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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा । गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।। भूल कहाँ होती मानव से ... पूर्ण कहाँ है ये म #कविता

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गीत
भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा ।
गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।।
भूल कहाँ होती मानव से ...

पूर्ण कहाँ है ये मानव जो, संपूर्ण बना अब बैठा है ।
आज विधाता को ठुकराकर , जो ज्ञानी अब बन ऐठा है ।।
बता रहा है वो जन-जन को , मुझको पहचाना जायेगा ।
भूल कहाँ होती मानव से ...।

खूबी अपनी बता रहा है , वह घर-घर जाकर लोगों को ।
पर छुपा रहा वह सबसे अब, बढ़ते दुनिया में रोगों को ।।
किए जा रहा नित्य परीक्षण , की ये परचम लहरायेगा ।
भूल कहाँ होती मानव से ...।

संग प्रकृति के संरक्षण को , आहार बनाता जाता है ।
अपनी सुख सुविधा की खातिर , संसार मिटाया जाता है ।।
ऐसे इंसानों को कल तक , शैतान पुकारा जायेगा ।
भूल कहाँ होती मानव से ....

भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा ।
गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।।

१०/०२/२०२४       -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा ।

गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।।

भूल कहाँ होती मानव से ...


पूर्ण कहाँ है ये म

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कोलाहल :- गीत अंतर्मन के कोलाहल को , भाप न कोई पायेगा । घुट-घुट कर मर जायेगा तू, राह न जो अब पायेगा ।। अंतर्मन के कोलाहल को .... #कविता

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कोलाहल :- गीत
अंतर्मन के कोलाहल को , भाप न कोई पायेगा ।
घुट-घुट कर मर जायेगा तू, राह न जो अब पायेगा ।।
अंतर्मन के कोलाहल को ....

जीवन जीना सरल नहीं है , आती इसमें है बाधा ।
मूर्ख नही बन हे मानव तू , चला शरण जा अब राधा ।।
जप कर उनकी माला तू भी , मुक्ति मार्ग को पायेगा ।
अंतर्मन के कोलाहल को....

तन मानव का जब भी लेकर , तू धरती पे आयेगा ।
फिर खुशियों की खातिर तू ही , अपने नियम बनायेगा ।।
जिसकी माया में ही तू खुद , स्वयं उलझता जायेगा ।
अंतर्मन के कोलाहल को.......

भाग-भाग कर सुख के साधन , दुख देकर जो लाता है ।।
लेकिन पर भर सुख का अनुभव , कभी नहीं कर पाता है ।।
अन्त समय में देख वही फिर , रह रह के पछतायेगा 
अन्तर्मन के कोलाहल को .....

रूप बदल कर मानव ही सुन , इस धरती पे आयेगा ।
लेकिन अपनी ही करनी को , ज्ञात न वह रख पायेगा ।।
माया रूपी इस जीवन का  , चाल नही रुक पायेगा ।
अन्तर्मन के कोलाहल को ...

अंतर्मन के कोलाहल को , भाप न कोई पायेगा ।
घुट-घुट कर मर जायेगा तू, राह न जो अब पायेगा ।।

३०/०१/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कोलाहल :- गीत


अंतर्मन के कोलाहल को , भाप न कोई पायेगा ।

घुट-घुट कर मर जायेगा तू, राह न जो अब पायेगा ।।

अंतर्मन के कोलाहल को ....

Jyoti Kailash

राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट अंतकाल पछताएगा जब प्राण जाएंगे छूट #Ayodhya

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विषय - आदत   विधा :- दोहा आदत अपनी छोड़ दे , कहना मेरा मान । पछतायेगा एक दिन , बन जा अब इंसान ।।१ #कविता

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विषय - आदत   विधा :- दोहा

आदत अपनी छोड़ दे , कहना मेरा मान ।
पछतायेगा एक दिन , बन जा अब इंसान ।।१

अच्छी आदत एक दिन , लाती है सुन रंग ।
जो जलते थे देखकर  , वो भी होते दंग ।।२

नित्य भ्रमण की तुम सुबह , आदत लो तुम डाल ।
रहे न रोगी तन कभी , बदलो जीवन चाल ।।३

आदत जिसकी हो भली , करें नहीं वह बैर ।
सबसे हिल मिलकर चले , माँगें सबकी खैर ।।४

आदत से मजबूर है , दुनिया में कुछ लोग ।
मतलब से करते यहाँ , जन-जन का उपयोग ।।५

राजनीति के नाम पर , करते क्यों षडयंत्र ।
छोडो आदत है बुरी , प्यारा यह गणतंत्र ।।६

आदत भी तो रोग है , लगे न छूटे देख ।
लगती जिसको भी यहाँ , बदले उसकी रेख ।।७

नित्य तुम्हारे दीद से , आता मुझको चैन ।
आदत ऐसी पड़ गई , तुम बिन कटे न रैन ।।८

१०/१२/२०२३      -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय - आदत   विधा :- दोहा


आदत अपनी छोड़ दे , कहना मेरा मान ।

पछतायेगा एक दिन , बन जा अब इंसान ।।१

Pushpendra Pankaj

बुद्धु बन पछताएगा, लौट घर वापस आएगा #कविता

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Ankur tiwari

#yogaday एक साज बना आवाज़ बना फिर से तू नया आगाज़ बना तू बना नही यूं बुझने को अपने भीतर फिर आग लगा उठ चल फिर खड़ा हो पैरों पर मत रौब दिखा #Poetry

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एक साज बना आवाज़ बना
फिर से तू नया आगाज़ बना
तू बना नही यूं बुझने को
अपने भीतर फिर आग लगा
उठ चल फिर खड़ा हो पैरों पर
 मत रौब दिखा यूं इन बैरो पर
तेरे भीतर जो कुछ टूटा है
कइयों से उतना छूटा हैं
फिर बरबस डर क्यू मान रहा
क्यूं खुद को नही पहचान रहा
निज डर को दे दुत्कार अभी
अवसर का कर सत्कार अभी
जीवन के अग्निपथ पर चल
नही जरा सी बातों पर जा मचल
धर धीर वीर गंभीर जरा बन
लक्ष्यों के प्रति अधीर जरा बन
जो कुछ खोया है वो पायेगा
हर शक्श बाद पछताएगा

©Ankur tiwari #yogaday 
एक साज बना आवाज़ बना
फिर से तू नया आगाज़ बना
तू बना नही यूं बुझने को
अपने भीतर फिर आग लगा
उठ चल फिर खड़ा हो पैरों पर
 मत रौब दिखा

Suraj Upadhyay

गलतियां ना किया कर पछतायेगा...!🥹🙌💯 . . #writeraditya #suraj_upadhyayy #प्रेरक

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RJ TALKS

देखना ज़रूर पछताएगा वो nojoto nojotohindi विचार

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ashish gupta

#quotation #किसकारस्तादेखते किसका रास्ता देख रहे हो कोई आएगा नहीं तेरा दिल तोड़ कर कोई पछताएगा नहीं अपने हाथ को तोशाक बनाकर नीद पूरी कर क

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Suchita Pandey

बहुत कुछ ऐसा है जीवन में जिसे छोड़ देना ही अच्छा। #छोड़देनाहै #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi सुचितापाण #सुचितापाण्डेय #suchitapandey

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जब अंधियारा छायी थी, 
मैं रौशनी ले कर आयी 
मैंने जलकर दी आयु बिता, 
पर जगती का तम हर ना सकी 
मैं जीवन में कुछ कर न सकी.. 
बिता अवसर क्या आएगा, 
मन जीवन भर पछतायेगा, 
मरना तो होगा मुझको 
ज़ब मरना था तब मर न सकी 
मैं जीवन में कुछ कर न सकी.. 
है हार एक तरफ़ पड़ी, 
है जीत एक तरफ़ पड़ी, 
मैं संघर्ष जीवन में धंसी रही.. 
मैं जीवन में कुछ कर न सकी.. 
बहोत कुछ ऐसा है जीवन में, 
जिसे छोड़ देना ही अच्छा है..
 बहुत कुछ ऐसा है जीवन में 
जिसे छोड़ देना ही अच्छा।
#छोड़देनाहै #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #सुचितापाण
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