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Vivek
पूर्व जन्म की किसी प्यारी कहानी जैसा प्यार...!!! ©Vivek # पूर्व जन्म
BANDHETIYA OFFICIAL
याद आता है रामानंद सागर के श्री कृष्ण धारावाहिक का महर्षि उत्तंग और कृष्ण की भेंट का दृश्य- दोषी कृष्ण उत्तंग की दृष्टि में महाभारत न रोक पाने के और शाप देने को उद्यत उत्तंग ,तब कहा कृष्ण ने सीधे-सीधे और सटीक- मुझसे,मेरी इच्छा से शाप फलित होता , मैं तो सबसे परे । क्यूं व्यर्थ तुम नष्ट करते तपोबल , हो जाएगा शून्य पुण्य वह, हो जायेगी क्षीण वो शक्ति । मैं तो बस हूंगा, हूं,निष्प्रभाव । रही गांधारी की बात तो, शाप फलित होगा- मैं चाहूं, जानूं कल क्या होना और हमारे परिजन कैसे और क्या पायें परिणाम ! निष्कर्ष :--- बस गांधी को कोसते जन से है कहना- मत उत्तंग बनो, कृष्ण-चिरंतन हैं गांधी होते जाते सनातन और बधिक का नाम भुलेगा पूर्व जन्म का बाली वानर ! ©BANDHETIYA OFFICIAL कृष्ण-बधिक ! अधिक से अधिक पूर्व जन्म का बाली-वानर! #BookLife
aashaSaini
King of Darkness Storyteller
Akash Das
#Why_Need_TrueWorship भौतिक सुविधाएं होने पर यदि कोई सत्य भक्ति नहीं करता तो वह व्यक्ति पूर्व जन्मों में की गयी भक्ति का ही फल भोग रहा है। आ
सोमेश त्रिवेदी
सदाबहार/ सोमेश त्रिवेदी ओ सदाबहार! हो कोमल सुकुमार, पर जीवटता के पर्याय हैं तेरे उद्गार। लगता है कि जैसे तुमने पाया है वरदान, या पूर्व जन्म के कर्मों का पाया है परिणाम। फलित हुआ कृत कर्म वही, जो जीवटता तुमने पाई, जब भी देखूं यूं लगता है, हर्षित है तरुनाई। #NojotoQuote सदाबहार/ सोमेश त्रिवेदी ओ सदाबहार! हो कोमल सुकुमार, पर जीवटता के पर्याय हैं तेरे उद्गार। लगता है कि जैसे तुमने पाया है वरदान,
Ravi Shankar Kumar Akela
क्या आप जानते हैं कि किस्मत क्या है? पहले में पूर्व जन्म के कर्मों के उदय को किस्मत समझता था, परंतु ज्योतिष शिक्षा के दौरान मुझे समझ में आया कि वर्तमान में हम लोगों के द्वारा किए गए कर्मों को भी जोड़ने पर भाग्य का पूर्ण परिणाम प्राप्त होता है, यही किस्मत है। ©Ravi Shankar Kumar Akela #Aasmaan क्या आप जानते हैं कि किस्मत क्या है? पहले में पूर्व जन्म के कर्मों के उदय को किस्मत समझता था, परंतु ज्योतिष शिक्षा के दौरान मुझे सम
Buddhi Prakash Jangid
नैवाकृतिः फलति नैव कुलं न शीलं विद्यापि नैव न च यत्नकृतापि सेवा भाग्यानि पूर्वतपसा खलु संचितानि काले फलन्ति पुरुषस्य यथैव वृक्षाः । ©Buddhi Prakash Jangid * नैवाकृतिः फलति नैव कुलं न शीलं * * विद्यापि नैव न च यत्नकृतापि सेवा * * भाग्यानि पूर्वतपसा खलु संचितानि * *काले फलन्ति पुरुषस्य यथैव वृक्
हिमपुत्री किरन पुरोहित
बृजराजकुंवर की लीला (दोहे) निकले बृज की वीथि में, ज्यों सांवल बृजराज । रीझ गईं बृज गोपियां , देख मधुर सब साज ।। कोई कह मम लाल री , कोई वचन पुनीत । कोई सकुचाती कहे , पूर्व जन्म को मीत ।। पूर्व जन्म की योगिनीं , धर गोपी का वेश। चूम चूम कर नाथ को , देत प्रेम संदेश ।। करो ब्याह हमसे कहें , गोपी करें विहास । रूठे तब गोपाल जी , दौड़े मां के पास ।। मां बृज की सब गोपियां , हमको रहीं सताय। कहती हम उनके पिया , तुमको सास बताय ।। हंसकर मात बोलती , देती पूत उठाय । हाय बावरी गोपियां , उन्हें कौन समझाय ।। कहे किरन ये मोहनी , मोहन रहे बिछाय । हाय नंद के लाल को , कोय न नजर लगाय।। ......................... किरन पुरोहित "हिमपुत्री" mohan ki leela madhuri .................................. विषय....बृजराजकुंवर की लीला विधा....... दोहा बृजराजकुंवर की लीला
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
*इस चित्र पर ध्यान दें* इस चित्र के बारे में कहा गया है..... की हाथी हमारे पूर्व जन्म कि कर्म है। कुएं में जो सर्प हैं वह भविष्य जन्म के कर्म है। वृक्ष की शाखा वर्तमान जीवन है। इस शाखा रुपी जीवन को सफेद चूहा (दिन) और काला चूहा (रात्रि) बनकर, शाखा (जीवन) को कुतर रहे हैं। ऐसी स्थिति में परमात्मा मनुष्य को हाथ बढ़ाकर थाम रहे हैं पुकार रहे हैं।.........…किंतु मनुष्य मधुमक्खी के छत्ते से टपक रही शहद के बूंद(पाप कर्म) चूसने में इतना मस्त है और इतना व्यस्त हैं कि परमात्मा उसे दिखाई नहीं दे रहे या देख कर भी अनदेखा कर रहा है?............. ।।भज गोविंदम भज गोविंदम।। ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust *इस चित्र पर ध्यान दें* इस चित्र के बारे में कहा गया है..... की हाथी हमारे पूर्व जन्म कि कर्म है। कुएं में जो सर्प हैं वह भविष्य जन्म के क