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Poetry-Meri Diary Se
White हों गई हैँ अब आदत तन्हा अकेले जीने की, तेरी महफ़िलो की अब ज़रूरत नहीं हैँ! सांसे भी अब मेरी हैँ रूह भी मेरी, तेरा अब कोई भी दावेदारी मुझपे नहीं हैँ! ©Poetry-Meri Diary Se #sad_shayari हों गई हैँ आदत@#
!! Akash Maurya!!
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
हमारी नियति है। कभी शून्य से आगे बढ़ ही नहीं पाए , जब भी हमने सोचा की शायद अब नियति मे कुछ बदलाव आया होगा तो तभी कुछ ऐसा होता है की फिर उसी मोड़ पर आकर खड़े हों जाते हैं। कभी कभी तो लगता है अपने हाथ पैर मारना ही छोड़ दे ताकि कुछ पल सुकून के तो मिल सके पर यह भीं इसे मंजूर नहीं होता है, फिर कोई न कोई राह दिखा कर फिर उसी मोड़ पर ले आती है। ना यह चेन से जीने देती है और ना मरने देती है। जब तकलीफ़ का दौर देखा और अपने आप को कोसने लगे तो फिर इसे शख्स को सामने लाकर खड़ा कर देगी। जो हमसे भीं ज्यादा तकलीफ़ मे होगा, उसे देख कर और उनकी तकलीफ़ को सुनकर उनके लिए प्रार्थना करने के लिए अपने आप भगवान के आगे उठ जाते हैं। और आंखो में अश्रु भर जाते हैं। बस और बस केवल उनकी ही पीड़ा मन में रहती है। जब हाथ पकड़ कर कहती हूं सब ठीक हों जायेगा। तो वो जैसे ही ठीक हों जाता था। तो हमे भूल जाता है। और मन में एक ठीस सी उठती है। हमें दुःख किस बात का हुआ वो भूले इस कारण यां उनकी पीड़ा हमारे अंदर आ गई उसके कारण.. समझ नहीं आता की नियति क्या खेल खेलती है। हमारा मन एक कोरा कागज़ है उसपर हर तरह के रंग भर देती है। चाहें हमें पसंद हों यां नहीं। बस भरे जा रहीं हैं, भरे जा रही है। जो देखेगा तो उसका अलग ही मत होगा। कोई अपनी अलग ही राय कायम करेगा। पर इन सब के बीच में पिसता पेपर हैं। अगर रंग अच्छे भरे तो सुंदर चित्र उभर कर आयेगा और उसे साथ ले जायेगा। और किसी को पसंद नहीं आया तो कचरे के डिब्बे में फेका जायेगा, तब वो स्याही भीं ख़राब तो उस पेन की चुबन और वो पेपर भीं ख़राब हों जायेगा। और बाद में हमारी नियति भीं ख़राब बता दी जायेगी क्योंकि सबसे बड़ी कलाकार हमारी नियति है और हम वो प्लेन पेपर है, और दुःख, सुख, शांति, पीड़ा, संघर्ष रूपी कलम सभी हमारी नियति है। और शून्य से बढ़े तो शून्य में ही विलीन हों गए। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma #aaina हमारी नियति है। कभी शून्य से आगे बढ़ ही नहीं पाए , जब भी हमने सोचा की शायद अब नियति मे कुछ बदलाव आया होगा तो तभी कुछ ऐसा होता है की
purnima
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है नए परिंदोंं को उड़ने में वक़्त तो लगता है जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी लाख़ करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है ©purnima प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है नए परिंदोंं को उड़ने में वक़्त तो लगता है जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था लम्बी दूरी
#Mr.India
मेरी सुबह भी आप हों, मेरी शाम भी आप, मेरे जीवन का हर क्षण आप हों, मेरे प्यारे महादेव मेरे जीवन का निर्माण आप हों, मैं तो आपमें मिलना चाहता हूं, मेरा निर्वाण आप हों...!!! ©#Mr.India मेरी सुबह भी आप हों, मेरी शाम भी आप, मेरे जीवन का हर क्षण आप हों, मेरे प्यारे महादेव मेरे जीवन का निर्माण आप हों, मैं तो आपमें मिलना चाहता ह
MमtA Maया
मैं थक गई हूँ ज़िंदगी से लड़-लड़ के अब रहम कर दे या कब्र दे तेरी मर्ज़ी ©MमtA Maया बहुत हों गया अब नहीं