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PRAVEEN YADAV

ऋग्वेद #पौराणिककथा

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महेन्द्र चाहर

ऋग्वेद #nojotophoto

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 ऋग्वेद

vishnu prabhakar singh

#फक्कड़ संहिता

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अकूत

मौज नहीं है 
कथित सजगता ने उसे खा लिया है 
निवाला नहीं है मौज 
दायरा विहिन है मौज 
आचरण तारत्मयता जिसे भ्रष्ट करती हो 
वो मौज 
नहीं है !
शून्य के साथ है मौज 
ऊँचाई की पराकाष्ठा है मौज 
यह युग नहीं है इस दिवा का 
अर्थ आधार भी खो चुका है मौज 
तृष्णा बन कर रह गया बेचारा 
अंश चाहिये तो मृत्यू होगी अनेक 
डर है 
मौज नहीं है !
निभाया नहीं जा सकता मौज 
अभ्यास से प्रभाव विहिन हो जाता मौज 
मौज नहीं तो मौज की संभावना भर 
मस्ती नहीं है मौज 
निर्वाण के समकक्ष वाला 
स्वर्ण-स्तम्भ 
छटकता य़ायावरी 
ब्रह्म से घिरा पदम् 
विभूषण है मौज 
अलंकार नहीं है 
मौज नहीं है 
अभी चरम पर गया हुआ है !
मौज प्रेम है 
अखंडता है,जीवंत है,कगार है 
लक्ष्य है 
चाहत,संतुष्टी नहीं है मौज 
विकास है मौज 
करूणा है मौज 
अहिंसा है मौज 
कविता है मौज 
अद्भूत सरिता है मौज 
आज सामुहिकता खास है मौज 
सबका साथ सबका विकास है मौज !!
विप्रणु #फक्कड़ संहिता

Bishnu kumar Jha

ऋग्वेद उक्ति #समाज

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सुरेश चौधरी

ऋग्वेद 8,49,4

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सुरेश चौधरी

ऋग्वेद 8,49,4

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ऋग्वेद 8.49.4
समानी व आकूति: समाना ह्रदयानि व:।
समानमस्तु वो मनो यथा व: सुसहासति॥


गीतिका छंद :
एक  हो  उद्देश्य  संगत  सी  हमारी  भावना
हो   विचारों  की  हमारी  एकता  प्रस्तावना
विश्व  जैसे  आज  एकत्रित  यहां  है एकता
सब असमता दूर हो जागो यहां प्रभु देखता ऋग्वेद 8,49,4

Santosh Kumar

भजन संहिता 16 #जानकारी

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Jesus Lif

भजन संहिता #भजनसंहिता #विचार

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1 क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! 
भजन संहिता 1:1

2 परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। 
भजन संहिता 1:2

3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥ 
भजन संहिता 1:3

4 दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है। 
भजन संहिता 1:4aaaaaa1a1

5 इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे; 
भजन संहिता 1:5

6 क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा॥ 
भजन संहिता 1:6

©Jesus Lif भजन संहिता
#भजनसंहिता

Durga Banwasi Shiwakoti

#ऋग्वेद प्रथम सूक्ति #पौराणिककथा

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वेदों की दिशा

।।ॐ।।
स्वादो पितो मधो पितो वयं त्वा ववृमहे।
अस्माकमविता भव॥

पद पाठ

स्वादो॒ इति॑। पितो॒ इति॑। मधो॒ इति॑। पि॒तो॒ इति॑। व॒यम्। त्वा॒। व॒वृ॒म॒हे॒। अ॒स्माक॑म्। अ॒वि॒ता। भ॒व॒ ॥



हे परमेश्वर! आपने स्वादिष्ट अन्नों  और मधुर पेयों की हमारे लिए रचना की है। आप हमारी रक्षा करें और यह अन्न और पेय हमारे जीवन की सुरक्षा और पोषण के लिए सदैव हमें प्राप्त होते रहें।

Oh God!  You have created delicious foods and  honeysweet drinks for us. You protect us and we may always keep receiving such food and drink for the protection and nutrition of our lives.  (Rig Veda 1–187–2)

(ऋग्वेद » मण्डल:१» सूक्त:१८७» मन्त्र:२ | अष्टक:२» अध्याय:५» वर्ग:६» मन्त्र:२ | मण्डल:१» अनुवाक:२४» मन्त्र:२) #Beauty 
#ऋग्वेद
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