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Versha Rajvansh
तुम अधूरी चाँदनी रात में भी कमाल लगते हो तुम जून जुलाई की गर्मी नहीं सेप्टेम्बर की बरसात लगते हो @Versha_Rajvansh तुम अधूरी चाँदनी रात में भी कमाल लगते हो तुम जून जुलाई की गर्मी नहीं सेप्टेम्बर की बरसात लगते हो #VershaRajvansh #NojotoSayari
Writer Vikas Aznabi
जनवरी गुजरी, फरवरी गुजरी, गुजरा मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई भी.... बिता अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर... नवंबर गुजरा तेरी यादों मे.... बात ना कर अब तू दिसंबर की आधा गुजरा ये भी..... आने को है अब फिर से जनवरी.... मेरे जीवन की राधा तुम कब आवोगी..... ~Vikas✍️ ©Writer Vikas aznabi #snowfall जनवरी गुजरी, फरवरी गुजरी, गुजरा मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई भी.... बिता अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर... नवंबर गुजरा तेरी यादों मे....
अनमोल सिंह "निरंजन"
रहिमन वैक्सीन ढूंढिए, बिन वैक्सीन सब सून। वैक्सीन बिना ही बीत गए, अप्रैल, मई और जून।। जुलाई-अगस्त भी बीतेगा, रहिमन मत होना उदास। दूर-दूर की दोस्ती, कभी ना आना पास।। ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर। *2 गज की दूरी बहुत है जरूरी।* कोरोना से आप भी बचे और दूसरों को भी बचाएं। *डॉ. होम्योपैथी* अनमोल सिंह "निरंजन" रहिमन वैक्सीन ढूंढिए, बिन वैक्सीन सब सून। वैक्सीन बिना ही बीत गए, अप्रैल, मई और जून।। जुलाई-अगस्त भी बीतेगा, रहिमन मत होना उदास। दूर-दू
alex akash
ये बादल से हिफाज़त कैसी, बात-बात पर बगावत कैसी, यूं ऊंचाईयों पर महल तुम्हारे बनें हैं, मुझे बिजली के गिरने से आफ़त कैसी, कच्चा मकान टाट के सहारे खड़ा है, मुझे तो बारिश का डर बड़ा है, यूं मौसम सब सुहाने होते होंगें तुम्हारे, हमारे घर तो एक छेद सब के लिए पड़ा है, मानसून की बारिश भी हमे भिंगाती है, यूं जून- जुलाई की गर्मी भी झुलसाती है, सर्द का मौसम तो कुछ यूं गुजरता है, रातों को कम्बल खींचते-खींचते सहर हो जाती है। ये बादल से हिफाज़त कैसी, बात-बात पर बगावत कैसी, यूं ऊंचाईयों पर महल तुम्हारे बनें हैं, मुझे बिजली के गिरने से आफ़त कैसी, कच्चा मकान टाट के
Nisheeth pandey
इश्क और सकून ही मुहब्बत का बैरी होता मुहब्बत ही मुहब्बत का बैरी होता .... इश्क गर चाहिए सकून भूल जाओ सकून गर चाहिए इश्क भूल जाओ ..… मुहब्बत किताबों में ही अच्छे लगते हैं घर और मुहल्ले ही मुहब्बत के बैरी लगते हैं .... अपना मुहब्बत ही प्यारा लगता है दुसरे का मुहब्बत हमेशा खटकता है.... किस ग्रह के निवासी हो धरती के तो नहीं लगते हो इश्क भी चाहते हो और सुकून भी ढूंढते हो,,... दिल और दिमाग से पैदल लगते हो ...... जून जुलाई की रात में ओस की बून्द ढूंढते हो..! 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey इश्क और सकून ही मुहब्बत का बैरी होता मुहब्बत ही मुहब्बत का बैरी होता .... इश्क गर चाहिए सकून भूल जाओ सकून गर चाहिए इश्क भूल जाओ ..… मुहब
Aadarsh Dubey
तू है मुझसे बेहतर सुंदर अच्छा है मेरा भी पर यार मुक़द्दर अच्छा है सब भूल पर इसको भूल नहीं पाया तेरे फ़ोन का आख़िरी नम्बर अच्छा है ऐसा लगता है जब गिरते हैं आँसू जून जुलाई से तो दिसम्बर अच्छा है मुझको एहसानों से क्या दाबोगे तुम मेरा सबकुछ अपने दम पर अच्छा है अपने किस्से अपने पास रखो साहिब मेरी आँख के आगे मंज़र अच्छा है तू है मुझसे बेहतर सुंदर अच्छा है मेरा भी पर यार मुक़द्दर अच्छा है सब भूल पर इसको भूल नहीं पाया तेरे फ़ोन का आख़िरी नम्बर अच्छा है ऐसा लगता है
krishna Sharma
न जाने क्यों …… इस अँधेरे में भी एक अलग सा सुकुन है … लगता है वो इस बात से महरूम है ….. तभी तो तेरी परछाई भी सताती है ….. और तू लोगो से कहता फिरता है की तुझे याद उसकी आती है…… लगता है सारी बात तुझे समझानी होगी …. कहानी शुरू से तुझे सुनानी होगी ….. तो सुनो मैं तुम्हे सुनाता हूँ अपनी दास्ताँ …. चंद पंक्तियों में कर रहा हु सारी कहानी बयां ….. शायद दिसंबर का था वो महीना ….. जब हमने खाई थी कसमें की साथ है मरना और साथ ही हैजीना …. जनवरी में घूमते थे हम बांहो में बाँहे डाल कर …. मैंने भी रख दिया उसके सामने दिल निकल कर….. फ़रवरी तक शुरू हो गया था उनका रूठना और मेरा मनाना….. मार्च तक मुझे भी लगने लगा शायद उसे है मुझसे दूर जाना….. अप्रैल मई तक होती रही हमारी बातें …. जून जुलाई तक काम हो गई थी उनसे मुलाकाते ….. अगस्त का था वो महीना थी क़यामत की रात …. जब उनसे हुई थी मेरी आखिरी मुलाकात …… थी नज़रे झुकी और होंठो पर थी उसकी एक अजीब मुस्कान….. और वो मुझसे कह रही थी "हो सके तो मुझे भूल जाओ मेरीजान"…. "कृष्ण" मेरी सच्ची मोहोबत एक साल भी न रही …. झूठे थे वो सारी बातें जो उसने मुझसे कही…. उसे क्या उसकी यादो को भी दिल से निकल दिया है मैंने …. तन्हाई में भी मुस्क़ुराना शिख लिया है मैंने…. न जाने क्यों …… इस अँधेरे में भी एक अलग सा सुकुन है …… लगता है वो इस बात से महरूम है …. तभी तो तेरी परछाई भी सताती है ….. और तू लोगो से कह
krishna Sharma
दास्ताँ -ए -मोहब्बत न जाने क्यों …… इस अँधेरे में भी एक अलग सा सुकुन है …… लगता है वो इस बात से महरूम है ….. तभी तो तेरी परछाई भी तुझे सताती है ….. और तू लोगो
Pooja
कुछ लोगो ने पूछा यार जिए कैसे बेकार सी जिंदगी में मैंने कहा यार खोज उस दोस्त को जो जिन्दगी को जन्नत बना दे।।।। ©Pooja #जुलाई