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कर्म गोरखपुरिया
जय श्रीराम 🚩 ©कर्म भक्त कवि [आशीष मिश्रा] रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित वह चौपाई जिसमें परशुराम जी प्रभु श्री राम की तारिफ कर रहे हैं #रामायण #रामचरितमानस DEWANG T
motivationsujitakmishra
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥1॥ भावार्थ:-अक्षरों, अर्थ समूहों, रसों, छन्दों और मंगलों को करने वाली सरस्वतीजी और गणेशजी की मैं वंदना करता हूँ॥1॥ *भवानीशंकरौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ। याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाः स्वान्तःस्थमीश्वरम्॥2॥ भावार्थ:-श्रद्धा और विश्वास के स्वरूप श्री पार्वतीजी और श्री शंकरजी की मैं वंदना करता हूँ, जिनके बिना सिद्धजन अपने अन्तःकरण में स्थित ईश्वर को नहीं देख सकते॥2॥ *वन्दे बोधमयं नित्यं गुरुं शंकररूपिणम्। यमाश्रितो हि वक्रोऽपि चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते॥3॥ भावार्थ:-ज्ञानमय, नित्य, शंकर रूपी गुरु की मैं वन्दना करता हूँ, जिनके आश्रित होने से ही टेढ़ा चन्द्रमा भी सर्वत्र वन्दित होता है॥3॥ *सीतारामगुणग्रामपुण्यारण्यविहारिणौ। वन्दे विशुद्धविज्ञानौ कवीश्वरकपीश्वरौ॥4॥ भावार्थ:-श्री सीतारामजी के गुणसमूह रूपी पवित्र वन में विहार करने वाले, विशुद्ध विज्ञान सम्पन्न कवीश्वर श्री वाल्मीकिजी और कपीश्वर श्री हनुमानजी की मैं वन्दना करता हूँ॥4॥ *उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्। सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्॥5॥ भावार्थ:-उत्पत्ति, स्थिति (पालन) और संहार करने वाली, क्लेशों को हरने वाली तथा सम्पूर्ण कल्याणों को करने वाली श्री रामचन्द्रजी की प्रियतमा श्री सीताजी को मैं नमस्कार करता हूँ॥5॥ ©poetsujeet #रामचरितमानस #रामायण #spiritual #भक्ति #worship
Rimpi chaube
Mujhe toh taraz aata hai inpar aur in jaisoon par सपा नेता मौर्य:-मानस की कुछ चौपाइयों स्त्री विरोधी हैं, इसलिए इन चौपाइयों को हटा दिया जाए! मैं:- . ©Rimpi chaube #रामचरितमानस
Kaushal Kumar
तुलसीदास जी 15वीं शताब्दी में थे। यानी आज से करीब 700 वर्ष पूर्व। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखा। इन बीते हुए 700 वर्षों में। न जाने कितने विद्वान, आलोचक, प्रशंसक पैदा हुए। परंतु किसी ने भी रामचरितमानस वैसे नही पढ़ा। जैसे कि आज के राजनीतिज्ञ इसे पढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए है। क्यों कि आज के राजनीतिज्ञ, पढ़ते बहुत हैं। और सब इसे खूब पढ़ रहे हैं। ......कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #रामचरितमानस
Kaushal Kumar
तुलसीदास जी 15वीं शताब्दी में थे। यानी आज से करीब 450 वर्ष पूर्व। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखा। इन बीते हुए 450 वर्षों में। न जाने कितने विद्वान, आलोचक, प्रशंसक पैदा हुए। परंतु किसी ने भी रामचरितमानस वैसे नही पढ़ा। जैसे कि आज के राजनीतिज्ञ इसे पढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए है। क्यों कि आज के राजनीतिज्ञ, पढ़ते बहुत हैं। सब इसे खूब पढ़ रहे हैं। ...........कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #रामचरितमानस
Kaushal Kumar
तुलसीदास जी 15वीं शताब्दी में थे। यानी आज से करीब 450 वर्ष पूर्व। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखा। इन बीते हुए 450 वर्षों में। न जाने कितने विद्वान, आलोचक, प्रशंसक पैदा हुए। परंतु किसी ने भी रामचरितमानस वैसे नही पढ़ा। जैसे कि आज के राजनीतिज्ञ इसे पढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए है। क्यों कि आज के राजनीतिज्ञ, पढ़ते बहुत हैं। सब इसे खूब पढ़ रहे हैं। ...........कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #रामचरितमानस
RAVINANDAN Tiwari
अब सुनु परम बिमल मम बानी। सत्य सुगम निगमादि बखानी।। निज सिद्धांत सुनावउँ तोही। सुनु मन धरु सब तजि भजु मोही।। मम माया संभव संसारा। जीव चराचर बिबिधि प्रकारा।। सब मम प्रिय सब मम उपजाए। सब ते अधिक मनुज मोहि भाए।। -रामचरितमानस #Ram_Navmi #रामचरितमानस