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Mansha Sharma
White 🍁मन के भाव 🍁 No_3358 यादो यादों के पतझड़ में हम भी थे घिरे हम भी शाखों से टूटे पत्तों की तरह थे गिरे भूले नहीं हम उस दिन को यादों मे तेरी थे खोये तुमसे जुदा होकर बहुत थे रोये तेरी यादों के पतझड़ मे दिल के जख्म कभी भर ना पाये तस्वीर तेरी हाथों मे लिए अपने दिल के जख्म हरे ही पाये तुम्हे पाने की मनशा लिए अश्क बहाये तुम्हारी यादों के जख्म कभी भर ना पाये शाखो से टूटे पत्ते की तरह कहीं हम भी इस दुनिया से दूर चले जाये स्वरचित_सुरमन_✍️ 16/4/2024 ©Mansha Sharma #मन के भाव #सुरमन_✍️ #यादो #SAD #nojato
K L MAHOBIA
White प्यार तुमको निभाना नए साल में।इश्क का वो दिवाना नए साल में। लोग मिलने लगे फिर बड़े चाल में।भूलकर दिल खिलाना नये साल में रोज बहने लगी यूं फिजा आप हीबाग खिलने लगाना नए साल में। शोर में दिल जमें है बचा आदमी मौत से खुद बचाना नए साल में। आशिकी आदमी की पड़ी है खफा ख़ास कहना यहां ना नए साल में। खूब महफ़िल जमी है खबर वक्त मेंलोग करते बहाना नए साल में। बात करना नहीं जो निभा ना सकोभूल करना बताना नए साल में। शाम का दौर जारी रहा रात भरगैर तो को भुलाना नए साल में। भूल सकता नहीं दर्द जो है दियालौटकर आज़ आना नये साल में। जो बसर में नहीं फिर वो गये कहां ढूंढ कर फिर बसाना नए साल में। खौफ में जीत जाते सदा ही वहीरात करवट कराना नए साल में। लोग मिलते हमेशा खुशी के लिए छोड़ देना सताना नये साल में। के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
White कह दो मगरूर हवाओं से बदल ले राह अपने। चलकर फिर रूह में उतर जाते रहे चाह सपने। देखा है राह पर ढुलके पड़े नशे में चूर आदमी। देखकर मुझे रास्ते बदले जमाने में रहे कितने। के एल महोबिया 🙏 ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
White आशिकी के गीत गाता क्यों नहीं। प्यार है तो फिर बताता क्यों नहीं। इश्क में पड़कर जलेगा ये शहर बेवफा को भूल पाता क्यों नहीं । खूब असली में नकल बढ़ता चला आदमी असली दिखाता क्यों नहीं। पीर हमको इश्क की जबसे मिली प्यार प्याले में समाता क्यों नहीं। भोर था लेकिन मुझे किनारा किया बस सितम का दर्द जाता क्यों नहीं। के एल महोबिया ✍️🙏 ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
White ज़ालिमों ने जिसको लूटा जाकर मयखाने में। गुजारी है सारी उमर बेशक उसको बचाने में। माली ने सिद्दत से सींचा गुलाब गुलशन को। कमबख्तों ने तोड़ा उसे सेजों को महकाने में। ज़ालिम ने जहर बोया है बुजदिल वजन को। जिंदगी भर मेहनत की कलियां को बसाने में। मौत का सौदा किया जिसने उसके लिए क्या। हकीकत दफ़न करने लगे चुपचाप दबाने में। के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #दिल से:- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
White कभी-कभी मेरे दिल में यह सवाल आता है। खुदा कहां पूछे इस जग में खयाल आता है। जिसे खुदा समझे धोखा दे दिया हमें ऐसे। हुए नहीं अपने जो दिल से मलाल आता है। जिसे कहा था कैसे वो भी ज़लाल आता है। नहीं लिये पीने से मतलब कलाल आता है। नहीं मिला सागर में मोती बिने उतरे जल में दुआ दवा दोनों ही फैला कर जाल आता है। कभी-कभी मेरे दिल में ये सवाल आता है। हरेक दिन दर पे ठगने को दलाल आता है। मिले घड़ी में कोई राहत जनाब यूं लुट कर फरेब भी रचके बच कहने विलाल आता है। ✍️ के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
Anuj Ray
White दुनिया के दर से " वक्त बे वक्त उठे क़दम, अक्सर नादानियां में बहक ही जाते हैं। कभी टुकड़ों में कभी लाशों में, सही सलामत घर को लौट कहां पातें हैं। बिना आशीष के घर बसते नहीं देखे, लोग पागल हैं जो शादियां रचाते हैं। अगर बच्ची है धरोहर ,विवाह के पवित्र बंधन की तो, सिर्फ़ दुनिया के दर से। ©Anuj Ray # दुनिया के डर से "
Rameshkumar Mehra Mehra
उजाले अपनी यांदो के हमारे साथ रहने दो......! न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # उजाले अपनी यादो के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए.....
K L MAHOBIA
इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे। जलभुन रहा है जहर में जैसा दिखाई दे। अंधा बना आदमी थमती अब निगाहें है। जिसको हमारी फिकर है वैसा दिखाई दे। ©K L MAHOBIA #दिल से - के एल महोबिया