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malay_28

#कहो आना हुआ कैसे #शायरी

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Naveen Bothra

तीर्थंकर का जन्म...कल्याण के लिए #विचार

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Praveen Jain "पल्लव"

#mothers_day माँ का कर्ज जन्म जन्म तक नही उतर सकते है #nojotohindi #कविता

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Keshav kumar

#vishnubhagwan #लोगो का दिल कैसे जीते # #Motivational

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rakesh

घर का सपोर्ट कैसे दे #House #viral #hunarbaaz

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Ali sir (A+A)

जलता हुआ मक़ान किसी दूसरे का है #SAD

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Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग द #Bhakti

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आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

यही जीवन चक्र सृजन हुआ
जिसका नष्ट भी होना तय उसका
सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी

त्याग देगा, भर जायेगा, मन इस तन से 
मन तो अज़र है बस कर्मों पे निर्भर है 

कर्म अच्छे होंगें जितने तन पायेगा वैसा
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

गणित यहाँ माया का वहाँ कर्मों का
हिसाब किताब जैसा वैसा तन

पायेगा भोगेगा क्या फिर से मन को भी न
मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस तन को

©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

यही जीवन चक्र सृजन हुआ
जिसका नष्ट भी होना तय उसका
सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी

त्याग द

malay_28

#कैसे कैसे लोग #शायरी

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Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेग #Life

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आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म "मन" का, मरण " तन" का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका 
सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी

त्याग देगा भर जायेगा "मन", इस तन से 
"मन" चंचल पर अज़र बस निर्भर कर्मों पर 

कर्म होंगें जैसे "मन" जन्म का "तन" पायेगा वैसे 
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

हिसाब किताब सब यहाँ होता पैसों से 
वैसे मन का होता वहाँ सब कर्मों से 

पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से चंचल
"मन" को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न

कभी इस "तन" को ...!

©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका 
सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी

त्याग देगा भर जायेग

Bharat Bhushan pathak

जन्म-जन्म की पूँजी हरिगुण। अगर कृपा अन्त होय दुर्गुण।। #Poetry

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जन्म-जन्म की पूँजी हरिगुण।
अगर कृपा अन्त होय दुर्गुण।।

©Bharat Bhushan pathak जन्म-जन्म की पूँजी हरिगुण।
अगर कृपा अन्त होय दुर्गुण।।
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