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M S A
एक दिन मैं कहीं जा रहा था। तो रास्ते में मुझे जिंदगी मिली मैंने पूछा कहां जा रही हो,तो बोली मौत की तलाश करने कुछ दूर बाद मौत मिली मैंने उससे भी पूछा कहां जा रही हो ,तो वह बोली जिंदगी की तलाश करने जब वह दोनों मिली तो फिर हम न रहे। ©M S A जिंदगी,मौत और हम
Shalini Kaushik
दरिया-ए-जिंदगी की मंजिल मौत है , आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है . ............................................................... बाजीगरी इन्सां करे या कर ले बंदगी , मुक़र्रर वक़्त पर मौजूद मौत है . ................................................................. बेवफा है जिंदगी न करना मौहब्बत , रफ्ता-रफ्ता ज़हर का अंजाम मौत है . ............................................................... महबूबा बावफ़ा है दिल के सदा करीब , बढ़कर गले लगाती मुमताज़ मौत है . ................................................................. महफूज़ नहीं इन्सां पहलू में जिंदगी के , मजरूह करे जिंदगी मरहम मौत है . ................................................................. करती नहीं है मसखरी न करती तअस्सुब, मनमौजी जिंदगी का तकब्बुर मौत है . ................................................................ ताज्जुब है फिर भी इन्सां भागे है इसी से , तकलीफ जिंदगी है आराम मौत है . ................................................................. तक़रीर नहीं सुनती न करती तकाजा , न पड़ती तकल्लुफ में तकदीर मौत है . ..................................................................... तजुर्बे ''शालिनी''के करें उससे तज़किरा , तख्फीफ गम में लाने की तजवीज़ मौत है . ..................................................................... शालिनी कौशिक [कौशल] ©Shalini Kaushik #मौत तकलीफ जिंदगी है, आराम मौत है. #Rose
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी सर्द हवाये नस नस में समायी जाती है सारे शरीर को जकड़े जाती है खुले है आसमान बूंदा वादी से सताती है हाय ये मौसम की मार कपकपी से हाल बुरा कराती है अलाव जलाकर बैठा रहूँ तब गर्माहट से साँसे चैन पाती है मौसमो की मार झेलते झेलते साल दर साल उम्र सर्दी गर्मी वरसात में बीती जाती है कभी कुदरत की मार,कभी सरकारों की मार छटपटाती जिंदगी दुश्वार होयी जाती है अधमरी जिंदगी मौत को रोज गले लगाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Winter अधमरी जिंदगी मौत को रोज गले लगाती है #Winter
KUNDAN KUNJ
दिवाना था पागल था उसके लिए दिल कई वर्षों से घायल था। सोचा कई दफा बता दूँ उसे बस मन यही सोच घबराता था टूट जायेगी अपनी यारी छूट जायेगी अपनी गाड़ी यह सोच हर बार जी चुराता था।। दिवाना था पागल था उसके लिए दिल कई वर्षों से घायल था।। डर जिंदगी को और डराती मौत को हमेशा अपने करीब लाती है।।
Alok Sharma
मेरी खामोशी का कोई हल निकाला ए खुदा मेरी मौत मुझसे चिक चिक के सवाल बहुत करती है ©Alok Sharma हम दिल को दिल हम को समझाता हैं चलते चलते जिंदगी के साथ मौत का रिश्ता निभाते हैं
Anil Tuli
न कोई मेरी मंजिल है न कोई किनारा तन्हाई मेरी महफ़िल और यादें मेरा सहारा उनसे बिछड़ कर कुछ यूँ वक्त गुजारा कभी जिंदगी को तरसे कभी मौत को पुकारा कभी जिंदगी को तरसे कभी मौत को पुकारा