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Parasram Arora
ऊबी हुआ जिंदगी को हुनर नया चाहिय्ये खेल नया चाहिए ठहरी हुई नदी को प्रवाह नया चाहिए मोड़ नया चाहिए ये जीवन का मरुस्थल तृषित है युगो से इसकी व्यथा को इन सिरफिरे बादलो को समझ लेनी चाहिए मील का पथ्हर तो अब भी है पर उन पर इबारत मिट चकी है गाँव मेरा कितनी दूर क्यों न हर पथर को जान लेना चाहिए जीवन. कितना लघु और समय भी कितना कम है अब तो शेष जीवन को प्रभु स्मरण मे लगा देना चाहिए #ऊबी हुई जिंदगी.....
Parasram Arora
...ऊबी हुई जिंदगी को हुनर नया चाहिए.... खेल नया चाहिए ठहरी हुई नदी को बहाव नया चाहिए.. मोड़ नया चाहिए ये मरुस्थल तृषित है युगो से इसकी व्यथा सिरफिरे बादल को समझनी चाहिए ऊबी हुई है जिंदगी
Shalvi Singh
"कभी ऊबी हुई जिंदगी से भी निकलो और देखो कि ये जिंदगी तुम्हें कैसे सँवारती है।" ©Shalvi Singh कभी ऊबी हुई जिंदगी। #bonding
Beena
*नाले मेरे रूह के* नाले मेरे रूह के जा के तेरे रुह तक हो के अनसुने लौट आते हैं वापस मुझतक हो जाते हैं फिर क़ैद-ए - मकां कहने को तो हैं यादें तिलस्मी पर यही देते हैं आंखों को नमी सहरा जब बन जाता है दिल का मेरे ज़मीं यादें ही भिगो देती हैं बन कर इक रवां नाले मेरे रूह के........ दिल में रही हरदम इक हलचल चलते रहे फिर भी हम मुसलसल हुआ ना कुबूल कोई तेरे बाद दिल को वजह-ए- तस्कीं यहां नाले मेरे रूह के........ (नाले- चीख पुकार क़ैदे मकां- मकान में बंद सहरा- रेगिस्तान रवां- झरना मुसलसल- लगातार वजह-ए-तस्कीं- सुकून का जरिया) स्वरचित रचना बीना राय गाजीपुर, उत्तर प्रदेश ©Beena # नाले मेरे रूह
Jamgirl
ज़िन्दगी अब उस मोड़ पर है जहा सबसे राबता तो है मगर किसी से वास्ता नहीं। रिश्तों के कई रंग,कई मोड़,कई पहलू...
SUNIL KUMAR VERMA
प्रतिलिपि मे प्रकाशित स्वरचित कविता *कई* https://pratilipi.page.link/8S5phwko85wHr4ae9 ©SUNIL KUMAR VERMA कई