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VIKAS" VKB #DEARJINDAGI

अल्फाज मेरे कलम के, जो लिखते थे महोब्बत
अब सुख गए हैं स्याही कलम के, लिखते लिखते महोब्बत

#गुनाह  
#Vकास....




















,

©VIKAS" VKB #DEARJINDAGI #UnexpectedStory 
#dearjindagi

SumitGaurav2005

वो मुझे तन्हा छोड़ कर चली गई ,
मानो जैसे जिस्म से रुह चली गई,
जाते जाते हमारा चैन- ओ-अमन 
अपने साथ  लेकर कर चली गई!

©SumitGaurav2005 #Unexpected #unexpectedstory #sumitmandhana #sumitgaurav #sumitkikalamse #nojotoapp #nojotoquote #nojotoshayari #Bewafa #Broken

SumitGaurav2005

दिल लगाने की सजा हमने पाई है,
प्यार निभाने की सजा हमने पाई है,
वो बेगैरत दूसरे की बाहों में चले गए
वफ़ा करने की सजा हमने पाई है !

©SumitGaurav2005 #Unexpected #unexpectedstory #sumitmandhana #sumitgaurav #sumitkikalamse #nojotoapp #nojotoquote #nojotoshayari #Bewafa #brokenheart

Nisheeth pandey

इश्क और सकून ही मुहब्बत का बैरी होता मुहब्बत ही मुहब्बत का बैरी होता .... इश्क गर चाहिए सकून भूल जाओ सकून गर चाहिए इश्क भूल जाओ ..… मुहब्बत किताबों में ही अच्छे लगते हैं घर और मुहल्ले ही मुहब्बत के बैरी लगते हैं ....

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इश्क और सकून ही मुहब्बत का बैरी होता 
मुहब्बत ही मुहब्बत का बैरी होता ....

इश्क गर चाहिए सकून भूल जाओ 
सकून गर चाहिए इश्क भूल जाओ ..…

मुहब्बत किताबों में ही अच्छे लगते हैं 
घर और मुहल्ले ही मुहब्बत के बैरी लगते हैं ....

अपना मुहब्बत ही प्यारा लगता है 
दुसरे का मुहब्बत हमेशा खटकता है.... 

किस ग्रह के निवासी हो धरती के तो नहीं लगते हो 
इश्क भी चाहते हो और सुकून भी ढूंढते हो,,...

दिल और दिमाग से पैदल लगते हो ......
जून जुलाई की रात में ओस की बून्द ढूंढते हो..!

🤔#निशीथ🤔

©Nisheeth pandey इश्क और सकून ही मुहब्बत का बैरी होता 
मुहब्बत ही मुहब्बत का बैरी होता ....

इश्क गर चाहिए सकून भूल जाओ 
सकून गर चाहिए इश्क भूल जाओ ..…

मुहब्बत किताबों में ही अच्छे लगते हैं 
घर और मुहल्ले ही मुहब्बत के बैरी लगते हैं ....

Santosh Narwar Aligarh (9058141336)

जब उसने मुझे पहली बार 
मुस्कराकर देखा
जो अचानक आयी दिल में feeling
वो
feeling आज हमसफ़र में बदल गयी।।

©Santosh Narwar Aligarh #UnexpectedStory

Santosh Narwar Aligarh (9058141336)

दोस्ती की शुरुआत जब होती है
धीरे धीरे लम्हें गुजर जाते है
कुछ पता नहीं चलता लम्हों का
न जाने दोस्ती मे कब उतर आते हैं।।

©Santosh Narwar Aligarh #UnexpectedStory

Nisheeth pandey

माखन प्यारे हमेशा मीठे ही रहना मटका प्यारे हमेशा ठंडे ही रहना आएंगे कान्हा मटका बजायेंगें ठक-ठक मटका में नन्हीं हथेली डुबो डुबक डुबक भर भर मुट्ठी पियेंगें गटक गटक 🤔निशीथ🤔 #UnexpectedStory

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माखन प्यारे हमेशा मीठे ही रहना 
मटका प्यारे हमेशा ठंडे ही रहना 
आएंगे कान्हा मटका बजायेंगें ठक-ठक 
मटका में नन्हीं हथेली डुबो डुबक डुबक 
भर भर मुट्ठी पियेंगें गटक गटक 

🤔#निशीथ🤔

©Nisheeth pandey माखन प्यारे हमेशा मीठे ही रहना 
मटका प्यारे हमेशा ठंडे ही रहना 
आएंगे कान्हा मटका बजायेंगें ठक-ठक 
मटका में नन्हीं हथेली डुबो डुबक डुबक 
भर भर मुट्ठी पियेंगें गटक गटक 

🤔#निशीथ🤔
#unexpectedstory

Nisheeth pandey

आज मेरी अमृता का जन्मदिन है , वो जिसे मैनें कभी देखा नहीं , वो जिससे कभी मेरी बात नहीं हुई लेकिन वो जिसे मैनें एहसास किया किताबो में ,दिल के कमड़े में एक घर दिया है ... वो कहती थी जहाँ कहीं एक आज़ाद रूह की झलक मिले समझ लेना वहीं मेरा घर है ... और मेरी रूह पर वो अपना रसीदी टिकट छोड़ गई ... साहस और अपना अंदाज .. अपनी आखिरी कविता के वादे की तरह .... मैं तुझे फिर मिलूँगी ... कहाँ कैसे पता नहीं ... अमृता जैसी साहसी लेखिका कागज पर काले अक्षरों से सुनहरा इतिहास लिख जाती हैं और हम पन्ने पलट कर उनकी

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आज मेरी अमृता का जन्मदिन है , 
वो जिसे मैनें कभी देखा नहीं ,
 वो जिससे कभी मेरी बात नहीं हुई
 लेकिन वो जिसे मैनें एहसास किया किताबो में ,दिल के कमड़े में एक घर दिया  है ... 
वो कहती थी जहाँ कहीं एक आज़ाद रूह की झलक मिले समझ लेना वहीं मेरा घर है ... 
और मेरी रूह पर वो अपना रसीदी टिकट छोड़ गई ... 
साहस और अपना अंदाज .. 
अपनी आखिरी कविता के वादे की तरह .... 
मैं तुझे फिर मिलूँगी ... 
कहाँ कैसे पता नहीं ...

अमृता जैसी साहसी लेखिका कागज पर काले अक्षरों से सुनहरा इतिहास लिख जाती हैं और हम पन्ने  पलट कर उनकी छाया का महज अनुमान लगा सकते हैं ...
मेरी अमृता को जन्मदिन की शुभकामनाएं ... 

मुझमें रोशन रहों और हर उस रूह में जियों जो ज़िन्दगी जीना चाहती है ....

©Nisheeth pandey आज मेरी अमृता का जन्मदिन है , 
वो जिसे मैनें कभी देखा नहीं , वो जिससे कभी मेरी बात नहीं हुई
 लेकिन वो जिसे मैनें एहसास किया किताबो में ,दिल के कमड़े में एक घर दिया  है ... वो कहती थी जहाँ कहीं एक आज़ाद रूह की झलक मिले समझ लेना वहीं मेरा घर है ... 
और मेरी रूह पर वो अपना रसीदी टिकट छोड़ गई ... साहस और अपना अंदाज .. अपनी आखिरी कविता के वादे की तरह .... 
मैं तुझे फिर मिलूँगी ... कहाँ कैसे पता नहीं ...

अमृता जैसी साहसी लेखिका कागज पर काले अक्षरों से सुनहरा इतिहास लिख जाती हैं और हम पन्ने  पलट कर उनकी

Praveen Jain "पल्लव"

पुरानी विरासत मिटानी है #UnexpectedStory

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पल्लव की डायरी
रीतकर समुंदरों ने,जैसे बदलाव की ठानी है
अस्तिव मिटाकर, पुनः जैसे नई पहचान बनानी है
दरियाओं से  मिलने की दोस्ती घटानी है
मिल गये उसे नये ठेकेदार
पुरानी विरासत मिटानी है
सजेंगे उसके तट,रंगरेलिया मनेगी
नई कहानियों से उसकी धाक खूब गूँजेगी
नदियों को मिटाकर, चंद लोगो के साथ
लेन देन कर, खुद के विकास की गंगा फूटेगी
                                                 प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" पुरानी विरासत मिटानी है #UnexpectedStory

Nisheeth pandey

दुनिया से निराला,.... मन का मतवाला .... मिलता कहाँ बाँसुरी वाला..... दूध में बेचता पानी अब ग्वाला.... गन्दगीं है फैली बैठे कहाँ जमुना के किनारे..... फूल अब गमलों में लहक रहें फूलों का सुगंध है किधर....

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दुनिया से निराला,....
 मन का मतवाला ....

मिलता कहाँ बाँसुरी वाला.....
दूध में बेचता पानी अब ग्वाला....

गन्दगीं है फैली बैठे कहाँ जमुना के किनारे.....
फूल अब गमलों में लहक रहें फूलों का सुगंध है किधर....

घनघोर घटाएँ भी जल रही फैक्ट्रीयों के धुंआ से....
ज़हर घुल कर बहती सरमस्त हवाओं से ....

मोबाइल कम्प्यूटर में कैद मासूम उमंगें.....
दरिया भी रूठी रूठी कैसी उल्फ़त की तरंगें.....

अब मिलती बगीचे के झाड़ीओ में गोपियाँ .....
 अब हाथों में मिलते नहीं हाथ हद्दे लेती रहती अंगड़ाइयां .....

पर्दा न जाने कब हो जाये ताराज.....
न जाने कब किसी गलियारे में बेकस की लूट जाए लाज....

अब काले घूम रहे
 डट कर उजाले में करते चमचम काले....
उजाले बने दागदार  अंधेरे से कहता दामन में छुपा ले....

परियाँ अब आती नहीं धरा पर ...
हवाओं में आती नहीं शीतलता धरा पर ....

हर वेश्या कहती
 खुद को राधा यहां.….
हर हवस का भूखा कहता खुद को श्याम यहां.....

बलशाली है अब राम यहां....
रषिक कहता खुद को अब कन्हैय्या यहां .....

त्राहिमाम त्राहिमाम करता वीरों का देश ....
भेड़ियाँ है चारो तरफ घूम रहें आबो हँवा परेशाँ.....

प्रेम का किनारा...
सुनसान है सारा...
 आबरू हैं ख़ामोश.…
मौजों में नहीं जोश...
अब घरों में जलते नहीं प्रेमक दिए ....
अब फटी आबरू से जलती है मोमबत्तियां....

हे विराट रूपी , हो काल गति से परे ....
 तुम भी नियति में बंधे ....
यहाँ वहां थे 
कभी सर्वत्र थे....

कभी तुम्हें धरा  पूजा ....
कभी तुम धरा पूजे.....

कभी तुममे गगन
 कभी गगन में तुम ,

कभी माया ने तुम्हें भी छला ....
कभी माया को  छले तुम....

लीला पर लीला रचते रहे ,
अधर्म का सदा विनाश करते रहें....

 अब कहाँ हो ...
कहाँ विलुप्त हो....

 अधर्म से व्याकुल धरा का कण कण हो रहा...
अब तो नन्ही सीता या राधा और रुक्मिणी भी द्रोपदी सी चौसर पर बिछ रही ...
कौन रक्षक कौन भक्षक कौन अपना कौन पराया विश्वास का चिथड़ा उड़ रहा ...

 तुम सकल चराचर में हो समाये,
व्यथित भाग्य का आओ बनो सारथी फिर से...

अब घर घर में मिल रहे मोह और लोभ में जकड़ा धृतराष्ट्र.....
हर के नियत मे बसता दुर्योधन और दुषशाशन का चरित्र....

आज का शकुनि अब लँगड़ा भी नही रहा ....
हर चौराहे पर पसार रखा पाशा और लोग बिक यहां रहे ....

असुरता अधर्मता है लगा रहा ठहाके पे ठहाके यहां...
पाप आजकल डिस्को पे है नाच रहे यहां....

बोलो श्रीकृष्ण  मुरारी मोहन प्यारे कन्हैया की कब आओगे ... कब आओगे ...
🤔निशीथ🤔
🙏🏻
#शुभ_जन्माष्टमी 🙏🏻

©Nisheeth pandey दुनिया से निराला,....
 मन का मतवाला ....

मिलता कहाँ बाँसुरी वाला.....
दूध में बेचता पानी अब ग्वाला....

गन्दगीं है फैली बैठे कहाँ जमुना के किनारे.....
फूल अब गमलों में लहक रहें फूलों का सुगंध है किधर....
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