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Manmohan Dheer
कभी ख़ुद को भी तो खोल के देखो ताले और कितने तुमने लगा रखे हैं सफ़ाई भी कर ही लेना झाडू लेकर जाले जो यहाँ वहाँ तुमने लगा रखे हैं . ताले
Manmohan Dheer
परेशानी हर इक़ है ताला कहीं हौसला तेरा है चाबी उसकी ही रुकावटें बंद करती हैं राहें माना चाहतें खोलती है रास्ते जानो भी शक़ जैसे कोई शिकस्त खुद से यकीं जैसे ताले की चाबी कोई खुद में बंद खुद से ही खुले जो कौन कैसा ताला कैसी चाबी कोई . धीर ताले
Manmohan Dheer
परेशानी हर इक़ है ताला कहीं हौसला तेरा है चाबी उसकी ही रुकावटें बंद करती हैं राहें माना चाहतें खोलती है रास्ते जानो भी शक़ जैसे कोई शिकस्त खुद से यकीं जैसे ताले की चाबी कोई खुद में बंद खुद से ही खुले जो कौन कैसा ताला कैसी चाबी कोई . धीर ताले कई
JD
आख़िर थक हारकर लौट आया मैं बाज़ार से यादों को बन्द करने के ताले कहीं मिले नहीं ***** #ताले #alonesoul
paritosh@run
आखिर थक हार कर, लौट आया मै बाज़ार से.. उनकी यादो को बंद करने के ताले कही ना मिले.. ©paritosh@run यादों के ताले...
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी पगडंडिया थी गांव तक शहरों में मुकाम ना थे खेती बाड़ी काम थे फसलो के दाम ना थे कभी बे मौसम बरसात ओलो से कभी सूखा से प्रभावित थे कर्जो में डूबे रहे जीवन कभी बगावती सुर ना थे खो रहे से अपनी पहचान मगर जोत बचाये हुये थे लेकिन इन तीन कानूनों में हमारे डेथ वारेंट थे कैसे ना घेरते दिल्ली को जन जन की रोटी पर लगने वाले सरकारी ताले थे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" जन जन की रोटी पर लगने वाले ताले थे #Life
dilip khan anpadh
(ताले का सच) ---------- एक दिन मैंने ताले से पूछा हाल क्या तेरा है 'भाया' ताला थोड़ा उचककर बोला, मालिक नहीं अभी तक आया। गया परदेश चाभी न छोड़ा पहले भी एक बार है तोडा दर्द बयां न कर पाता हूँ सदियों तक सब सह जाता हूँ। जिम्मा है मुझपर ये भरी, दौलत जो है अंदर सारी। मैंने प्यार जता कर पूछा नाम,पता और नंबर पूछा, ताला आँख चढ़कर बोला पलभर को मुझको वो तौला। लिंक लॉक है मेरा नाम लटका रहना मेरा काम है नंबर से तुझको क्या काम। नमक मैंने घर का है खाया, मालिक ने विश्वास जताया तुझसे क्यों मैं बात बढाऊँ सांस सांस तक साथ निभाऊं, बातों से मैं न खुल पाऊं। चढ़ गई मेरी भी शान चोट किया हथौडा तान, ठक ठक कर वो शोर मचाया, देख मेरा ये मन घबराया वंही हथौड़ा भागा छोड़ वरना पकड़ा जाता चोर। याद है उस ताले की बात लटका रहता है दिन रात नहीं छोड़ता है वो साथ सह लेता है हर आघात। है बजूद पर शान उसे जिम्मेदारी का भान उसे समझो न बेजान उसे रखो पल पल ध्यान उसे। दिलीप कुमार खाँ "अनपढ़" ताले का सच #newplace
paritosh@run
आखिर थक हार कर, लौट आया मै बाज़ार से.. उनकी यादो को बंद करने के ताले कही ना मिले.. ©paritosh@run ताले यादों के लिए ..