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akki jain
जो सीगरेट को धुवे में उड़ाता है , उसे पता नहीं कि, इक दिन ये सिगरेट ही उसे धुवे में उड़ा देंगी। ©akki jain धुवा... #saynotosmoking
Raj Mani Chaurasia
अभी धुवा उड़ा रहे है, बाद में खुद धुवा धुवा हो जाएंगे। जिन यारो ने लगाई ये लत मुझे, वो भी साथ ना देंगे, बेवफा हो जाएंगे। ©Raj Mani Chaurasia अभी धुवा उड़ा रहे है ( शायरी ) #worldnotobaccoday
Reeva
ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा, ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है. ©Reeva Maurya ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है
@mu
लगता हैं कहीं ईश्क जला रहा हैं , सपनों में मैंने धुवा उठता देखा हैं.. ---amu धुवा- dedicated for खत
Shailendra CK Pal
धुआं सा उठे है, जिस्म के हर कहीं से, बादलों से कह दो बरसता क्यों नहीं ऐ | बुझेगा धुंआ ए जब होगा हमारा मिलन सही से, वरना बादलों का क्या ऐ तो गरज के निकल जाएंगे कहीं से|| ©Shailendra CK Pal धुआं सा उठा है जिस्म के हर कहीं से #CKS
Rajesh Sharma
कराह उठा है भारत कोरोना के प्रहार से ऑक्सीजन, इंजेक्शन, बेड की कमी रोते, बिलखते परिजनों के आँखों मे नमी घर पे ही रहे बंधु, जीवन बचाना है जरूरी नही तो, क्यो बाहर जाना है आप ही हो दुनिया अपने परिवार की इतनी सी बात से आपको अवगत कराना है कोरोना से कहर और जहर से खुद भी बचे बाकियों को भी बचाये। © Rajesh Sharma कराह उठा है कराह उठा है भारत #Family
Yudi Shah
धुवा से लगता है, यहा नशा सरावो कि औकात कहाँ रहा... ©Yudi Shah धुवा से लगता है, यहा नशा सरावो कि औकात कहाँ रहा.. #coldnights
jitendra patel
जो झुका है वही उठा है जो उठा है , वही आगे, बढ़ा है
Manas Raj Singh
गर्जना जब शंख बजा, मैं गरज उठा। अग्नि ज्वाला सा भड़क उठा।। जब तान छिड़ी, सुर बोल उठा। मैं मधुरी कोयल सा कुंक उठा।। जब थाप पड़ी, मैं डोल उठा। राग-राग हर हर बोल उठा।। लेखक-मानस राज सिंह #गर्जना जब शंख बजा, मैं गरज उठा। अग्नि ज्वाला सा भड़क उठा।। जब तान छिड़ी, सुर बोल उठा। मैं मधुरी कोयल सा कुंक उठा।। जब थाप पड़ी, मैं डोल उठा
vishwadeepak
आँखों में नमी, दिल में उठा, सैलाब सा है, चले जाना किसी का, जैसे बगिया का, उजड़ जाना सा है, धधकते थे अंगारे, जिनकी आवाज से, आज शोला वो, क्यूँ शांत सा है, हादसा जो ठहर जाता, ऊपर वाला भी तो, शांत सा है, जाना था, जाने वाले को, इसलिए आज, जहां सारा वीरान सा है, आँखों में नमी, दिल में उठा सैलाब सा है......... ©Deepak Chaurasia ##आँखों में नमी, दिल में उठा, सैलाब सा है, चले जाना किसी का, जैसे बगिया का, उजड़ जाना सा है, धधकते थे अंगारे, जिनकी आवाज से, आज शोला वो, क्