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Babli BhatiBaisla
किसी के भी जाकर आने में बड़ा फर्क होता है पहले जैसा नहीं रह पाता फिर जो भरोसा है जब तक टूटे नहीं हिम्मत मैदान छोड़ना नहीं चाहिए आखिर तक हारने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए सखी छणमात्र के वेग को जो भी झेल जाते हैं संबंधों की वैतरणी में नौका भी पतवार भी बन जाते हैं बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla वैतरणी
Rahul Ranjan
हर वखत शब्दों से बोलूं, ऐसा ना तू गढ़ लेना... ख़ामोश अगर हो जाऊं मैं, मौन अधर को पढ़ लेना...!! ©Rahul Ranjan #प्यार #याद #अधर #मौन #प्रेम #इश्क़ #शब्द #बिहार #गया #Hum
Rajendra Kumar Ratnesh
बौद्ध , महावीर , अशोक की धरा पर , नालंदा , विक्रमशिला , राजगीर सा उपहार मिलेगा । गंगा , कोशी , कमला , सोन तट पर , भ्रमण को पूरा बिहार मिलेगा ।। कुंवर , राजेन्द्र , दिनकर की मिट्टी में, एक सभ्य व्यवहार मिलेगा । मधुर भाषा , वैदिक गाथा , गाते पूरा बिहार मिलेगा ।। खेतों में सोना , बागों में बिछौना , अन्न , पुष्प फलों का बौछार मिलेगा । पर्व त्योहारों में पकवान , मिष्ठान खाने को पूरा बिहार मिलेगा। पक्षियों का कलरव , चरवाहे सर्व , ललित गोधुली का बहार मिलेगा । पकड़ते मछुआरे , मछली सवेरे , डूबे - उफनते बाढ़ में बिहार मिलेगा। दर - दर भटकते , ठोकरें खाते , गरीब , युवा , बेरोजगार मिलेगा । अवसरों की आकांक्षा लिये , मुकाम पाने को पूरा बिहार मिलेगा। झुग्गी - झोपरियों में , शहर के गलियों में । भूखे , नशेड़ी , बिमार मिलेगा । चाह लिए जो आये मानवता की , जरुर उसे पूरा बिहार मिलेगा ।। --राजेंद्र कुमार मंडल रामविशनपुर , सुपौल, बिहार ©Rajendra Kumar Ratnesh बिहार
Rajendra Kumar Ratnesh
बौद्ध , महावीर , अशोक की धरा पर , नालंदा , विक्रमशिला , राजगीर सा उपहार मिलेगा । गंगा , कोशी , कमला , सोन तट पर , भ्रमण को पूरा बिहार मिलेगा ।। कुंवर , राजेन्द्र , दिनकर की मिट्टी में, एक सभ्य व्यवहार मिलेगा । मधुर भाषा , वैदिक गाथा , गाते पूरा बिहार मिलेगा ।। खेतों में सोना , बागों में बिछौना , अन्न , पुष्प फलों का बौछार मिलेगा । पर्व त्योहारों में पकवान , मिष्ठान खाने को पूरा बिहार मिलेगा। पक्षियों का कलरव , चरवाहे सर्व , ललित गोधुली का बहार मिलेगा । पकड़ते मछुआरे , मछली सवेरे , डूबे - उफनते बाढ़ में बिहार मिलेगा। दर - दर भटकते , ठोकरें खाते , गरीब , युवा , बेरोजगार मिलेगा । अवसरों की आकांक्षा लिये , मुकाम पाने को पूरा बिहार मिलेगा। झुग्गी - झोपरियों में , शहर के गलियों में । भूखे , नशेड़ी , बिमार मिलेगा । चाह लिए जो आये मानवता की , जरुर उसे पूरा बिहार मिलेगा ।। -राजेंद्र कुमार मंडल रामविशनपुर , सुपौल, बिहार ©Rajendra Kumar Ratnesh बिहार
MADHUKANT THAKUR
हां बिहार हैं हम बुद्ध का वास्तविक ज्ञान हैं हम स्वतंत्रा हेतु चंपारण का पहला संग्राम हैं हम सम्राट अशोक जैसे प्रतापी राजाओं का खलिहान हैं हम विवाह के पारंपरिक गीतों की तान हैं हम देश की सान हैं हम गिनती की पहली सीढ़ी शून्य का आविष्कार हैं हम छठ जैसे महापर्व का इंतेजार हैं हम हां बिहार हैं हम... ✍️मधुकान्त . . . . . . ©MADHUKANT THAKUR #बिहार
मिहिर
जिसने तलवार के नोक से अपना भविष्य लिखा था जिसके क्रोध और नफरत से दुनिया डरी थी जिसे भारतवर्ष के इतिहास का कुशल योद्धा कहा गया उसने एक दिन अपना नजर और नजरिया दोनो बदला और अपनी तलवार तोड़ दी अपनी सारी ज़िद छोड़ दी उसने दुनिया से कहा था जीत से कही ज्यादा जरूरी है शांति क्रोध और घृणा से ज्यादा जरूरी है प्रेम जहां से शुरू हुआ बुद्धत्व जहा का वैभव है करुणा प्रेम और आत्मसम्मान फिर बिहारी लाचार क्यों फिर बिहार बीमार क्यों जहां से नजर और नजरिया लेकर दुनिया समृद्ध हुई उस बिहार को भी, बिहारियों को भी बदलना होगा नजर भी नजरिया भी ©मिहिर बिहार