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AJAY NAYAK
परिंदो से सिखो परिंदो से सिखो बैठकर उड़ जाना वापस फिर से वहीं लौट आना परिंदो से सिखो एक एक तिनका जमा करना जमा करके ख़ुद का नया आशियाना बनाना परिंदो से सिखो एक एक दाने का सम्मान करना चुग चुग कर ख़ुद परिवार का भरण पोषण करना परिंदो से सिखो नित नए आयाम बनाना आज यहां तो कल वहां तक का सफ़र तय करना परिंदो से सिखो, भले अलग अलग जाना जब भी लौटना, एक कतार बनाकर ही लौटना एकता क्या होती है ये परिंदो से ही पूछना झुंड में ही कहीं जाना झुंड में ही वापस लौटकर आना –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #परिंदे परिंदो से सिखो परिंदो से सिखो बैठकर उड़ जाना वापस फिर से वहीं लौट आना परिंदो से सिखो एक एक तिनका जमा करना जमा करके ख़ुद का नया आश
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
heart गोया जो लोग सच बोलने पर रह जाते है तन्हा, उन्हे झूठबाजी*जेबा नही देती//१*शोभा महफिले धूर्त में*सदाकत का क्या काम,के *सादिक लोगो को धूर्तबाजी जेबा नही देती//२ *धोखेबाज *सदाचार*सच्चा जो मजा मेहनतकश को सोने में है,वो ऊंघने में कहां, के मेहनतकशो को ऊंघबाजी जेबा नहीं देती//३ दरअसल झुंडो में तो लोमड सियार और*श्वान रहते है, के निडर शेर को झूंडबाजी जेबा नहीं देती//४*कुत्ते सुनो"शमा"*लज्जते तो*हक*परस्ती की*तन्हाई मेंही है के हकपरस्तो को गूटबाजी जेबा नही देती//५ *जायका*सच*पूज्यनीय *एकांत #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Heart#Nojoto गोया जो लोग सच बोलने पर रह जाते है तन्हा,उन्हे झूठबाजी*जेबा नही देती//१ *शोभा महफिले धूर्त में*सदाकत का क्या काम,के*सादिक लो
Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
अकेला वही चल सकता है.. जिसे खुद पे भरोशा होता है, वरना झुंड में तो जानवर भी चलते है..!! ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #snowpark अकेला वही चल सकता है.. जिसे खुद पे भरोशा होता है, वरना झुंड में तो जानवर भी चलते है..!!
Ravendra
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
वतन में काबिल के झुंडो ने मुस्लमा पे बरपा कहर रखा है,न घबराओ कबीला ए हाबील,तुमपे हर दौर में खुदा ने*मेंहर बसा रखा है//१ तुम तो चरवाह,खेमा ए बाशिंद हो,क्यूं अपनी हसरतों को,अब तुमने पक्के घरो के*दहर में बसा रखा है//२ मुसलमा तुझको ये तेरे टूटते घर उसी खुदा का इशारा है,के तुम्हारे खेमों को तो खुदा ने हमेशा से साहिल ए नहर बसा रखा है//३ तू खुदा से गाफिल क्या हुआ,आजमाइश में जा घिरा,अब वक्ते तकाजा है,पहचान खुदको,के तेरे गोशे गोशें में उसने मर्दे मुजाहिद की लहर को बसा रखा है//४ शमा तू कभी बातिल की कसरत से ना डरना,के हरेक बातिल पे उसी खुदा ने हर दौर में तेरा*मुसल्लत शहर बसा रखा है//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #akela वतन में काबिल के झुंडो ने मुस्लमा पे बरपा कहर रखा है,न घबराओ कबीला ए हाबील,तुमपे हर दौर में खुदा ने*मेंहर बसा रखा है//१ *कृपा,दया तु
Rishu singh
ये शोर भरी सड़के और शांत स मैं🙋 ये झुंड में दौड़ रहे लोग🏃🏃 और एक अकेला चल रहा मैं 🧑🦯 ये रात शांत सी है और मैं चीख रहा हु अंदर ही अंदर ©Rishu singh #Raat ये शोर भरी सड़के और शांत स मैं🙋 ये झुंड में दौड़ रहे लोग🏃🏃 और एक अकेला चल रहा मैं 🧑🦯 ये रात शांत सी है और मैं चीख रहा हु अंदर ही अंदर
Arya Manish Singer
Abhishek 'रैबारि' Gairola
कभी कभी मनुष्य को अपने आदिम युग को याद करना चाहिए, जब उसके पास नाम मात्र के संसाधन, सेवन हेतु मिट्टी से उपजा अन्न, पशु, बस यही सब थे। आवास रहित वह एक ठिकाने से दूसरे ठिकाने को भटकता रहता था। अपने छोटे से झुंड के साथ जिसे वह परिवार कहता था। अधिकतर परिस्थितियों में वह और उसका यह झुंड इस खानाबदोश यात्रा को पूरा भी नहीं कर पाता था। कभी प्रकृति, कभी बीमारी, कभी भूख या कभी किसी परभक्षी को अपना घुमतु जीवन सौंप आता था। फिर भी झेलने की क्षमता और प्रायोगिक नवीनता के दम पर आज, वह अपनी उस आदिम स्वयं से इतनी दूर आ गया है की उसे लगभग भूल ही गया है। पर जब वह किसी पर्वत के शिखर पर या उसकी वादी में उतर कर आकाश को निहारता है तब उसे अपने उस आदिम स्वयं का बोध होता है। इन पाशणों के बीच तब शायद वह नग्न, शुद्ध, और ईश्वर के निकट महसूस करता है। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola कभी कभी मनुष्य को अपने आदिम युग को याद करना चाहिए, जब उसके पास नाम मात्र के संसाधन, सेवन हेतु मिट्टी से उपजा अन्न, पशु, बस यही सब थे। आवास र
gaTTubaba
निकला हाथी का बच्चा झुंड से अलग जो क्या जंगल कुचल देगा ? जंगल दहशत मैं हैं लगाम नहीं किसीकी ना बंधन किसीका हैं मजबूत शरीर से अपने क्या मजबूर को घायल करेगा ? मजबूर दहशत मैं हैं जिद पे अड़ा हैं लेकिन रास्ते मैं पेड़ बड़ा हैं जानता हैं उसकी ताकत फिर भी सामने खडा हैं मिट जायेगा आसानी से पेड़ भी दहशत मैं है बलवान के कदम भी पीछे आ गए जब पेड़ पर उसे बसे बसाए परिवार दिख गए अपनी नवाबी जिद की अस्थियां बहाकर हारकर भी अपनी वो आया हैं जीत लेकर सब जान गए की असली जीत तो मोहब्बत मैं हैं इसीलिए नफरत दहशत मैं हैं!!!! ©gaTTubaba #boat निकला हाथी का बच्चा झुंड से अलग जो क्या जंगल कुचल देगा ? जंगल दहशत मैं हैं लगाम नहीं किसीकी ना बंधन किसीका हैं मजबूत शरीर से अपने
N S Yadav GoldMine
महाभारत: स्त्री पर्व षोडष अध्याय: श्लोक 22-43 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📚 उन महामनस्वी वीरों के सुवर्णमय कवचों, निष्कों, मणियों, अंगदों, के यूरों और हारों से समरांगण विभूषित दिखाई देता है। कहीं वीरों की भुजाओं से छोड़ी गयी शक्तियां पड़ी हैं, कहीं परिध, नाना प्रकार के तीखे खग और बाणसहित धनुष गिरे हुए हैं। कहीं झुंड के झुंड मांस भक्षी जीव-जन्तु आनन्द मग्न होकर एक साथ खड़े हैं, कहीं वे खेल रहे हैं और कहीं दूसरे-दूसरे जन्तु सोये पड़े हैं। 📚 वीर। प्रभो। इस प्रकार इन सबसे मरे हुए युद्धस्थल को देखो। जनार्दन। मैं तो इसे देखकर शोक से दग्ध हुई जाती हूं। मधुसूदन। इन पान्चाल और कौरव वीरों के मारे जाने से तो मेरे मन में यह धारणा हो रही है कि पांचो भूतों का ही विनाश हो गया । उन वीरों को खून से भीगे हुए गरूड़ और गीध इधर - उधर खींच रहे हैं। 📚 सहस्त्रों गीध उनके पैर पकड़ - पकड़ कर खा रहे हैं, इस युद्ध में जयद्रथ, कर्ण, द्रोणाचार्य, भीष्म और अभिमन्यु- जैसे वीरों का विनाश हो जायेगा, यह कौन सोच सकता था? जो अवध्य समझे जाते थे, वे भी मारे गये और अचेत एवं प्राणशून्य होकर यहां पड़े हैं। गीध, कंक, बटेर, बाज, कुत्ते और सियार उन्हें अपना आहार बना रहे हैं। 📚 दुर्योधन के अधीन रहकर अमर्ष के वशीभूत हो ये पुरुष सिंह वीरगण बुझी हुई आगे के समान शान्त हो गये हैं। इनकी ओर दृष्टिपात तो करो। जो लोग पहले कोमल बिछौनों पर सोया करते थे, वे सभी आज मरकर नंगी भूमि पर सो रहे हैं। 📚 जिन्हें सदा ही समय-समय पर स्तुति करने वाले बन्दीजन अपने वचनों द्वारा आनन्दित करते थे, वे ही अब सियारिनों की अमंगल सूचक भांति - भांति की बोलियां सुन रहे हैं। जो यशस्वी वीर पहले अपने अंगों में चन्दन और अगुरू चूर्ण से चर्चित हो सुखदायिनी शययाओं पर सोते थे, वे ही आज धूल में लोट रहे हैं। 📚 उनके आभूषणों को ये गीध, गीदड़ और भयानक गीदडियां बारबार चिल्लाती हुई इधर -उधर फेंकती हैं । ये सभी युद्धाभिमानी वीर जीवित पुरुषों की भांति इस समय भी तीखे बाण, पानीदार तलवार और चमकीली गदाऐं हाथों में लिये हुए हैं। 📚 सुन्दर रूप और कान्तिवाले, सांडों के समान हष्ट-पुष्ट तथा हरे रंग के हार पहने हुए बहुत से योद्धा यहा सोये पड़े हैं और मांसभक्षी जन्तु इन्हें उलट-पलट रहे हैं। परिध के समान मोटी बाहों वाले दूसरे शूरवीर प्रेयसी युवतियां की भांति गदाओं का आलिंगन करके सम्मुख सो रहे हैं। जनार्दन। बहुत से योद्धा चमकीले योद्धा चमकीले कवच और आयुध धारण किये हुए हैं, 📚 जिससे उन्हें जीवित समझकर मांसभक्षी जन्तु उन पर आक्रमण नहीं करते हैं। दूसरे महामस्वी वीरों को मांसाहारी जीव इधर-उधर खींच रहे हैं, जिससे सोने की बनी हुई उनकी विचित्र मालाएं सब ओर बिखर गयी हैं। यहां मारे गये यशस्वी वीरों के कण्ठ में पड़े हुए हीरों को ये सहत्रों भयानक गीद़ड़ खींचते और झटकते हैं। 📚 बृष्णिसिंह। प्रायः प्रत्येक रात्रि के पिछले पहर में सुशिक्षित बन्दीजन उत्तम स्तुतियों और उपचारों द्वारा जिन्हें आनन्दित करते थे, उन्हीं के पास आज ये दु:ख और शोक से अत्यन्त पीडि़त हुई सुन्दरी युवतियां करूण विलाप कर रही हैं। केशव। इन सुन्दरियों के सूखे हुए सुन्दर मुख लाल कमलों के समूह की भांति शोभा पा रहे हैं। ©N S Yadav GoldMine #RABINDRANATHTAGORE महाभारत: स्त्री पर्व षोडष अध्याय: श्लोक 22-43 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📚 उन महामनस्वी वीरों के सुवर्णमय कवचों, निष्को