमर सिंह वीर योद्धा। ©Mili Saha राणा अमर सिंह जिनकी वीरता और साहस ने, अकबर तक को विचलित किया, उस वीर दयालु और राष्ट्र प्रेमी, राणा अमर सिंह की है यह कथा, बचपन से ही सुन
सम्राट देवेन्द्र कुमार कुशवाहा
ना हमें क्षत्रिय बनना है ना ही हमें शूद्र बनना है यह देखो कि हमें शासक कैसे बनना है जय सम्राट अशोक महान ©सम्राट देवेन्द्र कुमार कुशवाहा जय मौर्य वंश #जय_सम्राट_चंद्रगुप्त_मौर्य #जय_सम्राट_अशोक 💝💝💝💝💝💝
Gaurav Christ
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***** चोथा कारण***** समस्त अठारह अक्षौहिणी में 44 करोड़ के लगभग वीरों में एक को छोड़कर कोई ऐसा योद्धा नहीं था जिसने ह्रदय से ये चाहा हो कि मुझे भी श्री कृष्ण और अर्जुन के सवांद का एक भी शब्द भी सुनने को मिले केवल भीष्म पितामह ने ही इच्छा की थी परन्तु उस समय तो उनकी इच्छा पुरी नहीं हुई 29 दिसम्बर 2010 को उनकी श्री गीता जी पाठ सुनाकर और हृदय से स्पर्श कराकर इच्छा अवश्य पुर्ण हुईं थी। ,समस्त पृथ्वी वासियों भीष्म पितामह को इस जन्म में पिछले यादे जैसे मां गंगा जी याद और समस्त कौरवों का भार अपने सिर पर रखे रहना इस जन्म में उनकी चिंता का कारण बना हुआ था। आएं सुनाता कैसे - *** सो मन का लकड़ उसके ऊपर बैठा एक मकड़**** वह एक रति रोज खाएं तो उसको कितने दिन में खा जाएगा यह सवाल भीष्म पितामह की आत्मा जो इस जन्म में रतिराम (मामा) के शरीर रुप में आईं थीं और उनका मेरे से बारे बार -बार पुछने क्या कारण था । मेरे ह्रदय से सोचने समझने से इसका दो उत्तर हे- 1-भीष्म पितामाह के ऊपर 100 कोरवौ का मृत्यु का बार था । स्वयंबर में सबसे बड़े होने पर लाचार रहे कुछ नहीं कर सके। खुद भीष्म पितामह ने अन्त मरते समय कबूल भी किया । इसलिए उनकी आत्मा को यह सवाल बार-बार परेशान कर रहा था। 2- उस पाप को पचाने के लिए रति भर हर रोज खाकर ख़त्म करना पड़ेगा क्योंकि 100कोरवो का भार खुद पर उठाए हुए थे भीष्म पितामह जी। दावा कैसे सिद्ध हुआ कि भीष्म पितामह की आत्मा है मेरे मामा शरीर में। प्रमाण - रोटी खाते समय मां गंगा को याद करना और मेरे जन्म के समय से ही मुख से गंगा मां का नाम लेना शुरु किया। और मरते समय वचनों को याद दिलाया इस आत्मा और अपनी माता का जल पिलाकर वचन लिया आपके इच्छा मृत्यु का वरदान है जो वरदान भी अब जीवित हैं वो और आपका जन्म क्यु हुआ शरीर से उन अर्जुन के तीरों की याद । अन्तिम इच्छा के बारे पुछने पर मना करने दो दिन समय लेने पर । वे इस पृथ्वी पर से चले गये। अब कल्कि अवतार के जन्म काल में उनकी आत्मा उस वंश में पहचान मिलेगी हमें ऐसा विश्वास है प्रकृति से प्रेम से करेंगे वो इस कलयुग तब वह भारत कम नहीं हो जाता उनका पीपल और बड़ की छाया से वह रति भार भार नहीं खाएगी उनकी आत्मा । यह मेरी आत्मा का चौथा कारण है जन्म लेने का इस धरती पर। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #Ne #viral #treanding #Sachin SHAYAR ANHAR Advocate MD Aalmeen Khan Sujata jha vishwadeepak Anjali Maurya ***** चोथ
Jiyalal Meena ( Official )