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Manmohan Dheer

ताले

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कभी ख़ुद को भी तो खोल के देखो 
ताले और कितने तुमने लगा रखे हैं
सफ़ाई भी कर ही लेना झाडू लेकर 
जाले जो यहाँ वहाँ तुमने लगा रखे हैं
.







 ताले

Manmohan Dheer

ताले

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परेशानी हर इक़ है ताला कहीं
हौसला तेरा है चाबी उसकी ही
रुकावटें बंद करती हैं राहें माना
चाहतें खोलती है रास्ते जानो भी
शक़ जैसे कोई शिकस्त खुद से
यकीं जैसे ताले की चाबी कोई
खुद में बंद खुद से ही खुले जो
कौन कैसा ताला कैसी चाबी कोई
.
धीर ताले

BSagar

#Sands ताले #loveshayari

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Manmohan Dheer

ताले कई

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परेशानी हर इक़ है ताला कहीं
हौसला तेरा है चाबी उसकी ही
रुकावटें बंद करती हैं राहें माना
चाहतें खोलती है रास्ते जानो भी
शक़ जैसे कोई शिकस्त खुद से
यकीं जैसे ताले की चाबी कोई
खुद में बंद खुद से ही खुले जो
कौन कैसा ताला कैसी चाबी कोई
.
धीर ताले कई

JD

आख़िर थक हारकर लौट आया मैं बाज़ार से
यादों को बन्द करने के ताले कहीं मिले नहीं

***** #ताले

#alonesoul

paritosh@run

यादों के ताले... #शायरी

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Sunil Pande Writer Content Creator

बाकी के मुंह पे ताले हैं #Nozoto #viral #Trending #Shayar #शायरी #shayri

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Praveen Jain "पल्लव"

जन जन की रोटी पर लगने वाले ताले थे #Life

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पल्लव की डायरी
पगडंडिया थी गांव तक
शहरों में मुकाम ना थे
खेती बाड़ी काम थे
फसलो के दाम ना थे
कभी बे मौसम बरसात ओलो से
कभी सूखा से प्रभावित थे
कर्जो में डूबे रहे जीवन
कभी बगावती सुर ना थे
खो रहे से अपनी पहचान
मगर जोत बचाये हुये थे
लेकिन इन तीन कानूनों में
हमारे डेथ वारेंट थे
कैसे ना घेरते दिल्ली को
जन जन की रोटी पर
लगने वाले सरकारी ताले थे
                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" जन जन की रोटी पर लगने वाले ताले थे

#Life

dilip khan anpadh

ताले का सच #newplace #कविता

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(ताले का सच)
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एक दिन मैंने ताले से पूछा
हाल क्या तेरा है 'भाया'
ताला थोड़ा उचककर बोला,
मालिक नहीं अभी तक आया।

गया परदेश चाभी न छोड़ा
पहले भी एक बार है तोडा
दर्द बयां न कर पाता हूँ
सदियों तक सब सह जाता हूँ।
जिम्मा है मुझपर ये भरी,
दौलत जो है अंदर सारी।

मैंने प्यार जता कर पूछा
नाम,पता और नंबर पूछा,
ताला आँख चढ़कर बोला
पलभर को मुझको वो तौला।
लिंक लॉक है मेरा नाम
लटका रहना मेरा काम
है नंबर से तुझको क्या काम।
नमक मैंने घर का है खाया,
मालिक ने विश्वास जताया
तुझसे क्यों मैं बात बढाऊँ
सांस सांस तक साथ निभाऊं,
बातों से मैं न खुल पाऊं।

चढ़ गई मेरी भी शान
चोट किया हथौडा तान,
ठक ठक कर वो शोर मचाया,
देख मेरा ये मन घबराया
वंही हथौड़ा भागा छोड़
वरना पकड़ा जाता चोर।

याद है उस ताले की बात
लटका रहता है दिन रात
नहीं छोड़ता है वो साथ
सह लेता है हर आघात।

है बजूद पर शान उसे
जिम्मेदारी का भान उसे
समझो न बेजान उसे
रखो पल पल ध्यान उसे।

दिलीप कुमार खाँ "अनपढ़" ताले का सच

#newplace

paritosh@run

ताले यादों के लिए .. #शायरी

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