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ज़हर
ज़हर काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर ©ज़हर #feelings #ज़हर ज़हर काश तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल, मैं तुझे भी रुला दू तेरे सितम सुना सुना कर 0 Anshu writer hardik Mahajan Sharm
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Rameshkumar Mehra Mehra
तु मेरी बो खुशी है.....! जो मै किसी को ना दूॅ..... ©Rameshkumar Mehra Mehra !# तू मेरी बो खुशी है,जो मै किसी को ना दूॅ......
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे दूर हों । जब शरण उनकी ठिकाना क्यों यहाँ मजबूर हों ।। आस जिसने भी लगाई वो न खाली हाथ है । जो न माने आज इनको वो बड़ा नादान है ।। डर नहीं इंसान तू अब.... राम के ही भक्त है वह राम का ही नाम लें । राम के वह नाम बिन देखो न कोई काम लें ।। राम का तू जाप कर ले राम ही आधार हैं । राम का ही नाम सुनकर खुश सदा हनुमान है ।। डर नहीं इंसान तू अब.... काम इस संसार में कोई हुआ ऐसा नही । दूत दानव दैत्य जो सुन नाम हनु कांपा नही ।। व्यर्थ फिर चिंता तुम्हारी है सुनो संसार में । सब सफल ही काज होंगे जब कृपा हनुमान है ।। डर नहीं इंसान तू अब... जानते हैं लोग भोलेनाथ के अवतार हैं । राम जी का काज करने को सदा तैयार हैं ।। इस जगत में भक्त इनसा सुन जगत में है नही । राम का ही नित्य करते ये सदा गुणगान हैं ।। डर नहीं इंसान तू अब .... डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। २३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे
Tarun Rastogi kalamkar
White एक नया तूफान उठा है मेरे भीतर। लिखने का अरमान जगा है मेरे भीतर। लिखनी थी जो बात नहीं मैं कह पाता हूँ, भावहीन बस शब्द छुपे है मेरे भीतर।। ©Tarun Rastogi kalamkar #तूफान
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
लिए त्रिशूल हाथों में गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा दो अर्ज़ मेरी भी। सुना हमने उसी दर से सभी पाते निवाले हैं ।।२ यही हमको निकालेंगे कभी बेटे बडे़ होकर । अभी जिनके लिए हमने यहाँ छोडे़ निवाले हैं ।।३ नहीं रोने दिया उनको पिया खुद आँख का पानी । दिखाते आँख अब वो हैं कि हम उनके हवाले हैं ।।४ किसी को क्या ख़बर पाला है मैंने कैसे बच्चों को वहीं बच्चे मेरी पगड़ी पे अब कीचड़ उछाले हैं।।५ यहाँ तुमसे भला सुंदर बताओ और क्या जग में । तुम्हारे नाम पर सजते यहाँ सारे शिवाले हैं ।।६ डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की । तेरे नज़दीक आते दिख रहे मुझको उजाले हैं । ७ प्रखर भाता नहीं बर्गर उन्हें भाता नहीं पिज्जा । घरों में रोटियों के जिनके पड़ते रोज़ लाले हैं ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लिए त्रिशूल हाथों में गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा द
LAKKI
White हालातों की विरुद्धता से नहीं डर, तू जानता है अपना मार्ग। संघर्षों की धारा में, तू ही खुद को बनाता है श्रेष्ठ। ©LAKKI हालातों की विरुद्धता से नहीं डर, तू जानता है अपना मार्ग। संघर्षों की धारा में, तू ही खुद को बनाता है श्रेष्ठ।
Mehfuza
White मेरी हर सांस अमानत है तेरी यादों की, ए- मेरी मोहब्बत तू ही बता, अब टूट कर इससे ज्यादा तुझे चाहूं तो कैसे? ©Mehfuza #SunSet मेरी हर सांस अमानत है तेरी यादों की, ए- मेरी मोहब्बत तू ही बता, अब टूट कर इससे ज्यादा तुझे चाहूं तो कैसे?
Ashutosh Mishra
White तू और तेरी यादें तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख ये कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। नहीं रही वो पहले सी चहल पहल उदास हो गया है एक के बाद एक ना जाने कितना दर्द सहा है। बड़ी बेरहमी से लूटा है लुटेरों ने इसकी आबरु को दर्द से कराह भी नही सकता,,दहशत में जी रहा है। कभी,,लगता था भाईचारे का मेला जहां इंसानियत वहीं तार तार हो रही है। सभी सामर्थवान सामर्थ की गंगा में हाथ धो रहें है असमर्थवान उनकी बनाई चक्की में पिस रहें है। अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #City तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। #शहर #तू_और_तेरी_यादें #दहशत #बेआबरू Babli BhatiBa
Ankit Singh
हे मनुष्य, तू पशुओं से अपनी श्रेष्ठता पर घमण्ड न कर, क्योंकि वे पापरहित हैं, और तू अपनी सारी महानता से जहां कहीं भी प्रकट होता है, पृय्वी को अशुद्ध करता है, और अपने पीछे एक घृणित निशान छोड़ जाता है - और यह सच है | ©Ankit Singh हे मनुष्य, तू पशुओं से अपनी श्रेष्ठता पर घमण्ड न कर, क्योंकि वे पापरहित हैं, और तू अपनी सारी महानता से जहां कहीं भी प्रकट होता है, पृय्वी को