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AJAY NAYAK

#परिंदे परिंदो से सिखो परिंदो से सिखो बैठकर उड़ जाना वापस फिर से वहीं लौट आना परिंदो से सिखो एक एक तिनका जमा करना जमा करके ख़ुद का नया आश #lover #कविता

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Heart गोया जो लोग सच बोलने पर रह जाते है तन्हा,उन्हे झूठबाजी*जेबा नही देती//१ *शोभा महफिले धूर्त में*सदाकत का क्या काम,के*सादिक लो #Live #Trending #writersofindia #nojotohindi #शायरी #shamawritesBebaak

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Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).

#snowpark अकेला वही चल सकता है.. जिसे खुद पे भरोशा होता है, वरना झुंड में तो जानवर भी चलते है..!! #Life

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Ravendra

सीमावर्ती इलाके में छुट्टा जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बहराइच जिले के साथ नवाबगंज ब्लाक के बाबागंज,चरदा,जमोग,बरवलिया क्षेत्र में #न्यूज़

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#akela वतन में काबिल के झुंडो ने मुस्लमा पे बरपा कहर रखा है,न घबराओ कबीला ए हाबील,तुमपे हर दौर में खुदा ने*मेंहर बसा रखा है//१ *कृपा,दया तु #shamawritesBebaak

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Rishu singh

#Raat ये शोर भरी सड़के और शांत स मैं🙋 ये झुंड में दौड़ रहे लोग🏃🏃 और एक अकेला चल रहा मैं 🧑‍🦯 ये रात शांत सी है और मैं चीख रहा हु अंदर ही अंदर #ज़िन्दगी

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Arya Manish Singer

आरंभ है प्रचंड बोले मस्तको के झुंड | Aarambh hai Prachand | Full Song | with हिन्दी/HINDI LYRICS #Shayari

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Abhishek 'रैबारि' Gairola

कभी कभी मनुष्य को अपने आदिम युग को याद करना चाहिए, जब उसके पास नाम मात्र के संसाधन, सेवन हेतु मिट्टी से उपजा अन्न, पशु, बस यही सब थे। आवास र #poem #writing #कविता #nojotohindi #शायरी #विचार

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कभी कभी मनुष्य को अपने आदिम युग को याद करना चाहिए, जब उसके पास नाम मात्र के संसाधन, सेवन हेतु मिट्टी से उपजा अन्न, पशु, बस यही सब थे। आवास रहित वह एक ठिकाने से दूसरे ठिकाने को भटकता रहता था। अपने छोटे से झुंड के साथ जिसे वह परिवार कहता था। अधिकतर परिस्थितियों में वह और उसका यह झुंड इस खानाबदोश यात्रा को पूरा भी नहीं कर पाता था। कभी प्रकृति, कभी बीमारी, कभी भूख या कभी किसी परभक्षी को अपना घुमतु जीवन सौंप आता था। फिर भी झेलने की क्षमता और प्रायोगिक नवीनता के दम पर आज, वह अपनी उस आदिम स्वयं से इतनी दूर आ गया है की उसे लगभग भूल ही गया है। पर जब वह किसी पर्वत के शिखर पर या उसकी वादी में उतर कर आकाश को निहारता है तब उसे अपने उस आदिम स्वयं का बोध होता है। इन पाशणों के बीच तब शायद वह नग्न, शुद्ध, और ईश्वर के निकट महसूस करता है।

©Abhishek 'रैबारि' Gairola कभी कभी मनुष्य को अपने आदिम युग को याद करना चाहिए, जब उसके पास नाम मात्र के संसाधन, सेवन हेतु मिट्टी से उपजा अन्न, पशु, बस यही सब थे। आवास र

gaTTubaba

#boat निकला हाथी का बच्चा झुंड से अलग जो क्या जंगल कुचल देगा ? जंगल दहशत मैं हैं लगाम नहीं किसीकी ना बंधन किसीका हैं मजबूत शरीर से अपने #शायरी

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N S Yadav GoldMine

#RABINDRANATHTAGORE महाभारत: स्‍त्री पर्व षोडष अध्याय: श्लोक 22-43 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📚 उन महामनस्वी वीरों के सुवर्णमय कवचों, निष्को #पौराणिककथा

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