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shwati pandey
किचकिचाहट से सिर चकरा रहा मेरा कुछ दिनों से झक्की सा व्यवहार है, कब कहती हूँ किसी से की कोई बैठे सुने मेरी दो - चार कविताएं। कुछ दिनों से लिख नहीं पाई मैं कोई कविता, रात भर सो न सकी उहापोह की स्थिति में, छटपटा रही थीं मरणासन्न अवस्था में कविताएं वो जो कह न पाईं अंतर्दशा अपनी मैं लेट गयी उत्तर से दक्षिण की ओर सिर किये ताकि मिल जाए इन्हें प्राणमुक्ति। आज सुबह से परदे को न जाने क्या दुश्मनी है खिड़की से जो उलझ जा रहा बार-बार, मैंने खिड़की खोल रखी है पूरब ओर ताकि सूरज की मार सहें कुछ देर परदा। बिस्तर पर गिरे पड़े मिले कितने बाल मेरे माँ कहती रही की तेल की मालिश आवश्यक है सिर पर, तभी तो कविताओं ने रात दम तोड़ दिया मैंने उठाया रेड़ी का तेल और ठोंकती रही घण्टों भर सिर पर। -Shwati pandey🌹🌿 विश्व कविता दिवस की शुभकामनाएं🌸 .. #हिंदी #कविता
Amresh Kumar Singh
हिंदी की अभिलाषा' हिंदी थी वह जो लोगो के ह्रदयों में उमंग भरा करती थी, हिंदी थी वह भाषा जो लोगो के दिलों मे बसा करती थी| हिंदी को ना जाने क्या हुआ रहने लगी हैरान परेशान, पूछा तो कहती है अब कहां है मेरा पहले सा सम्मान| मैं तो थी लोगो की भाषा, मैं तो थी क्रांति की परिभाषा, मैं थी विचार-संचार का साधन मैं थी लोगो की अभिलाषा मुझको देख अपनी दुर्दशा आज होती है बड़ी निराशा, सुन यह दुर्दशा व्यथा हिंदी की ह्रदय में हुआ बड़ा आघात, बात तो सच है वास्तव में हिंदी के साथ हुआ बड़ा पक्षपात| हिंदी जो थी जन-जन की भाषा और क्रांति की परिभाषा, वह हिंदी कहती है लौटा दो उसका सम्मान यही हैं उसकी अभिलाषा| अपने ही देश में हिंदी दिवस को तुम बस एक दिन ना बनाओ, मैं तो कहता हुं हिंदी दिवस का यह त्योहार तुम रोज मनाओ आओ मिलकर प्रण ले हम सब करेंगे हिंदी का सम्मान, पूरी करेंगे हिंदी की अभिलाषा देंगे उसे दिलों में विशेष स्थान| हिंदी दिवस कविता
कुलदीप पटेल
बोल लिया करते हैं अंग्रेजी, इस जहॉ से कदम मिलाने को, वरना एहसास -ए -जज्बाते बयां, सिर्फ हिंदी अल्फाजों में आता है। हिंदी दिवस की
Anokhi
हिंदी दिवस - 14 सितंबर हिंदी शोभे बिंदी से.....! हिन्दुस्तानी शोभे हिंदी से.....! आभा अनोखी # हिंदी दिवस # हिंदी की बिंदी...
Mahesh Kumar Bose
हिंदी दिवस सम्मान करे आओ सब मिलकर राष्ट्र के माथे की बिंदी का, गौरव गान करे आओ सब मिलकर हम हिंदी का। वह हिंदी जो रूप अनेकों धारण करती हैं, वह हिंदी जो करोड़ों लोगों का मन भरती हैं। वह हिंदी जो मीरा और तुलसी की वाणी हैं, जिस हिंदी में गायी कबीरा ने अमृत वाणी हैं। जिस हिंदी में दिनकर, पंत, निराला लिखते थे, जिस हिंदी के दिवाने प्रेमचंद खुद दिखते थे। आओ उस हिंदी को जन-जन तक पहुँचाते हैं, आओ हम सब मिलकर हिंदी दिवस मनाते हैं। हिंदी जो तत्सम, तद्भव शब्दों को भी अपनाती हैं, हिंदी देशी और विदेशी शब्दों को भी गले लगाती हैं। महिमा हिंदी की सब भाषाओं से कितनी न्यारी हैं, इसीलिए ही तो मुझको लगती हिंदी सबसे प्यारी हैं। छंदों और अलंकारों से सुसज्जित स्वरूप निराला हिंदी का, आओ पिये सब मिलकर नवरसों से भरा ये प्याला हिंदी का। अंग्रेजी के कमरों पर आओ लगाये मिलकर ताला हिंदी का उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक बोल हो बाला हिंदी का। #NojotoQuote हिंदी दिवस हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
Dr Mahesh Kaushik
हिंदुस्तान के माथे सजी है हिंदी जन-जन की प्यारी बनी है हिंदी हिंदी है मान स्वाभिमान हमारा हिंदी है पूरे राष्ट्र की आंख का तारा हिंदी ही है प्रेम की अविरल धारा एकता के गीत का संगीत प्यारा जनमानस के हृदय बसी है हिंदी।। हिंदी हम सबका विश्वास है विकास की आशा व प्रकाश है खुशहाली का झरना बिंदास है सप्त सुरों की माला यह खास है संस्कृति की प्रहरी बनी है हिन्दी।। ऋषि मुनियों का आशीर्वाद है ये वेद पुराणों का अनुवाद है हिंदी की हुकूमत निर्विवाद है हिंदुस्तानी दिलों का आह्लाद है गीता सी धरोहर बनी है हिंदी ©Dr Mahesh Kaushik हिंदी दिवस पर एक कविता #Darknight