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md shadab
आज मेरा देश हिंसा की आग मै जल रहा है , ये हिंसा जिसने भी फ़ैलाई है वो घर बैठ कर मजे ले रहा है, इस हिंसा मै हिन्दु मुस्लिम नहीं एक इंसान जल रहा है , अगर गोर से देखो तो आपस का भाईचारा जल रहा है, आज मेरा देश हिंसा की आग मै जल रहा है, ये हिंसा जिसने भी फ़ैलाई है वो घर बैठ कर मजे ले रहा है, इस आग मै सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे देश वासी जल रहे हैं, ना हिन्दु जल रहा है ना मुसलमान जल रहा है . #हिंसा
Ajay kumar Singh
विरोध करने के बहुत से तरीके हैं! गाँधी के देश में विरोध प्रदर्शन के नाम पर इस तरह का उन्माद और उत्पात असहनीय है ।इस तरह के हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौर में गाँधी जैसे महात्मा की कमी आज यह देश महसूस कर रहा है । #हिंसा
सायरी की डायरी
बेटी-बहु कभी माँ बनकर सबके ही सुख-दुख को सहकर अपने सब फर्ज़ निभाती है तभी तो नारी कहलाती है महिला दिवस #महिला
Vivek Raj Parakh
हो गया इश्क़ तुमसे इसमें क्या खता है मजहब और जात की देदो चाहे जो सजा है। नजरे चार हो गयी तो कोई गलती नही हुई हमने क्या गुनाह किया इश्क़ किया हिंसा नही। इश्क़ किया हिंसा नही। #इश्क #हिंसा #दिल्ली
पूर्वार्थ
प्रेम कभी गर करना तुम, थोड़ा सा ठहरना तुम। पढ़कर दो - चार खोखली बातें इश्क़ की, प्रेम कभी न करना तुम। लोग कहतें हैं प्रेम में परखा नहीं जाता, इस पर विश्वास न करना तुम, प्रेमी हो या प्रेयसी गर प्रेम है तो, जरूर परखना तुम। कहनें को किसी को प्रेमी या प्रेमिका, एक उम्र का इंतज़ार करना तुम। गर लग नहीं रहा रिश्ते में कुछ सही, तो इससे ज़रूर निकलना तुम। गर प्रेम पाश विष जैसा है, सब दिखता धूमिल सा है। ऐसी घड़ी में, अपनों को सब बतानें से न हिचकना तुम। प्रेम कभी गर करना तुम, थोड़ा सा ठहरना तुम।। ©पूर्वार्थ #प्रेम #हिंसा
nehabsoulte sonī
नारी हिंसा क्यों तुम सहती हो हर हिंसा को? जब नहीं होता तुम्हारा सम्मान फिर भी तुम सह जाती बार-बार अपमान को,, शाब्दिक प्रताड़ना हो या शारीरिक अत्याचार, हर हिंसा को सहन कर जाती हो, घर पत्नी हो तब भी पराई औरत को दिये जाते है सारे हक,फिर भी चुप चाप सहन कर जाती हो,, मन व्याकुल हो या व्यथित लेकिन किसी को ना बता सकती,न दुख जता सकती हो, स्वयं अपमानित होती हो,इसलिए नहीं की तुम कमजोर हो, बल्कि इसलिए क्योंकि तुम हर रिश्तों बखूबी निभाना जानती हो,, आदमी तुम्हें अपने पैर की जूती समझता है, इसलिए हर औरत को उसकी जूती वक्त-वक्त पर साफ करते चलना पड़ता है,इसलिए नहीं की तुम उसके दवाब में हो बल्कि इसलिए क्योंकि तुम्हें अपने हर रिश्तों को बचाना पड़ता है,, हुई अब बहुत हिंसा,बहुत खेल लिए तेरे स्वाभिमान से, बहुत जी लिया दुसरों के लिए, अब बारी तेरी!जगा अपने अंदर के अभिमान को और पा लें हर एक सम्मान को,, हर नारी को देना चाहती हूँ संदेश! मत सहना इतना अपमान कि तुम भूल जाओ खुद के अस्तित्व को, जब-जब हो अपमानित उठाओ अपने शस्त्र को, ओर बचा लो अपने अस्तित्व को,, © Neha soni नारी हिंसा.....
नारी हिंसा.....
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दिल्ली दंगो और हिंसा से किसका फायदा हुआ फायदा उनका जिन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता, फ़ायदा उनका जिनका अपना कोई दुनिया से अलविदा नहीं हुआ, जिन्हें कोई शारीरिक मानसिक पीड़ा नहीं हुई....जिन लोगों पर बीती हैं वहीं जानते हैं ये दर्द...हम तो बस महसूस कर सकते हैं☹️☹️#ज़िया #दिल्ली #हिंसा