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Richa Mishra

करता है प्रत्येक व्यक्ति परिश्रम ; विद्यार्थी शिक्षा क्षेत्र में , राजा प्रजा के सुख में , माता पिता बच्चों की खुशी में , परिश्रम सही दिशा म #परिश्रमभरी_ज़िन्दगी #परिश्रम_का_कोई_पर्याय_नही_है #परिश्रम_का_प्रतीक #परिश्रमजिंदगीका #परिश्रमएवंदृढ़संकल्प

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|| परिश्रम ||

यह शब्द कहने में 
लगता हैं ....
कुछ ही समय !
करके दिखाने में 
गुजर जाती है ;
पूरी ज़िन्दगी !
परिश्रम दिखाई दे 
सिद्ध किया जाता हैं ;
समाज द्वारा प्रतिष्ठित व्यक्ति !

( अनुशीर्षक में ) करता है प्रत्येक व्यक्ति परिश्रम ;
विद्यार्थी शिक्षा क्षेत्र में ,
राजा प्रजा के सुख में ,
माता पिता बच्चों की खुशी में ,
परिश्रम सही दिशा म

Richa Mishra

करता है प्रत्येक व्यक्ति परिश्रम ; विद्यार्थी शिक्षा क्षेत्र में , राजा प्रजा के सुख में , माता पिता बच्चों की खुशी में , परिश्रम सही दिशा म #परिश्रमभरी_ज़िन्दगी #परिश्रम_का_कोई_पर्याय_नही_है #परिश्रम_का_प्रतीक #परिश्रमजिंदगीका #परिश्रमएवंदृढ़संकल्प

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|| परिश्रम ||

यह शब्द कहने में 
लगता हैं ....
कुछ ही समय !
करके दिखाने में 
गुजर जाती है ;
पूरी ज़िन्दगी !
परिश्रम दिखाई दे 
सिद्ध किया जाता हैं ;
समाज द्वारा प्रतिष्ठित व्यक्ति !

( अनुशीर्षक में ) करता है प्रत्येक व्यक्ति परिश्रम ;
विद्यार्थी शिक्षा क्षेत्र में ,
राजा प्रजा के सुख में ,
माता पिता बच्चों की खुशी में ,
परिश्रम सही दिशा म

Maheshwar Kewat

Rahul Sontakke

शेतकरी परिश्रमाची भाकर (माझा बळीराजा )

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"जय किसान "
माझ्या महाराष्ट्राचा माझ्या देशाचा शेतकरी 
वर्गाचा प्रवास आटवडी बाजार, तेल मीट आणण्यासाटी 
वीस. तीस किलोचे धान्य घेऊन आपला संसार, प्रपंच चालवणारा 
माझा शेतकरी.. अंगात ठिगळ लावलेला सदरा फाटका शिवलेला धोतर, अथवा विजार, डोळ्या भोवती चन्द्र आकार सुरकुत्या पडलेलं विचाराने मग्न झालेला माझा शेतकरी त्याला ना सातवा आयोग, ना आटवडी सुटी, ना सण, पब्लिक हॉलिडे रोजचा दिवस सारखा संप करता येत नाही ना मोर्च्या, काम बंद करता येत नाही आंदोलन कोणाजवळ मांडायची माझ्या शेतकरीची  व्यथा 
रातीची लाईट आटो स्टार्ट मोटार लाहून उसाच्या सरीत एकादी डुलकी घेतो आणि जेव्हा पाणी पायाला लागतो लगेच जागी होहून रातभर दारं धरतो अंधार ना वारं, काटे भय, ऊन, पाऊस कशाचीच पर्वा न करता आपल्या मेहनतीने संकंटांना झुंझ देत असतो, कितीही सगे, सोयरे घरी आल्यावर गोड धोड खऊनच पाठवतो कधीच कर्जाला घाबरत नाही कोणी वापरलेला सदरा दिला तर तो घेणार नाही कारण त्याला एक दिवसाचा शोभनीय दिसायचा नाही त्याला तो सदरा टोचेल... रोजच्या सद्रीचीमातीची कष्टचि सुंगंध येणार नाही आणि शांत झोप लागणार नाही. माझा शेतकरी मनाने खूप श्रीमंत आहे तो जगतो आणि दुसऱ्याला जगवतो. असा माझा महान किसान आहे. 
आपला नोकर वर्गाला सुट्टी नाही की, D.A., नाही की, पेन्शन नाही की, पगार वाड नाही कि,,, अशा अनेक कारणांनी.. आंदोलने, संप मोर्चा चक्का जॅम, रेल रोको, दगड फेक संघटना सरकारी माल मतेची नुकसान सारा बोंबाबोम अशा विचित्र परिस्तितीत माझा शेतकरी कसा जगायचा, व्यापारी चा छळ, मजुराचा छळ नोकर वर्गाचा छळ शासनाचा छळ.... प्रत्येक शासकीय वर्गात लाच कोर कर्म चारी, अधीकारी.. आमच्या हातात पैसा कसा टिकायचं माझा शेतकरी गाव तालुका ज़िल्हा सोडुन कासमीर कन्याकुमारी, उटी मैसूर, सागर नदी, निसर्ग डोंगर पक्षी, तीर्थ.... कधी पाहायला मिळेल कधी दिवस बदलतील कब अच्या दिन आयेंगे... कब कृषी प्रधान, जय किसान देश बनेगा.... 
...........बदल काळाची गरज आहे....... प्रगतीची दिशा आहे.... 

........जय किसान 
.........जय महाराष्ट्र 
..........जय भारत 

                    ...  राहुल सोनटक्के शेतकरी परिश्रमाची  भाकर (माझा बळीराजा )

Rekha (sahar)

#परिश्रम_ #परिश्रम_ #nojotohindi #Tha # Kundan Dubey Love ज़ख़्मी हर्फ़ SIDDHARTH.SHENDE.sid @..Mohit..Sharma...f44... #विचार #रेखा

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Shubham Bhatt

शारीरिक व मानसीक रूप से किया गया काम परिश्रम कहलाता है. ये काम हम अपनी इच्छा के अनुसार चुनते है, जिसे लेकर हम अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते है. पहले श्रम का मतलब सिर्फ शारीरिक श्रम होता था, जो मजदूर या लेबर वर्ग करता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है, श्रम डॉक्टर, इंजिनियर, वकील, राजनैतिज्ञ, अभिनेता-अभिनेत्री, टीचर, सरकारी व प्राइवेट दफ्तरों में काम करने वाला हर व्यक्ति श्रम करता है.

©Shubham Bhatt #परिश्रम

Atul vasava

परिश्रम

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श्रम से बने जिंदगी के गाड़ी के पयै इतने मजबुत होते है कि रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो, पार जरूर कर लेते है।

©Atul vasava परिश्रम

Ashutosh singh chauhan

क्या हुआ अगर सब कुछ छुट गया,
क्या हुआ अगर सबसे नाता टूट गया,
क्या हुआ अगर नही मिली मंजिल तुझे,
क्या हुआ अगर नहीं मिली पहचान तुझे,
क्या हुआ अगर उम्मीदों ने साथ नहीं
दिया,
क्या हुआ अगर वक्त ने हाथ छोड़ दिया,
देख नई सुबह फिर आई हैे जो खोया है उसे दोबारा पाने की रोशनी संग लाई हैं,
दिखा दे सबको तू क्या होती है मेहनत की खुशबू ,
जो कहते है नहीं होगा तुझसे कुछ उनको गलत साबित करने की बारी फिर आई है ।
-आशुतोष सिंह #परिश्रम

सर्वज्ञ ठाकुर

परिश्रम #विचार #🖋️स्वामी

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Nisha Singh

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