Find the Latest Status about पेड़ का पर्यायवाची शब्द from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, पेड़ का पर्यायवाची शब्द.
Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
read moreParasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
पर्यायवाची...... #शायरी
read moreArunima dubey
बडा़ ही मुश्किल है ये जिंदगी का सफर साथ यहाँ सब छोड़ देते है अपनी जरूरतों का होता है सबको ख्याल यहाँ अपने ख्यालों के चलते कसमें वादे सब तोड़ देते है कसमें वादे तो फिर भी ठीक है लोग यहाँ इन्सानों तक को तोड़ के छोड़ देते है आदत लगाते अपना बनाते फिर किसी और को खुद से जोड़ लेते है बड़ा ही मुश्किल है ये जिंदगी का सफर एक हरे भरे पेड़ से सूख जाने तक का सफर....... ©Arunima dubey जिंदगी का पेड़.......
जिंदगी का पेड़.......
read moreRita Giri
मेरे घर के पास खडा़ वो "नीम " पिता सा लगता था, एक सदी की पीडा़ सहते , कुछ कड़वा सा लगता था । ---- रीता # नीम का पेड़
# नीम का पेड़
read moremanoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
read moreEhssas Speaker
यह पीपल का पेड़ अगर माँ होता आंगन तीरे। मैं भी उस पर बैठकर राधा बनती धीरे-धीरे॥ ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली। किसी तरह नीची हो जाती यह पीपल की डाली॥ तुम्हें नहीं कुछ कहती पर मैं चुपके-चुपके आती। उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाती॥ वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाती। अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाती॥ सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती। मुझे देखने काम छोड़ कर तुम बाहर तक आती॥ तुमको आती देख बांसुरी रख मैं चुप हो जाती। पत्तों में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बजाती॥ गुस्सा होकर मुझे डांटती, कहती "नीचे आजा"। पर जब मैं ना उतरती , हंसकर कहती "रानी बेटी"॥ "नीचे उतरो मेरी बेटी तुम्हें मिठाई दूंगी। नए खिलौने, माखन-मिसरी, दूध मलाई दूंगी"॥ बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आती। माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता॥ तुम आँचल फैला कर अम्मां वहीं पेड़ के नीचे। ईश्वर से कुछ विनती करतीं बैठी आँखें मीचे॥ तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आती। और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाती॥ तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती। जब अपनी रानी बेटी को गोदी में ही पातीं॥ इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे। यह पीपल का पेड़ अगर माँ होता आंगन तीरे॥ ©Ehssas Speaker #यह पीपल का पेड़