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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
Satyavan Dixit
दुनिया में सबसे अधिक नफरत का सामना सच बोलने वालों को करना पड़ता है सत्यवान दिक्षित शास्त्री
DRx. Shital Gujar✍️
समोरचा व्यक्ती आपली चुक पाठीमागे बोलत असेल, तर आपण चुकीचे वागले नाही असं समजा. व्यक्तींसमोर नावाचा उल्लेख देखील करत नाही,सहज बोलून जात असं म्हणतो . पण ते शब्द आपल्यालाच बोलायचे असतात . पाठीमागे नाही तर समोरून बोलायला शिका. त्यातुन व्यक्तीचा खरेपणा ठरतो . पाठीमागे बोलून आपले विचार करण्याची क्षमता सिद्ध केली जाते . - ✍️Shital K. Guj@r✍️ नमस्कार ,जीवनात घडलेल्या प्रसंगावरून लेखणीची सोबत घेऊन विचार मांडण्याचा प्रयत्न केला आहे. #परिस्थिती #अनुभव #जीवन #सत्यवानी #yqdidi #yqtaa
JALAJ KUMAR RATHOUR
करवाचौथ भारतवर्ष का महत्वपूर्ण त्यौंहार है। यह त्यौंहार विवाहित स्त्री द्वारा अपने पति के लंबी आयु के लिए मनाया जाता है। इस दिन पत्नियां सम्पूर्ण दिन पानी को स्पर्श किए बिन रहती है और उगते हुए चांद को देख अपना व्रत तोड़ती हैं। इस त्यौंहार को सावित्री द्वारा अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस जीतकर लाने के रूप में भी मनाया जाता है। इसी प्रकार अन्य किदवंतियां हैं जो इस त्यौंहार के महत्व को बतलाती हैं। स्त्री जो हमसे किसी ना किसी रूप में जुड़ी होती है सदैव पुरुष की रक्षा के लिए व्रत रखती है। चाहे वो निर्जला व्रत हो , चाहे छठ पूजा। इसके साथ ही पुरुष भी सदैव किसी ना किसी रूप में स्त्री का सदैव एक सच्चा साथी बन कर उसके संघर्ष को हर्ष में परिवर्तित करता है। इन व्रतों और त्योहारों को रीत बनाते समय शायद किसी ने भी भेद भाव के विषय में बिलकुल नहीं सोचा था।लेकिन वक्त के साथ परिवर्तन ने इस त्योहार को भेद भाव का शिकार बना दिया। नौ दिन जिस स्त्री को संसार देवी मानता है अगर वही संसार एक दिन पुरुष को देव तुल्य मान पूजे तो इसमें भेद कैसा। स्त्री सनातन व्यवस्था में सदैव सर्वोपरि मानी जाती रही।परंतु आज भी स्त्री की स्थिति पुरुषों की अपेक्षा दयनीय है। स्त्री पुरुष के लिए सब मांगती रही लेकिन स्वयं के लिए कभी कुछ नहीं मांगा।सत्यवान को जब सावित्री मांग रहीं थी तब उस से पहले सावित्री ने सत्यवान के पिता का राज्य और जनता की खुशहाली मांगी थी। पुत्र भी उन्होने उस राज्य की देख रेख के लिए मांगा था। बस यहीं यम राज चूक गए और सौभाग्यवती का वरदान दे बैठे थे।यही महानता है स्त्री की। और इसी स्त्री के त्याग और बलिदान का साक्षी है ये त्यौंहार।सभी विवाहित और विवाह की कामना रखने वाले प्रेमियों को इस पर्व की शुभकामनाएं।ईश्वर आपकी मनोकामना पूर्ण करें।...#जलज कुमार ©JALAJ KUMAR RATHOUR करवाचौथ भारतवर्ष का महत्वपूर्ण त्यौंहार है। यह त्यौंहार विवाहित स्त्री द्वारा अपने पति के लंबी आयु के लिए मनाया जाता है। इस दिन पत्नियां सम्
MUKESH_VIP
मन ने तेरा व्रत लिया ! ●●●●●●●●● जिनके सच्चे प्यार ने, भर दी मन की थोथ ! उनके जीवन में रहा, हर दिन करवा चौथ !! ●●●●●●●●● हम ये सीखें चाँद से, होता है क्या प्यार ! कुछ कमियों के दाग से, टूटे न ऐतबार !! ●●●●●●●●● मन ने तेरा व्रत लिया, हुई चांदनी शाम ! साथी मैंने कर दिया, सब कुछ तेरे नाम !! ●●●●●●●●● मन में तेरा प्यार है, आँखों में तस्वीर ! हर लम्हें में है छुपी, बस तेरी तासीर ! ●●●●●●●●● अब तो मेरी कलम भी, करती तुमसे प्यार ! नाम तुम्हारा ही लिखे, कागज़ पर हर बार ! ●●●●●●●●● मन चातक ने है रखा, साथी यूँ उपवास ! बुझे न तेरे बिन #परी, अब सौरभ की प्यास!! ●●●●●●●●● तुम राधा, मेरी बनो, मुझको कान्हा जान ! दुनिया सारी छोड़कर, धर लें बस ये ध्यान !! ●●●●●●●●● मेरे गीतों मैं बसी, बनकर तुम संगीत ! टूटा हुआ सितार हूँ, बिना तुम्हारे मीत !! ●●●●●●●●● माने कब हैं प्यार ने, ऊँच-नीच के पाश ! झुकता सदा ज़मीन पर, सज़दे में आकाश !! ●●●●●●●●● ✍ डॉo सत्यवान सौरभ ©Mukesh VIP. मन ने तेरा व्रत लिया ! ●●●●●●●●● जिनके सच्चे प्यार ने, भर दी मन की थोथ ! उनके जीवन में रहा, हर दिन करवा चौथ !! ●●●●●●●●● हम ये सीखें चाँद स
Amar Anand
धन्य हैं वो देवी जो पति सुख के लिए व्रत रखे,धन्य हैं वो पति जो देवी रूप पत्नी पाएं, धन्य हैं वो स्वरूप जो मनुष्यता का दीप जलाएं, समस्त मातृ शक्तियों को करवा चौथ व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं कविता नीचे कैप्शन में... पति - पत्नी के पावन रिश्तों में बंधे विश्वभर के हर नर-नारीयों का सत्यवान और सतीसवित्री स्वरूपा करवाचौथ व्रत है आज हर देवियों का दुनिया में
KHINYA RAM GORA
महिला दिवस पर विशेष.... किसने कहा अधूरी हो, जग में केवल तुम पूरी हो, तुम जीवन चक्र की धुरी हो, नारी केवल तुम पूरी हो l कोमलता तुम, शक्ति भी तुम, भक्ति भी तुम, अभिव्यक्ति तुम, मदिरा भी तुम, अमृत भी तुम, जननी भी तुम और सृष्टि तुम l ममता की मोहक मूरत तुम, सृष्टि रचना की सूरत तुम, तुम हर शृंगार का दर्पण हो, तुम त्याग हो, तुम्हीं समर्पण हो l वात्सल्य का अतुल ख़ज़ाना तुम, ब्रम्हांड की सुन्दरतम रचना, तुम सत्य मार्ग दिखलाने वाली, गीता हो तुम, रामायण तुम l दुर्गा भी तुम, लक्ष्मी भी तुम, भैरव, महिषासुर घाती तुम, यमराज की मति भ्रमित करके, सत्यवान को पुनः जिलाती तुम l तुम सीता हो, सावित्री तुम, तुम अनुसूइया, गायत्री तुम, साहस में झाँसी की रानी, करुणा में मदर टेरेसा तुम l तुम पुत्री रूप में पोषणीय, अर्धांगिनी रूप में अभिरमणीय, जननी के रूप में पूज्यनीय, तुम गुरु रूप में अनुकरणीय l तुम जीवन चक्र की धुरी हो, नारी, केवल तुम पूरी हो, किसने कहा अधूरी हो, जग में केवल तुम पूरी हो l #Happy women's day ©khinyaram gora महिला दिवस पर विशेष.... किसने कहा अधूरी हो, जग में केवल तुम पूरी हो, तुम जीवन चक्र की धुरी हो, नारी केवल तुम पूरी हो l कोमलता तुम, शक्
Akhil Arya
मैं मीठा ताजा शर्बत हूँ, तुम ठंडा वाला ड्रिंक प्रिये। मैं स्याही क़लम दवात ही हूँ, तुम पाइप में पड़ी इंक प्रिये। मैं ठंडक खिड़की वाला हूँ,तुम टैल्कम वाला मिंट प्रिये। मैं पानी वाला कुआं सही, तुम मुँह धोने का सिंक प्रिये। मैं आसमान सा सरल सजग, तुम सागर जैसी चंचल हो। मैं सर के साए जैसा हूँ, तुम माँ का जैसे आँचल हो। ये हृदय प्रेम में विचलित है, तुम मेरे हृदय की जान प्रिये। तुम अपने घर की परी सही, मैं अपने घर की शान प्रिये। मैं जिम्मेदारी से ढका हुआ, तुम आसमान में उड़ती हो। यह कठिन राह मंजिल मेरी,तुम भी मंजिल में पड़ती हो। मैं सत्यवान सा सुंदर हूँ, तुम कल की हो हरनाज़ प्रिये। तुम बेटी रज़िया सुल्ताना, हमको तुम पर है नाज़ प्रिये। मैं अधरों की काली सुर्खी,तुम उन अधरों की प्यास प्रिये। मैं हारा थका मुसाफ़िर हूँ, तुम लगती मुझको आश प्रिये। मैं लकड़ी की कलम सा हूँ, तुम पेंसिल वाली नोंक प्रिये। तुम बरछी तीर कटारी हो, गर हो हिम्मत तो घोंप प्रिये। प्रिये।।।। मैं मीठा ताजा शर्बत हूँ, तुम ठंडा वाला ड्रिंक प्रिये। मैं स्याही क़लम दवात ही हूँ, तुम पाइप में पड़ी इंक प्रिये। मैं ठंडक खिड़की व
Vikas Sharma Shivaaya'
📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️ 🙏महिला दिवस पर सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनायें एवं नमन 🌹 मेरे द्वारा स्वरचित एवं स्वमौलिक "औरत -स्त्री -नारी"कविता जीवन की पाठशाला के रूप में .. , जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हे स्त्री शक्ति तुम्हें प्रणाम हे आदि शक्ति तुम्हें प्रणाम हे मात्र शक्ति तुम्हें प्रणाम हे जगत जननी तुम्हें प्रणाम हे सबसे अधिक बोझ सहने वाली "धरती माँ "तुम्हें प्रणाम हे सर्वाधिक पापियों को तारने वाली "माँ गंगा" तुम्हें प्रणाम हे नवरात्रों की "नव दुर्गाओं" तुम्हें प्रणाम हे बेटी -बहिन -प्रेमिका -पत्नी -माँ और सास रूपा एक होते हुए अनेकों रूपों वाली शक्ति तुम्हें प्रणाम -1 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कौन कहता है की औरत कमजोर होती है कौन कहता है की औरत पैर की जूती होती है कौन कहता है की ये कुछ नहीं करती ,केवल गृहिणी है -2 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो औरत बचपन से भाई बहिन का भेदभाव सहती है वो कमजोर कैसे हो सकती है जो औरत समय से आने जाने कपडे पहनने के प्रतिबन्ध सहती है वो कमजोर कैसे हो सकती है जो औरत मायके में भी पराई और ससुराल में भी पराई वो कमजोर कैसे हो सकती है जो औरत हारी बीमारी में भी पूरे घर को सम्हालती है वो कमजोर कैसे हो सकती है -3 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो औरत अपने घर को छोड़ कर दुसरे घर को जाती है वो कमजोर कैसे हो सकती है जो औरत अपना तन मन सर्वस्व एक नए रिश्ते को सौंप देती है वो कमजोर कैसे हो सकती है जो औरत सुबह सबसे पहले उठ कर रात्रि में सबसे आखिर में सोती है वो कमजोर कैसे हो सकती है जो औरत 9 माह तक एक शिशु को अपने गर्भ में रखती है वो कमजोर कैसे हो सकती है जो औरत प्रसव पीड़ा और ऑपरेशन की पीड़ा दर्द सहती है वो कमजोर कैसे हो सकती है -4 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कई राज्यों में आज भी एक औरत दो तीन भाइयों की पत्नी बन कर रहती है तो वो कमजोर कैसे हो सकती है जब सावित्री यमराज से सत्यवान के प्राण वापिस ला सकती है तो वो कमजोर कैसे हो सकती है एक औरत मदर मैरी -मदर टेरेसा -झाँसी की रानी -पन्ना धाय कल्पना चावला -सानिया मिर्जा हो सकती है तो वो कमजोर कैसे हो सकती है एक औरत एक कृर्तिम पैर के सहारे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ कर सिन्हा हो सकती है तो वो कमजोर कैसे हो सकती है -5 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की एक बात समझ नहीं आई की एक औरत ही औरत की सबसे बड़ी दुश्मन कैसे होती है सास क्यों भूल जाती है की वो कभी बहु थी या आज किसी बेटी की माँ भी है एक औरत एक शादीशुदा मर्द के साथ संबध रख कर क्यों दूसरी औरत के साथ अन्याय करती है क्यों एक औरत षड़यंत्र रच कर परिवारों में दूरी पैदा करती है क्यों एक औरत लड़की होने पर दुखी होती है और ये कैसा विरोधाभास है की गाय -भैंस या बकरी के बीटा होने पर हम दुखी और बेटी होने पर सुखी वहीँ इंसान के बेटी होने पर दुखी और बेटा होने पर सुखी -6 आखिर में एक ही बात समझ आई की क्यों हम इंसान इस बात को नहीं समझते की की अगर किसान से जमीन ही छीन ली जाए तो वो बीज कहाँ बोयेगा ,फसल कैसे तैयार होगी और बिना फसल बिना अन्न के इंसान -जीव जंतु सब मर जायेंगे ऐसे ही अगर स्त्री शक्ति नहीं होगी तो दुनिया कैसे चलेगी कैसे बढ़ेगी क्यूंकि ये हकीकत है की घर में स्त्री नहीं तो घर- घर नहीं मकान मात्र है ,घर उदास है इसीलिए तो कहा जाता है की : यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः । यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः अर्थात जहाँ स्त्रीजाति का आदर-सम्मान होता है, उनकी आवश्यकताओं-अपेक्षाओं की पूर्ति होती है, उस स्थान, समाज, तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं । जहां ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कारमय व्यवहार किया जाता है, वहां देवकृपा नहीं रहती है और वहां संपन्न किये गये कार्य सफल नहीं होते हैं ।-7 बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 स्वरचित एवं स्वमौलिक आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️ 🙏महिला दिवस पर सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनायें एवं नमन 🌹 मेरे द्वारा स्वरचित एवं स्वमौलिक "औरत -स्त्री -नारी"कवि
Unconditiona L💓ve😉
प्रकृति संसार के सौन्दर्य की रानी है, हर स्त्री अपने अपने घर की महारानी है । जगत में प्रकृति की छवि न्यारी है, महतारी अपनी सबको लगती प्यारी है। कुदरत के खेल में हम खो जाते है, माँ की गोद में सभी बच्चे बन जाते हैं। प्रकृति वसन्त में फूलों के रूप में सजती है, वह तब सोलह श्रृंगार किए दुल्हन लगती है । प्रकृति हँसती है नैसर्गिक हँसी आ जाती है, माँ की मुस्कान से बच्चे किल्कारी आती है । प्रकृति मानव के लिए सब कुछ दे देती है, माता परिवार के लिए अपना जीवन लगा देती है। प्रकृति समस्त संसार का आधार है, महिला सम्पूर्ण परिवार का मूलाधार है। आओ स्त्री और प्रकृति का सम्मान करना सीख ले, कुछ पाने के लिए निस्वार्थ सेवा करना सीख ले । पतिव्रता जगत में कहलाती महान सच्चरित्र से पाती वह अपनी पहचान । सीता मैया को कौन नहीं जानता, राम संग रही सदैव वह वन भी जाता । राधा के अलौकि