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Jitendra Kumar Som
अजगर बना पति त्रिपुरा के पहाड़ी अंचल में दो सुंदर बहनें रहती थीं। उनके बालपन में ही उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। उनके पिता अचाइ (पुरोहित) थे। उन्होंने पत्नी की मृत्यु के पश्चात दूसरा विवाह नहीं किया। उन्हें भय था कि विमाता उनकी पुत्रियों का लालन-पालन ठीक ढंग से नहीं कर पाएगी। पिता के स्नेह-दुलार में पुत्रियाँ पली-बढ़ीं। अचाइ (पुरोहित) की आमदनी बहुत कम थी। वह झूम खेती (स्थान बदलकर की जाने वाली खेती) के द्वारा आजीविका कमाता था। उसकी पुत्रियाँ भी पिता की परेशानी समझती थीं। अतः वे अपने पिता से अनुचित माँग नहीं करती थीं। वर्षा ऋतु में उनके कष्ट और भी बढ़ जाते। कई वर्षों से मकान की मरम्मत नहीं हो पाई थी। अतः बरसात का पानी घर में घुस जाता। यूँ तो उनका घर एक ऊँचे मचान पर था किंतु पानी वहाँ भी पहुँच जाता। एक दिन दोनों बहनें खेत से थककर लौटीं। पूरे घर में पानी भरा हुआ था। छोटी बहन के मुँह से आह निकली। वह तड़पकर बोली, "दीदी, अब हम क्या करें?" "ठहरो, देखती हूँ शायद कुछ मायदूल (भात का बना त्रिपुरी भोजन) पड़ा होगा। अभी उसे खाकर ही भूख मिटाते हैं।" कहकर बड़ी बहन ने सात्वंना दी। बड़ी बहन ने थैला टटोला किंतु खाने को कुछ नहीं मिला। सब कुछ बरसात के पानी में भीगकर खराब हो गया था। उसकी आँखों में आँसू आ गए। छोटी बहन का दुख वह सह न सकी, उसने प्रतिज्ञा की कि "मैं उसी को अपना पति मानूँगी, जो मेरे घर को सँवार देगा।" जिस तरह सबके कष्ट दूर होते हैं, उसी तरह वह दुखभरी रात्रि भी बीत गई। अगले दिन जब दोनों बहनें घर लौटीं तो घर की कायापलट देखकर दंग रह गईं। सारे घर की मरम्मत की गई थी तथा खाने-पीने का सारा सामान भी मौजूद था। इतने खाद्य पदार्थ उन्होंने पहले कभी नहीं देखे थे। अचाइ ने भी घर का परिवर्तन देखा तो उत्साह के साथ बोला, "हो नहो, यह तो वनदेवी की कृपा है। उससे तुम लोगों का कष्ट नहीं देखा गया। इसलिए उसने हमारी सहायता की है।" पिता तो भरपेट खाकर सो गए किंतु बड़ी बहन उनके अनुमान से संतुष्ट न थी। वह चाँदनी रात में बाहर आकर खड़ी हो गई। तभी उसकी नजर एक विशालकाय अज़गर पर पड़ी। वह अजगर उनके घर से निकलकर जा रहा था। बड़ी बहन ने उसी क्षण निर्णय ले लिया कि वह अजगर को ही अपना पति मानेगी। उसे पूरा विश्वास था कि उनके घर की दशा सँवारने में अजगर का ही हाथ है। छोटी बहन के लाख समझाने पर भी वह अकेले खाना खाने नहीं बैठी। तब हार कर छोटी बहन ने अपने जीजा जी को पुकारा "कुमुइ, कुमुइ, माइटानानि फाइदिदो।' (जीजा जी, जीजा जी। खाना खाने आइए।) यह आवाज सुनते ही अजगर घर में आ पहुँचा। दोनों बहनें उसके विशाल स्वरूप से घबरा गईं किंतु वह शांति से भोजन करके लौट गया। यह क्रम काफी समय तक चलता रहा। एक दिन अचाइ (पुरोहित) को पता चला तो वह आग-बबूला हो उठा। उसकी सुंदरी पुत्री एक अजगर को पति माने, यह उसे स्वीकार न था। जब बड़ी बेटी खेत पर गई तो उसने छोटी बेटी से कहा, "तुम रोज की तरह जीजा जी को पुकारो।" छोटी ने समझा कि शायद उससे मिलना चाहते हैं। उसने फिर हाँक लगाई- "कुमुइ, कुमुइ माइटानानि फाइदिदो।' अजगर ज्यों ही मचान के पास पहुँचा, आड़ में छिपे अचाइ (पुरोहित) ने तेज हथियार से उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए। छोटी फूट-फूटकर रोने लगी। बड़ी बहन ने जब अपने अजगर की मृत्यु का समाचार सुना तो वह दुखी हो गई। कुछ ही दिनों में उसके मन में अजगर के प्रति प्रेम-भाव जाग गया था। उससे वियोग की कल्पना से वह भयभीत हो उठी। बिना एक शब्द कहे वह नदी की ओर चल दी। छोटी बहन भी उसके पीछे चल दी। बड़ी ने आँखें बंद कीं और रोती-रोती नदी के पानी में उतरती चली गईं। बेचारी छोटी उसे पुकारते रही। "मत जाओ, दीदी। मत जाओ, दीदी।" बड़ी बहन ज्यों ही नदी में उतरी तो सीधे एक राजभवन में पहुँच गई। जल के नीचे इतना सुंदर महल देखकर वह दंग रह गई। प्रवेश द्वार पर उसका अजगर पति स्वागत के लिए खड़ा था। उसके बाद वह वहीं सुखपूर्वक रहने लगी। ©Jitendra Kumar Som #Silence अजगर बना पति
Dablu Gaur
Hindi Kahani हिंदी कहानी अजगर : हिंदी लोक-कथा Ajgar : Folk Tale in Hindi बहुत वर्ष पहले एक राजा की दो रानियाँ थीं। बड़ी रानी शोभा बहुत अच्छे स्वभाव की दयावान स्त्री थी। छोटी रानी रूपा बड़ी कठोर और दुष्ट थी। बड़ी रानी शोभा के एक पुत्री थी, नाम था देवी। रानी रूपा के भी एक बेटी थी, नाम था तारा। रानी रूपा बड़ी चालाक और महत्वाकाँक्षी स्त्री थी। वह चाहती थी कि राज्य की सत्ता उसके हाथ में रहे। राजा भी उससे दबा हुआ था। रानी रूपा बड़ी रानी और उसकी बेटी से नफरत करती थी। एक दिन उस ने राजा से कह दिया कि रानी शोभा और देवी को राजमहल से बाहर निकाल दिया जाये। राजा रानी रूपा की नाराजी से डरता था। उसे लगा कि उसे वही करना पड़ेगा जो रूपा चाहती है। उस ने बड़ी रानी और उस की बेटी को राजमहल के बाहर एक छोटे से घर में रहने के लिए भेज दिया। लेकिन रानी रूपा की घृणा इससे भी नहीं हटी। उस ने देवी को आज्ञा दी कि वह प्रतिदिन राजा की गायों को जंगल में चराने के लिए ले जाया करे। रानी शोभा यह अच्छी तरह जानती थी कि यदि देवी गायों को चराने के लिए गई तो रानी रूपा उन्हें किसी और परेशानी में डाल देगी। इसलिए उसने अपनी लड़की से कहा कि वह रोज सुबह गायों को जंगल में चरने के लिए ले जाया करे और शाम के समय उन्हें वापिस ले आया करे। देवी को अपनी माँ का कहना तो मानना ही था, इस लिए वह रोज़ सुबह गायों को जंगल में ले जाती। एक शाम जब वह जंगल से घर लौट रही थी तो उसे अपने पीछे एक धीमी सी आवाज़ सुनाई दी- ‘‘देवी, देवी, क्या तुम मुझसे विवाह करोगी ?’’ देवी डर गई। जितनी जल्दी हो सका उसने गायों को घर की ओर हाँका। दूसरे दिन भी जब वह घर लौट रही थी तो उस ने वही आवाज़ पुन: सुनी। वही प्रश्न उससे फिर पूछा गया। रात को देवी ने अपनी माँ को उस आवाज़ के बारे में कहा। माँ सारी रात इस बात पर विचार करती रही। सुबह तक उस ने निश्चय कर लिया कि क्या किया जाना चाहिए। ‘‘सुनो बेटी,’’ वह अपनी लड़की से बोली- ‘‘मैं बता रही हूँ कि यदि आज शाम के समय भी तुम्हें वही आवाज़ सुनाई दे तो तुम्हें क्या करना होगा।’’ ‘‘बताइये माँ,’’ देवी ने उत्तर दिया। ‘‘तुम उस आवाज़ को उत्तर देना,’’ रानी शोभा ने कहा, ‘‘कल सुबह तुम मेरे घर आ जाओ, फिर मैं तुम से विवाह कर लूँगी।’’ ‘‘लेकिन माँ,’’ देवी बोली- ‘‘हम उसे जानते तक नहीं।’’ ‘‘मेरी प्यारी देवी,’’ माँ ने दु:खी होकर कहा- ‘‘जिस स्थिति में हम जीवित हैं उस से ज्यादा बुरा और क्या हो सकता है। हमें इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेना चाहिए। ईश्वर हमारी सहायता करेगा।’’ उस संध्या को जब देवी गायों को लेकर लौट रही थी उसे वही आवाज़ फिर सुनाई दी। आवाज़ कोमल और दु:ख भरी थी। ‘‘देवी, देवी क्या तुम मुझ से विवाह करोगी ? क्या तुम मुझ से विवाह करोगी ?’’ आवाज़ बोली। देवी रुक गई। उस ने पीछे मुड़कर देखा लेकिन उसे कोई नहीं दिखाई दिया। वह हिचकिचायी। वह वहाँ से भाग जाना चाहती थी लेकिन फिर उसे माँ के शब्द याद आ गये। वह जल्दी से बोली- ‘‘हाँ, यदि तुम कल सुबह मेरे घर आ जाओ तो मैं तुम से विवाह कर लूँगी। तब वह बड़ी तेजी से गायों को हाँकती हुई घर चली गई। अगले दिन सुबह रानी शोभा जरा जल्दी उठ गई। उस ने जाकर बाहर का दरवाजा खोला, देखने के लिए कि कोई प्रतीक्षा तो नहीं कर रहा। वहाँ कोई भी न था। अचानक उसे एक धक्का सा लगा और वह स्तब्ध रह गई। एक बड़ा अजगर कुण्डली मारे सीढ़ियों पर बैठा था। रानी शोभा सहायता के लिए चिल्लायी। देवी और नौकर भागे-भागे आये कि क्या बात है। तभी एक आश्चर्यजनक बात हुई। अजगर बोला :- ‘‘नमस्कार,’’ उसका स्वर बहुत विनम्र था- ‘‘मुझे निमन्त्रित किया गया था इसलिये मैं आया हूँ। आपकी लड़की ने मुझसे वायदा किया था कि यदि मैं सुबह घर आ सकूँ तो वह मुझ से विवाह कर लेगी। मैं इस लिये आया हूँ। रानी शोभा की समझ में नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करे | उसे तो यही आशा थी कि किसी दिन कोई सुन्दर नौजवान उसकी लड़की से विवाह करने आयेगा । उसने यह कभी नहीं सोचा था कि वह अजगर होगा ! एक नौकर भाग कर रानी रूपा के पास गया और उसे उसने सारी घटना बतला दी । रानी यह सुन कर प्रसन्न हुई। वह उसी समय अपने नौकरों के साथ रानी शोभा के घर गई । “यदि राजकुमारी देवी ने किसी के साथ विवाह का वायदा किया है,” वह बोली--- तो उसे अपना वायदा अवश्य निभाना चाहिए । रानी होने के कारण यह देखना मेरा कर्त्तव्य है कि वह अपना वायदा पूरा करें। उसी दिन विवाह हो गया । रानी शोभा और देवी के लिए यह कोई प्रसन्नता का समय नहीं था लेकिन इतने दुर्भाग्य सहने के बाद वे किसी भी प्रकार की विपत्ति का सामना करने को तैयार थीं । विवाह के पश्चात् अजगर अपनी पत्नी के साथ उसके कमरे में गया । सारी रात रानी शोभा ने प्रार्थना करते हुए बिताई कि उसकी बच्ची ठीकठाक रहें। दूसरे दिन बड़े सवेरे उसने देवी के कमरे का दरवाज़ा खट- खटाया। एक सुन्दर नवयुवक ने दरवाज़ा खोला । देवी उसके पीछे खड़ी थी। “मैं आपको कह नहीं सकता कि मेरी जान बचाने के लिए मैं आपका और देवी का कितना आभारी हूँ,” वह नवयुवक बोला--- मैं एक शाप के कारण अजगर बन गया था । एक वन-देवता मुझसे क्रुद्ध थे और उन्होंने मुझे अजगर बना दिया । बाद में उन्हें अपनी करनी पर दुख हुआ । तब उन्होंने कहा कि यदि कोई राजकुमारी मुझसे विवाह कर लेगी तो मैं फिर से मनुष्य बन जाऊँगा । और अब देवी ने मुझ से विवाह कर लिया है, मेरा शाप उतर गया है। अब मैं फिर कभी अजगर नहीं बनूंगा ।” रानी शोभा बहुत प्रसन्न हुई। वह् अपनी लड़की और दामाद को राजा से मिलाने के लिए ले गई। यह बड़ी विचित्र घटना थी। चारों ओर से लोग इस विचित्र नवयुवक को देखने राजमहल में आने लगे । सभी उत्सुक थे--सिवाय रानी रूपा के । रानी रूपा बहुत गुस्से में थी | उसने झल्लाते और खीझते हुए अपने आपको कमरे में बन्द कर लिया । देवी का भाग्य उससे देखा नहीं जा रहा था। वह चाहती थी कि उसकी बेटी तारा भी ऐसी भाग्यशाली बने । आखिरकार उसे एक युक्ति सूझी । उसने झपनी लड़की को बुलाया । “देवी का विवाह तो अब हो गया है,” वह बोली---“ इस लिए गायों को जंगल में चराने के लिए तुम ले जाया करो । ” “नहीं!” तारा चीख कर बोली--"इतने नौकर हैं तो फिर में क्यों गायें चराने जाऊं?” “यह मेरी आज्ञा है!” रानी क्रुद्ध होकर बोली--“ एक बात और भी सुनो । यदि जंगल में कोई तुमसे विवाह का प्रस्ताव करे तो तत्काल कह देना कि तुम विवाह के लिए राज़ी हो, यदि वह अगले दिन सुबह हमारे घर आ जाये। ” “तारा माँ की इस योजना से भयभीत हो गई । वह गायों को जंगल में नहीं ले जाना चाहती थी। वह खूब रोई। लेकित रानी फिर भी नहीं पिघली । तारा को उसकी आज्ञा माननी पड़ी । तारा रोज़ सुबह गायों को जंगल में चराने के लिए ले जाती और फिर शाम के समय वापिस ले आती । लेकिन उसने एक बार भी जंगल में किसी तरह की आवाज़ नहीं सुनी जो यह कह रही हो, “क्या तुम मुझसे विवाह करोगी ?” फिर भी रानी निराश नहीं हुई । जंगल में कोई अजगर तो था नहीं जो तारा से विवाह का प्रस्ताव करता। इसलिए उसने खुद अजगर ढूंढने का निश्चय किया । उसने अपने नौकरों को एक अजगर लाने की आज्ञा दी । बहुत खोज करने पर काफी दिनों पश्चात् उन्हें एक बहुत बड़ा अजगर मिला । उसे पकड़ कर वे राजमहल में ले आये । आखिरकार रानी का अभिप्रायः पूरा हो गया और उसने तारा का विवाह इस अजगर से कर दिया। अब रानी को संतोष हुआ । विवाह की रात तारा तथा अजगर को एक कमरे में बन्द कर दिया गया। रानी अधीरता से सुबह की प्रतीक्षा कर रही थी । रानी रूपा ने सवेरे सवेरे ही लड़की के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया लेकिन कोई उत्तर न मिला । उसने ज़रा और जोर से दरवाज़ा खटखटाया लेकिन दरवाज़ा तब भी न खुला । रानी से और प्रतीक्षा न की गई और उसने धक्का देकर दरवाज़ा खोल दिया । मोटा अजगर ज़मीन पर पड़ा हुआ था लेकिन तारा का कहीं पता नहीं था। रानी चीख पड़ी। महल में सभी ने उसका चीखना सुना । राजा और नौकर भागे आये कि क्या बात है। राजकुमारी कहाँ है?” सब चिल्लाये । “वह तो अजगर के पेट में होंगी,” रसोइया बोला--- देखो वह कितना मोटा हो गया है?” रानी अब बड़ी ज़ोर-जोर से रोने लगी। राजा भी रोने लगा । रसोइया अपना सबसे बड़ा चाकू ले आया । वह बोला-- यदि वह अब तक जीवित हुई तो मैं राजकुमारी को बचाने की कोशिश करूँगा। उसने अजगर का पेट चीर डाला । तारा अच्छी भली जीवित थी । रसोइये ने उसे बाहर खींचा । वह चीख मारकर अपनी माँ की तरफ भागी। अजगर की मृत्यु हो गई और साथ में रानी रूपा की इस इच्छा की भी कि तारा का विवाह देवी की तरह ही किसी योग्य और सम्पन्न नवयुवक से हो । ©Dablu Gaur अजगर: हिंदी लोक -कथा
Kaushal Almora
मैं समझता था कि वक़्त है अजगर कोई.. निगल ही जाएगा इक दिन रंज सारे.. साला! किंग-कोबरा निकला!! ©KaushalAlmora #गलतसमझाछोटे #वक़्त #kaushalalmora #अजगर #कोबरा #रंज
Praveen Jain "पल्लव"
#5LinePoetry पल्लव की डायरी रवानगी सांसो की हलक में अटग रही है बेचैन उसकी हरकते कर रही है कीमत अपनी कीड़ो मकोड़ो सी लग रही है कब मसल दे सियासी लोग अजगर सी उनकी फितरत जनता को डसने लग रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #5LinePoetry कब मसल दे जनता को अजगर जैसी फितरत लग रही है #5LinePoetry
विवेक गंगवार
अगर जिस्म से लिपटना ही मौहब्बत है तो अजगर से बडा कोई महबूब नहीं #NojotoQuote अगर जिस्म से लिपटना ही मौहब्बत है तो अजगर से बडा कोई महबूब नहीं
LOL
मैं समझता था कि वक़्त है अजगर कोई.. निगल ही जाएगा इक दिन रंज सारे.. साला! किंग-कोबरा निकला!! ©KaushalAlmora Song of d night: चाँदनिया (2स्टेट्स) #गलतसमझाछोटे #रोजकाडोजwithkaushalalmora #अजगर #वक़्त #समय #kingcobra #yqdidi