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Yogesh Harichandra Marke
अश्रु अनंदातुन उमटलेले हसू खुप सुंदर असते... पण अनंदातुन आलेले अश्रु त्याहुन खुप सुंदर असते... योगेश मार्के अंबरनाथ जिल्हा: ठाणे ©Yogesh Harichandra Marke अश्रु आनंदाचे #MothersDay2021
Satendra Sharma
🌹🌹"राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी" की जयन्ती (23 सितम्बर) पर शत-शत नमन करते हुए उनकी प्रतिष्ठा में पंक्तियाँ समर्पित कर रहा हूँ..... 🙏🙏 धरा भारती गौरवान्वित हुई थी जिनको अपने पुत्र रूप में पाकर, माँ सरस्वती ने हृदय से आशीर्वाद दिए थे जिनको चुन-चुनकर। हिमालय बौना हुआ उनके समक्ष, गगन ने रखा जिनको अपने समकक्ष, राष्ट्रकवि, जनकवि से सुशोभित हुए नाम है उनका 'दिनकर'।। कभी 'रेणुका' काव्यसंग्रह से निकली भावनायें क्रान्ति की चिन्गारी बन जाती, कभी 'समर शेष है' से लेखनी सत्तालोलुप चरित्रों पर प्रहार कर जाती। कभी 'हमारे कृषक' से दशा किसान की हृदय को व्याकुल जाती कर, याद रहेंगे सदा 'रश्मिरथी' 'उर्वशी' जैसे महाकाव्यों के निगार 'दिनकर'।। ....... सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 'तरंग'
सरफिरी®
होता तो आनंद काळ-डोही हरवला उरला फक्त तरंग आठवणींचा... शुभ सकाळ मित्र आणि मैत्रिणींनो आताचा विषय आहे तीन शब्द एक कविता आनंद डोही तरंग... दिलेले तीन शब्द मिळून एक कविता करायची आहे. #तीनशब्द१ चला त
Sunita Chhattani
ढलते सूरज की तरह उम्र ढल रही हैं सुख की आस लिए बैठे थे डूबते सूरज ने फिर वादा किया कल फिर मिलेंगे नई तरंग के साथ सवेरे ©Sunita Chhattani नई तरंग
Pratik Dasgupta
आदमी थे हम बड़े काम के पर अचानक बेबस और मलंग हो गये किसीको पता ही न चला की उनकी हँसी की तरंग में हम कही खो गये । #तरंग #YQDidi
कविता पुराणिक
कधी होत असे पाऊस धारा रिमझिमणारी माझी स्वरा सहजच सांगून जाते मला जगण्याचा स्वच्छंदी अर्थ खरा ©कविता पुराणिक स्वर तरंग
RavindraSingh Shahoo
रंग तरंग सच से भले ही इंकार हो चाहे झूठ अगर स्वीकार हो सिर्फ अहम वहम से प्यार हो जिनका मन पर अधिकार हो मन बड़ा ही चँचल होता है बुध्दी अस्थिर कर देता है सिर्फ भौतिकता से लगाव हो भावुकता का ही प्रवाह हो यदि सद्गुणों से जरा भी दुराव हो दुर्गुणों का यत्किंचित भी प्रभाव हो सतगुरु की किरपा होते ही अमृतवर्षा ले आती है जो राह सही दिखलाती है सब तनाव बहा ले जाती है जीवन की समस्त गलतियों का अहसास हमें करवाती है तब सोच भले पछताती है गुजरा समय ना लोटा सकती है अहसास भले ही होता है व्याकुल मन विचलित होता है जब सांझ की बेला आती है सब रंग विविध दिखलाती है उम्मीद उमंग के भाव सभी जो प्रगट तभी करवाती है! द्वारा:-RNS. #रंग तरंग.
Parasram Arora
नहीं मिलती थाह.... मेरे ं मन की चंचल मछली को लहरों को गिनने मे ही गंवा देत वो पूरी ऊर्जा को अतल मे छिपे मोती तक कैसे पहुंचेगी वो कब समझेगी सतह पर जीने की व्यर्थता को कब तक होता रहेगा गर्जन सागर की इन लहरों का ये तो पहरा हैँ उनका परिधि पर देख भीतर उस निष्कम्प अनंत की तरंग को निष्कम्प तरंग