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Babli BhatiBaisla
झूठे और ओछे मक्कार महात्मा को कोई नहीं पूछता काले पड़ गए मैले मनको को कोई नहीं पूजता आर्यो की धरती पर शास्त्रों का ऊंचा स्थान है भारत मां के शास्त्रियों की विश्व में अलग पहचान है लाल बहादुर शास्त्री हो या धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री दोनों ने साबित कर दिखाया गरीबी नहीं पिछाड़ती महानता में पिछड़ जाते हैं धनाढ्य भी नीयत से बहुत मूर्ख लगते हैं भूख हड़ताल का नाटक करते हष्ट-पुष्ट काटा है लम्बा सफ़र आंखें मूंद कर अनपढ बहुत थे पढ़ कर समझ गए सभी जयचंद और शकुनि कौन थे बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla नाटक
Sanjay Ni_ra_la
ग़र कुछ है दरम्यान हमारे एक इशारा तो करो जो हैं फ़ासले दरम्यान उससे किनारा तो करो मुहब्बत वोहब्बत नहीं जानते हम निराला चाहता है कोई तुम्हें दिल से कभी समझा तो करो ©Sanjay Ni_ra_la गर है कुछ दरम्यान तो ...
Parasram Arora
कुछ सपन ऐसे जो कभी पूरे नहीं होते और कुछ नाटक ऐसे जो ताउम्र साथ चलते हैं आसान नहीं होता उनसे पीछा छुड़ाना एक खत्म होता नहीं और एक जो कभी पूरा होता नहीं ©Parasram Arora सपन और नाटक
Usha bhadula
नाटकीय रूपांतरण पात्र: हेमंत छुट्टी में घर आया है कहानी की नायक। राजवंती: हेमंत की माँ किशोर: पिता गीता: बहन वीर: अनुज रानी: मंगेतर हेमंत; माँ आज अच्छा सा कुछ बनाना बहुत दिन हो गए तेरे हाथ का खाना खाये। राजवंती; हाँ हाँ क्यों नहीं पांच साल बाद घर आया है, आंखें तरस गयी थी तेरा मुखड़ा देखे हुए कह रो पड़ती है। किशोर: बस शुरू हो गयी अरे बस कर अभी इसकी शादी की तैयारी भी करनी है। वीर का आगमन फोन लिए वीर: भाई आपका फोन कोई अफसर आप से बात करना चाहता है। हेमंत: बात करता है फिर थोड़ा रुककर कहता है माँ मुझे सीमा से बुलावा आया है जल्दी जाना होगा। गीता : भाई अभी तो आपकी शादी की तैयारी.... रानी का आगमन कुछ हाथ में लिए हुए होता है रानी : अरे सब मौन है क्या हुआ? ये मां ने खीर भेजी है हेमंत जी के लिए। हेमंत खीर लेता है हेमंत: रानी अब तुम ही समझाओ माँ को अब बुलावा आया है तो जाना तो पडेगा। रानी: गीता अपने भाई से कहो ऐसा मजाक न करें। गीता: नहीं भाभी भाई को सच में जाना होगा। सभी शांत हो जाते हैं। किशोर: अरे अब यूँ ही रहोगे या हेमंत केलिए कुछ बनाओगे। वीर : हाँ हाँ आज तो भाई के हीपंसद का बनेगा मुझे तो कोई पूछेगा भी नहीं। राजवंती, गीता व रानी रसोई जाते है व अगले दिन हेमंत ड्यूटी चला जाता है। कुछ दिनों बाद शहीद हेमंत लाया जाता है। माँ : बेटा देख मैं रो नहीं रही तुझे मेरा रोना पंसद नहीं न। गीता व वीर तो मानो मूरत बन गए हो विश्वास ही नहीं हो रहा भाई शहीद.... रानी का आगमन बदहवास सी रानी: हेमंत जी मैं तुम्हारी सधवान हो सकी लेकिन ताउम्र विधवा बन रहूंगी। कहकर मंगनी की चूडियां तोड़ देती है। समाप्त 🙏 यह दृश्य लिखते वक्त मैं भी भावुक हो गयी थी, सच में ऐसे वीरों के कारण ही हम घरों में सुरक्षित हैं। जय हिंद जय जवान 🙏🙏 ©Usha bhadula #Sunhera नाटक शहीद