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AJAY NAYAK
चाहत अभी बाकी है कुछ मन्नते बाकी है कुछ इबादत बाकी है एक उनके इन्तजार में चारो धाम बाकी है। बस आ जाए मोरे अंगना में खिल उठे बागों के फूल चौखट के अंदर पग पड़ते ही मेरा घर ही बन जाए मंदिर । –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Hope #चाहतअभीबाकीहै कुछ मन्नते बाकी है कुछ इबादत बाकी है एक उनके इन्तजार में चारो धाम बाकी है।
शायर "श्री"
झीलों का शहर और राजस्थान का कश्मीर कहे जाने वाले पूर्व का वेनिस और व्हाइट सिटी के नाम से जाने जाने वाले अरावली की पहाड़ियों से घिरे शहर उदयपुर में आपका स्वागत है। यहा फतहसागर की सुनहरी सुबह और पिछोला की सुहानी शाम यहाँ पहाड़ो के पीछे से उगता सूरज झील के नीले पानी में डूबता सूरज झील के शांत जल में प्रतिबिम्ब ऐसा मानो प्रकृति खुद निर्माण कर रही हो एक और शहर उदयपुर जेसा यहाँ रात की चाँदनी में स्वर्ण महल सा जगमगाता सिटी पैलेस उदयपुर के मौसमी मिजाज का मनोरम दृश्य बतलाता सज्जनगढ़ मानसून पैलेस मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास की कथाएँ कहता शहर महाराणा प्रताप और चेतक की शौर्य गाथाएँ कहता शहर नीमच माता, करणी मंदिर से सूर्योदय -सूर्यस्त का दिखता दृश्य मनोरम हस्तकला, पारंपरिक नृत्य, मेवाड़ संस्कृति का परिचय कराता शिल्पग्राम ऐसा है शहर उदयपुर... अतिथि पधारो म्हारे उदयपुर...🙏 ©शायर "श्री" पधारो म्हारे देश... पधारो म्हारे उदयपुर 🙏 #rajasthantourism #Udaipur #udaipurblog
Shivkumar
प्रकृति की अंगना की राजकुमारी , आज सहर को महकाने आई है मौसम मस्त पवन संग, खूब झूम झूम लहराई है कितना निहारू तुझे , मन की उमंग उमड़ आई है तस्वीरों में उतारे जो तुझे, मानो देख मुझे फिर यूँ तूने खूब शरारतें अपनी दिखाई है तू नूर है कुदरत का खूबसूरत मुस्कुराहट की परछाई है... ©Shivkumar #hibiscussabdariffa #phool #environment #प्रकृति_बचाओ_जीवन_बचाओ #Nojoto #प्रकृति की अंगना की राजकुमारी , आज सहर को महकाने आई है मौस
sampankaj 64
Jai Shri Ram राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी... राम भी आ गए, अंगना भी सज गया... अब एक बात बताओ.. माता सीता सी तुम पवित्र हो पाओगी क्या...?? राज महल छोड़ कर वनवास जा पाओगी क्या...?? माता सीता की तरह पतिधर्म निभा पाओगी क्या...?? कोई लक्ष्मण रेखा यदि तुम लांग भी जाओ तो...?? सीता माता की तरह तुम उसे.... देखे या छुए बिना रह पाओगी क्या...??? अब लडको तुम बताओ...?? सोतेली मां के कहने पर सारा राज छोड़ गया वो... उस के जैसे वनवास जा पाओगे क्या...?? भ्राता भरत जैसे राज गद्दी पर... चरण पादुका रख पाओगे क्या...??? लक्ष्मण के जैसे भाई संग वनवास जा पाओगे क्या...??? सात समंदर पार जा राम जैसे तुम... अपनी सीता को फिर से घर ला पाओगे क्या...?? ये सब किए बिना तुम... अपना अंगना सजा पाओगे क्या...!! ©sampankaj 64 #jaishriram अंगना सजा पाओगे क्या...
Instagram id @kavi_neetesh
सदियों बीते राम, निहारे पथ आंखें। कब आओगे राम?निहारे पथ आंखें...! अपने ही घर के बाहर, बैठे रहे, बिना छत के , चौदह बरस नहीं, अपितु, अधिक पांच सौ बरस से। द्वादशी तिथि पौष मास, २०८० विक्रम संवत , यह शुभ अवसर आया है, संत सनातन ने आग्रह से फिर तुम्हें बुलाया है। भवन पधारो राम! निहारे पथ आंखें।। राह निहार रही अहिल्या,का तुमने उद्धार किया, शबरी राह बुहार रही थी,उसका भी कल्याण किया। जामवंत, सुग्रीव व केवट साथी मित्र बने सारे, हार गया अधर्म किन्तु; हे सत्यपथी तुम ना हारे। ना किया ,तनिक विश्राम! निहारे पथ आंखें।। जब तुम आओगे, कलयुग में सतयुग आएगा। हर प्राणी तुममें, समा राममय हो जाएगा। छट जाएंगे दु:ख के बादल,सुख सूरज उदित हो जाएगा। सदियों से कल्पित राष्ट्र में, फिर राम राज्य आजाएगा।। कर दो जन का कल्याण ! निहारे पथ आंखें।। करने सबका उद्धार, राम ! कब आओगे? घर सबको देते राम!अब घर आओगे। है अवध बिछाए आंख ,राम तुम कब आओगे? घर अपने आओ राम! निहारे पथ आंखें। ©@kavi_neetesh सदियों बीते राम, निहारे पथ आंखें। कब आओगे राम?निहारे पथ आंखें...! अपने ही घर के बाहर, बैठे रहे, बिना छत के , चौदह बरस नहीं, अपितु, अधिक पां
Ravindra Singh
माँ पधारो माँ लक्ष्मी मेरे घर, मैने राह में तुम्हारे पुष्प बिछाए हैं । जगमगा रहा मंदिर तुम्हारा, मिट्टी के दीए चारों ओर लगाए हैं । लाया मूर्ति तुम्हारी मंदिर में तुम्हें बिठाने को बनवाए पकवान मां तुम्हारा भोग लगाने को, फूलझड़ी व पटाखे से, माँ स्वागत करूं तुम्हारा, रखते ही कदम तुम्हारे, खुशियों से जगमगा उठे घर सारा । दिया तुमने सब कुछ मुझे माँ , करो उपकार मुझे अपने दर्शन देकर । मत करो अब और उदास माँ , दर्शनों को तुम्हारे मैंने बहुत आंसू बहाए हैं । पधारो माँ लक्ष्मी मेरे घर, मैने राह में तुम्हारे पुष्प बिछाए हैं । ©Ravindra Singh माँ पधारो माँ लक्ष्मी मेरे घर, मैने राह में तुम्हारे पुष्प बिछाए हैं । जगमगा रहा मंदिर तुम्हारा, मिट्टी के दीए चारों ओर लगाए हैं । लाया मू
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- पधारो आप गणपति जी हमारे आज आँगन में । कृपा से आपके बनते हमारे काज जीवन में ।। पधारो आप गणपति जी ..... प्रथम तुम देवता मेरे प्रथम हो आपकी पूजा । हमारा कौन है तुम बिन जगत में और अब दूजा ।। यहाँ फिर और किससे हम लगाएं आस जीवन में । पधारो आप गणपति जी ... तुम्हारा ध्यान करके आज बैठा हूँ शरण तेरी । उबारो कष्ट से हमको भला किस बात की देरी ।। कृपा से ही तुम्हारे तो खिले हैं फूल मधुवन में ।। पधारो आप गणपति जी ..... बनाकर मूष को वाहन दिखाई है कृपा अपनी । दया हम पर जरा कर दो सँवर जाए यहीं करनी ।। छुपाया आपसे क्या है बताओ आज जीवन में ।। पधारो आप गणपति जी .... पधारो आप गणपति जी हमारे आज आँगन में । कृपा से आपके बनते हमारे काज जीवन में ।। १९/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- पधारो आप गणपति जी हमारे आज आँगन में । कृपा से आपके बनते हमारे काज जीवन में ।। पधारो आप गणपति जी .....
Durgesh Chaudhary
Happy गणेश चतुर्थी ©Durgesh Chaudhary मेरे घर पधारो गणेश देवा केर रिद्धि-सिद्धि को साथ मंगल ही मंगल करो बप्पा संकट में थामे रखो मेरा हाथ ।