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Bharat Bhushan pathak
White नाम नहीं बस वह अनुभव चाहता हूँ जिससे नाम बनाई जाती है यहाँ सीखता रहूँ बस मात्र ये आशीर्वाद चाहता हूँ वो महाविद्या चाहता हूँ मैं ©Bharat Bhushan pathak #Thinking poetry in hindi hindi poetry hindi poetry on life love poetry in hindi poetry on love
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पहुँचे गुरुकुल चारों भाई। गुरु माता ने लाड़ लगाई।। कठिन नहीं जब हो अनुशासन। संभव कैसे तब हो शासन।। विचार यह गुरु माँ से बोले। महत्व अनुशासन का तौले। गुरु माँ ने संगीत सिखाई। ममता करुणा भेद बताई।। ज्ञान वेद का वशिष्ठ देते। पाठ सुशासन उन्हें बताते।। अस्त्र-शस्त्र की देते शिक्षा। कर्म-धर्म क्या देते दीक्षा।। कर्ता जो द्रष्टा कैसे होता। बोले गुरु विकार जब खोता।। समता ही जो सबमें देखे। मानव वह ही सच्चा लेखे ©Bharat Bhushan pathak poetry on love love poetry in hindi hindi poetry on life poetry in hindi poetry quotes
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White सरसी छंद विधान:-२७ मात्रा,१६-११ पर यति,चरणान्त में गाल अनिवार्य:- पुण्य कर्म से भर लो गगरी,जाना प्रभु के पास। बुरे व्यसन से बचे रहो जी, बनना ना है दास।। जीवन चक्की के पाटों में,पीस रहा संसार। एक पाट में जन्म दिखे है,मृत्यु दूजे यार।। नहीं एक भी यहाँ बचेगा,केवल ये है सत्य। ये संसार तो भ्रममात्र है,नहीं कहूँ असत्य।। जीवन धागा अगर पकड़ना,अपना लो सत्कर्म। मृत्यु पास तुम्हारे रहता,करते अगर कुकर्म।। मनुज-मनुज में भेद न होए,करना सबसे प्रेम। नहीं बुराई कभी करो जी,पूछो सबकी क्षेम।। ©Bharat Bhushan pathak #सरसी_छंद poetry on love love poetry in hindi poetry in hindi poetry lovers hindi poetry on life
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read moreसुलगते लफ्ज़-S.k. Shaayar
White मैं नहीं चाहता तुझे नाराज करना पर नहीं भाता तेरा नजर अंदाज करना ✍️👀👀👀✍️ ©सुलगते लफ्ज़-S.k. Shaayar #Sad_Status poetry in hindi hindi poetry on life love poetry in hindi poetry on love
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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी पधारी जो,संग लेकर ठंड है। धूम यहाँ मचाई ये ,बढ़ गया घमंड है।। स्वेटर बंद बैगों से,बाहर निकले सभी। पजामे क्यों रहे बंदी,झट वे निकले तभी।। कहीं मार न खा जाऊँ,मन विचार ज्यों जगा। दमदार लड़ाई थी,देख ये ठंड भी भगा। तभी फरवरी आई,संग बसंत को लिये। फाल्गुन मार्च संगी हो,रंगीन सबको किये।। अप्रैल गरमाया है,शिथिल जो पड़े हुए। मई आते डरी पृथ्वी,ताप को सहते हुए।। जून प्रचंड लू से तो,सहमती धरा सदा। जुलाई भींग हर्षाई,मौज चली धरा मना।। अगस्त भींग ज़ोरों भी,राष्ट्रगीत बजा रहा। गुरु को शीश अभी जाके,सितम्बर झुका ज़रा ©Bharat Bhushan pathak #SunSet #सप्तश्लोकी_अनुष्टुप_छंद love poetry in hindi poetry on love hindi poetry hindi poetry on life poetry in hindi
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खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी। हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।। दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम। रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।। सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा। रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।। सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है। सो सकूँगा अभी जी भर कर, बस ये शुरुआत हुई है। ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता। दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।। ©Bharat Bhushan pathak hindi poetry on life hindi poetry poetry in hindi poetry love poetry in hindi
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नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak #newday love poetry in hindi poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love hindi poetry
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विषय-वीर/ आल्हा छंद विधा-१६-१५ मात्रा प्रति चरण,चार चरण। दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है। छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास। नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।। ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान। अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।। काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज। स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है साज।। ©Bharat Bhushan pathak hindi poetry on life hindi poetry poetry in hindi poetry
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read moreRishi Ranjan
White जब भी तुम्हारा नाम लिखूं, मैं कुछ कमाल लिखूं, बातों से बाते बने, तू जवाब लिखे मैं सवाल लिखूं, तेरी यादों की गली से जब मैं गुजरू, मस्त अपनी चाल लिखूं, तेरे सर इल्ज़ाम रख दूं.. मैं जब भी अपना हाल लिखूं, तुझसे दूर जो पल बीते, हर पल को महीनों और महिनों को साल लिखूं, तेरे रूप रंग का जब मैं बखान लिखूं, बस तुझको मालामाल लिखूँ, बाकी को कंगाल लिखूँ...!! ©Rishi Ranjan #Romantic poetry lovers hindi poetry on life poetry in hindi poetry on love love poetry in hindi
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