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Sadanand Kumar
Mahima Jain
टीम "E" •| वह निशान जो कभी मिटते नहीं |• (पढ़िए 3 अलग कहानी अनुशीर्षक में) Day 7 टीम "E" कैप्टन :- Mahima Jain ~ MJ हर आम दिन की तरह निया कॉलेज जाने के लिए लेट हो रही थी और बस थी जो आने का नाम ही नहीं ले रही थी। ब
Hrishabh Trivedi
इंदिरा और आपातकाल (Read in caption) 25 जून 1975 भारत की राजनीति काल का सबसे घिनौना दिन। उस रात को कुछ ऐसा हुआ था जो न तो इसके पहले कभी हुआ था और ना ही इसके बाद आज तक। इसी तारीख
Hrishabh Trivedi
THE GAME (Full Story) 😊Read in caption😊 Note:- पूरी पढ़िएगा, जब भी समय मिले और हो सके तो इसे विजुअलाइज करने की कोशिश कीजिएगा। मुझे भरोसा है आपको पसंद आएगी। पहली बार इस तरह का कुछ ट
Writer Vikas Aznabi
तेरे नाम का टैटू अपने हाथों पर बनाऊ, तुमसे ऐसा इश्क़ नहीं मुझे, तेरा जिक्र अपनी हर दुआँ मे करता हूँ मै....... चुमू तेरे होठों को ऐसा भी इश्क़ नहीं तुमसे, अगर तू रहे साथ मेरे तो तेरा माथा चुमू मै...... लांऊ तोहफ़े मे, कंगन पायल और नथिया इतना अमीर तो नहीं मै, मगर जो पसंद है तुम्हे, तेरे झुमके का इंतजाम कर सकता हूँ मै....... कहूँ मोहब्बत मे तुम्हे चाँद सूरज जमीं आसमां ये सब गवारा नहीं हमें..... मगर सुनो तुम्हे मेरे दिल की धड़कन कहता हूँ मै...... अब और क्या कहूँ मै तुमसे ये बात तुम जानती हो, तुम्हे भी पता है कि तुमसे कितना प्यार करता हूँ मै...... हाथों मे उठाऊ कलम कुछ लिखने को तो जिक्र तुम्हारा करता हूँ मै..... तेरे नाम का टैटू अपने हाथों पर बनाऊ, तुमसे ऐसा इश्क़ नहीं मुझे, तेरा जिक्र अपनी हर दुआँ मे करता हूँ मै....... ~Vi काश आजमगढ़ी ✍️ ©Writer Vikas Aznabi नाम का टैटू अपने हाथों पर बनाऊ, तुमसे ऐसा इश्क़ नहीं मुझे, तेरा जिक्र अपनी हर दुआँ मे करता हूँ मै....... चुमू तेरे होठों को ऐसा भी इश्क़ नहीं
नेहा उदय भान गुप्ता
सब लोग मुझे गंवार कहते है, मुझको तो गंवार रहने दो।। मैं हूँ गाँव की तनया, मेरी देह पर भारतीय परिधान रहने दो, सब लोग मुझे गंवार कहते है, मुझको तो गंवार रहने दो।। अंग्रेजी के इस चकाचौंध में, मु
नेहा उदय भान गुप्ता
हा मैं गंवार हूँ...... बाक़ी कैप्शन में पढ़े..👇👇 हा मैं गंवार हूँ... नही जीना है मुझको दिखावे की दुनियाँ में, मैं तो अपने मात पिता का स्वाभिमान हूँ।। मत ढूंढों मुझे इक्कीसवीं सदी में, मैं
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
सब लोग मुझे गंवार कहते है, मुझको तो गंवार रहने दो।। मैं हूँ गाँव की तनया, मेरी देह पर भारतीय परिधान रहने दो, सब लोग मुझे गंवार कहते है, मुझको तो गंवार रहने दो।। अंग्रेजी के इस चकाचौंध में, मु
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
हा मैं गंवार हूँ...... बाक़ी कैप्शन में पढ़े..👇👇 हा मैं गंवार हूँ... नही जीना है मुझको दिखावे की दुनियाँ में, मैं तो अपने मात पिता का स्वाभिमान हूँ।। मत ढूंढों मुझे इक्कीसवीं सदी में, मैं