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Manjul
उनकी आँखों मे देखकर आँसू .. अपनी बरबादयो का गम ना रहा ...।। #NojotoQuote तृप्ति
Arora PR
पूर्ण तृप्ति का सुख अभी मुझ से मीलो दूर है उसे पाने के लिये मैं युगो से प्रतीक्षा कर रहा हूँ कल देखे थे मैंने अंन गिनीत तारे इस आसमान मे चमकते हुए लेकिन आज वोआसमान तन्हा है तारे निकले नहीं सिर्फ अकेला चाँद दिखरहा हैं ©Arora PR पूर्ण तृप्ति
तृप्ति
फक्र नहीं पड़ता अगर, फ़र्क नहीं पड़ता अगर... जिंदगी और उलझ भी जाए तो मुश्किलें और बढ़ जाए तो ये दुनिया अब रूठ जाए तो खुद को ऐसा बना लिया है हमने किसी बात का असर ना हो पाए अब कि कोई कुछ भी कह जाए तो हमे लाख बुरा बताए तो हौसले बहुत ऊंचे है इस दुनिया से ना छुए जाएंगे हम ना बदल पाएंगे आसमान एक दिन छू जायेंगे लाख रोक ले टोक ले कि अब बताएंगे एक दिन उड़ कर तो फ़र्क नही पड़ता अगर.... जिंदगी और उलझ भी जाए तो ©तृप्ति #तृप्ति #doesnotmatter
गौरव गोरखपुरी
तुम्हारा मेरे जिंदगी में आ जाने से ख्वाहिशें कितनी उम्मीदों में है लिपटी तुम्हारा जवाब - " हमेशा ले लिए ना " से ख्वाहिशें धीमी पड़ती धड़कनों में हैं सिमटी पास तो कभी आए नहीं हम मगर तुमसे दूर जाकर भी ,अब दूर जाना आसान नहीं है "तृप्ति" #poeticPandey तृप्ति #nojotohindi
Shivam Nahar
तृप्ति दुनिया के किसी कोने में उन दो लोगों में बैर हुआ, जोगी बोला, जोगन से कि था प्रेम कभी, अब ज़हर हुआ, सागर, नदिया, सूरज,चंदा कितने विशाल, ना अंत कोई, हम प्रेम की पूजा हो जाते गर होता जीवन संत कोई, एक नित्य दोपहरी शामों में मैंने याद किए वो पल बीते, जो कुरेद रहें हैं अंदर तक ये क्षण बिन तेरे हैं रीते, पर फिर भी सारी टीस लिए मैं हर रस्ता तन्हा नापूं, मेरे हाथ में जो एहसास अभी उसको पकडूं उसको थामूं, एक पहन के पैमद पीली सी जोगी सा पागल हो जाऊं, मन बांध के उसकी बंसी से उसकी दुनिया में खो जाऊं, इस दुनिया में ध्वनियां हज़ार है गीत एक ही जीवन का, आंखें मूंदों, एक ध्यान मढो धागा जोड़ो उससे मन का । :– शिवम् नाहर ©Shivam Nahar तृप्ति #peace
Diwan G
भगवान का दिया सबकुछ है... बस मानव मन को कभी भी तृप्ति नहीं होती। लालसा रहती है सदैव मन में... यही वजह है, भगवान की प्राप्ति नही होती। ©Diwan G #भगवान #तृप्ति #माहर_हिंदीशायर
Manoj Soni
लालसा अपरिमित है स्वयं का भविष्य में विस्तार है लालसा जैसे ओस बादल को समाहित करने की चेस्टा करे... प्यास वर्तमान में होती है भविष्य में नही आप तृप्त वर्तमान में होते हैं भविष्य में नही ...... इसलिए कल्पनाओं से तृप्ति सम्भव नही वर्तमान गतिमान है इसलिए वर्तमान की कल्पना सम्भव नही वो यथार्थ है ... कल्पनाओं के लिए एक रिक्त ठहरा हुआ आकाश आवश्यक है कल्पनाए भविष्य में तृप्ति की तैयारी है... इसलिए कल्पना भविष्य की होती है मगर प्यास वर्तमान है !!! और तृप्ति भी वर्तमान में निहित है । 'मनु' लालसा और तृप्ति