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pravin Barawkar
कोणाला किती जीव लावा पण त्याला आपल्यापेक्षा बेटर ऑप्शन मिळाला तर तो आपल्याला सोडून जातोच #प्रविण सुतार
Parasram Arora
प्रभु कल आये थे आप मेरे घर पर मैं सो रह था बेखबर मेरे कौनसे कर्मो का फल था ये मेरे प्रेम सागर मेरे रघुवर आप आये और मैं खड़ा रहा बाहर ©Parasram Arora मेरे रघुवर....
S. Bhaskar
मैं और रघुवर मैं मन से मंद और तन से तरुवर चढ़ गया, मैं खुदी में जाने कब कैसे रघुवर बन गया। समझ इतनी की सागर भी गागर में समा लूं, सबल से भरपूर की पत्थर भी पिघला लूं, ईश्वर को दूं चुनौती साहस इतना बढ़ गया, खुद के नशे में चूर मैं कैसे रघुवर बन गया। गलती मेरी कुछ नहीं चाहे कितनी खताएं कर लूं, हो वही हमेशा चाहे कुछ भी मैं हुकुम कर लूं, सबपे बस मेरा चले ऐसा मैं शासक तन गया, बस झूठे सत्ते की लालच में कैसे रघुवर बन गया। जो मैं करूं वो सही है जो ना करूं वो गलत है, मेरी ही किस्मत में जाने क्यूं लिखी गफलत है, चड़ने का हौसला ऐसा की मेरा भी पर लग गया, बस प्रभुत्व का नशा ऐसा हुआ कि रघुवर बन गया। मैं मन से मंद और तन से तरुवर चढ़ गया हूं, बस खुदी में मगरुर हूं कि रघुवर बन गया है। Main aur रघुवर
आशीष रॉय 🇮🇳
दोहा - रघुवर। रघुवर देख रहे नभ से, मानव का हर कार्य। मनुष्य योनि में भेजा, बने वह जंतु जात।। धरा पर आए रघुवर, करने सबको समान। जात-पात ना भेदभाव, सब हे उनकी संतान।। सृष्टि का निर्माण किए, रघुवर आप महान। बुद्धि विवेक थोड़ा दीजिए, बने हम इंसान।। तन में आप, मन मे आप, धरती के कण-कण में आप। प्रभु जीवन जीने का, मंत्र बताए, सदा रहे रघुवर के दास।। आशीष राय दोहा - रघुवर। #nojoto #nojotohindi
Pooja malawat
("बिटिया कहे मैया! रघुवर सो वर ढूंढो") माँ पूछे बिटिया से लाडो! सयानी हो गई तुम अपने प्रियतम की कैसी छवि मन में है बसी बिटिया कहे मैया! रघुकुल सो कुल देखो दो परिवारों का अटूट बंधन बने ऐसा खरा रिश्ता ढूंढो तुम्हारी तरह लाडेसर! लाडेसर! कहकर पुकारे ऐसी एक और माँ ढूंढो जिनके लिए कुलवधू की गरिमा ही हो सर्वोपरि ऐसे दशरथ समान ससुर ढूंढो रक्षा रेखा खींचे जो मेरे मान की ऐसा लक्ष्मण सा लाड़ला देवर ढूंढो मैया!अब बात मेरे प्रियतम की तो उनकी श्याम छवि ही रौनक बने मेरे रुप की ऐसे जीवनसाथी ढूंढो उनका आत्मसम्मान ही बने मेरे माथे की बिंदिया का अभिमान ऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम ढूंढो जीवन के हर पथ पर अपनी जीवनसंगिनी के रक्षक बने ऐसे क्षत्रिय पुरुष ढूंढो वो मेरे राम और मैं उनकी सिया समान अर्धांगिनी बनू ऐसे प्रियतम मेरे वर बने बिटिया कहे मैया! मेरे लिए तुम रघुवर सो वर ढूंढो।। पूजा मालावत("राग तरंगिणी") ©Pooja malawat बिटिया कहे मैया! रघुवर सो वर ढूंढो
ताजदार
कहे रघुवर की सुनो प्रिय, मैं तुमसे जो कुछ कहता हूं भूत तो बीती बात हुई, मैं भविष्य की सोच के डरता हूं भूत में हर जन व्याप्त था मैं, अब भी सत् जन में रहता हूं भविष्य में कुछ भी धर्म ना होगा, बस इसी बात से डरता हूं भूत में कितने गुणी हुए और, कितने ही जन ज्ञानी हुए भविष्य में ज्ञान की बात ना होगी, मैं ऐसे कल से डरता हूं भूत में हर जन का सम्मान था, नारी की होती पूजा थी भविष्य में स्त्री का मान ना होगा, मैं यह सोच कर डरता हूं भूत में राजा प्रजा की ख़ातिर, सब कुछ न्यौछावर करते थे भविष्य में रक्षक ही भक्षक होगा, मैं प्रजा की ख़ातिर डरता हूं भूत में गुरू का मान सम्मान था, पूजा भी तो की जाती थी भविष्य में गुरु स्वयं अज्ञानी होगा, मैं ऐसे ज्ञान से डरता हूं 28/365 कहे रघुवर की सुनो प्रिय, मैं तुमसे जो कुछ कहता हूं। #365days365quotes #365दिन365कोट #writingresolution #bestyqhindiquotes #रघुवर #pa
AnkitPalWriter
शीर्षक : अपने सत्यता का प्रमाण दे जाती है (शादी की कुछ झलक याद करते हुए) नेह सीता से लगी है मेरे हिय मे हलचल सी मची है प्रिय सिया, सिया राम की बनी है अवध को देखो दुल्हन सी सजी है।। (हनुमान को जब लवकुश बंदी बनाते है) रामदूत प्रिय हनुमंता जै जै जै महाबली बलवंता प्रथम पुत्र है हनुमान है लव कुश तुम्हारे समान है सिया वही हूं मै लव कुश सिया वही हूं मै लव कुश राम तुम्हारे तात है लव कुश राम तुम्हारे तात है लव कुश।। ( तब तक गुरुदेव महर्षि बाल्मीकि जी आते है) महर्षि बाल्मीकि आए लव और कुश को सब कुछ बताए अवध के प्रजाजन से मिथ्या ही दोष लगाए सिया पर राम ने सिया को वन में भेज दिया।। हे लव और कुश करना काम तुम अवध में जाकर सवाल करना तुम कि ऐसी सीता माता पर मिथ्या दोष लगाते हुए तुमको ज़रा भी शर्म नही आती है।। (जब सीता माता को बुलाया जाता है प्रमाण मांगते है) सारी सभा के सम्मुख आई सीता गुरुदेव, माताएं को शीश नवाई सीता धरती माता को साक्षी मानकर अपना विचार सुनाई सीता यदि हूं मैं सत्य मइया उठा ले मुझे गोद में मइया ले अपने साथ निज धाम अपने मइया सारी परीक्षाए देते देते थक गई हूं मइया ले चल अपने साथ निज धाम अपने मइया।। इतना ही कहते धरा फट जाती है चारो तरफ प्रकाश हो जाता है धरा से वसुंधरा देवी आती है सिया सहित धरा मे समा जाती है अपने चरित्र का प्रमाण दे जाती है।। जाते जाते रघुबर से यह कह जाती है हर जनम में नाथ साथ मिले आपका प्रिय सिया, सिया राम की बनी रहे ऐसा वरदान मुझे दे रघुवर।। लव और कुश को नाथ सौफती हूं प्यार दुलार दीजिए रघुवर सबको प्रणाम करके शीश नवाती सबसे विदा लेकर सिया चली जाती है।। अपने सत्यता की प्रमाण दे जाती है ।। कवि अंकित पाल उत्तर प्रदेश जनपद आजमगढ़ 276305 Follow Now @ankitpal_writer दिनांक 10/06/2023 ©AnkitPalWriter #रघुवर का साथ मिले मइया ❣️❣️❣️ #poetry #Ankitpalwriter