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Mukesh Poonia
जिंदगी में अपनेपन का पौधा लगाने से पहले जमीन की परख कर लेना... हर एक मिट्टी की फितरत में वफा नहीं होती। . ©Mukesh Poonia #जिंदगी में #अपनेपन का #पौधा लगाने से पहले #जमीन की #परख कर लेना... हर एक #मिट्टी की #फितरत में #वफा नहीं होती।
Rakesh frnds4ever
हाथों की लकीरों में ना जाने क्या लिखा है,, अनगिनत लोगों के दरमियान भी हरदम एकेले होता हूं ना जाने कितने हाथों ने छोड़ा है इन हाथों को ना जाने कितनी ही बार किसी के हाथों को पकड़ने के हर प्रयास विफल रहे हैं कभी कहीं कोई अपनेपन का स्पर्श महसूस नही किया है इन हथेलियों ने हर बार स्नेह, प्यार, दुलार, साथ, दयालुता, सहयोग, भावात्मक, अपन्वतव, ओर सभी सकारात्मक स्पर्शों से वंचित रही हैं ये हथेलियां और अंगुलिया काश कोई इक बार तो कम से कम काश कोई थाम ले इन्हें कब तक ये हमेशा छूटते रहेंगे, टूटते रहेंगे, कापतें रहेंगे , बिखरते रहेगें,,,.... ©Rakesh frnds4ever #sparsh #हाथोंकीलकीरों में ना जाने क्या लिखा है,, अनगिनत लोगों के दरमियान भी हरदम एकेले होता हूं ना जाने कितने हाथों ने छोड़ा है इन हाथों को ना जाने कितनी ही बार किसी के हाथों को पकड़ने के हर प्रयास विफल रहे हैं कभी कहीं कोई #अपनेपन का #स्पर्श #महसूस नही किया है इन #हथेलियों ने
Silent Shayar
शिकायत करना भी उस मकाम पर बेहतर है ज़नाब। जहाँ अपनो में अपनेपन की झलक दिखती हो॥ ©Silent Shayar #शिकायत करना भी उस मकाम पर बेहतर है ज़नाब। जहाँ अपनो में #अपनेपन की #झलक दिखती हो॥ #SAD #Life #Truth #Rizwan_Ahamad_Faizi #alone
Miss mishra
शीर्षक-आत्मविश्लेषण बेहतर है न उस भीङ से अलग हो जाना जो आपको आपकी originality से हटाती है बेहतर है न उस भीङ से अलग होना जो आपको खुद सा बनाती है बेहतर है न उस भीङ से अलग होना जिनकी गलत बातों में भी हां में हां मिलानी पङती हो जो किसी सही इन्सान पर भी उंगली खङी करती हो ऐसा नहीं है कि हर बार जो ऊँची आवाज में बात करे, वो सही ही इन्सान हो और ऐसा भी नहीं है कि जो चुपचाप गलत बात सहन कर ले, वो गलत ही इन्सान हो वो टाइम और था जब लोग गिरने वालो को सम्भाल थे लेते ये वो टाइम है जहां ये भीङ आपको खुद ही गड्डे में ढकेल आती है फोन में कान्टेक्ट लिस्ट,fb-whatsapp-instagram पर हजारों फ्रैन्ड लिस्ट होने से कोई फायदा नहीं बेहतर है उस भीङ से अलग हो जाना, जो तुम्हें तुम्हारी पहचान पर सन्देह करवा जाती है और बहुत फ़र्क होता है साथ देने और साथ खङे होने में बन्धुवर! एक मुर्दा लाश के साथ भी तो लोगों की भीङ खङी हो जाती है ©ekta #आत्मविश्लेषण #चिंतन #अपने #आप और #अपनेपन का #don't #feel #sad #ifyou are #alone
पाखी...
गले मिलते वक्त ज़रा सतर्क रहना तुम... सुना है अपने दिखने वाले पीछे से खंजर भोकते है ©kuchh alfaaz... #अपनेपन #खंजर #सतर्कता_ही_समाधान_है #JusticeForNikitaTomar
Shilpa Yadav
अरे तू अलसाई क्योंहै? तू मुझे आज सताई क्यों है ? हमारी तुम्हारी जुदाई क्यों है ? इतनी भी रूसवाई क्यों है? बीज बोकर प्रेम उगाई क्यों है अन्कुरित नही करना तो लगाई क्यों है? धधकती है आग तो सुहाई क्यों है तेरा मेरा स्नेह है तो मुझे रूलाई क्यों है चलना नही था संग मेरे तो बुलाई क्यों है? अन्दर ही अन्दर प्यार उमडाई क्यों है तेरा मेरा स्नेह है तो सबसे छुपाई क्यों है? जब कुबूल नही था तो हे पगली तो खुले पन्ने को बन्द कर इतनी बेवफाई क्यों है ? शिल्पा यादव ©Shilpa yadav #अपनेपन के दो शब्द #जिंदगी_का_सफर #कौन_हो_तुम
#अपनेपन के दो शब्द #जिंदगी_का_सफर #कौन_हो_तुम
read moreShreya Tripathi
read caption..... एक कमरा,...कमरे में कुछ आलमारियां उन पर रखी अनगिनत #किताबें..... कुछ किस्सा सुनाती है.. कुछ #अपनेपन का किस्सा कुछ इधर-उधर की कहानियां..... कुछ ऐतिहासिक बातें.. कुछ सिलेबस की उछल-कूद उन किताबों में कुछ #लव_स्टोरीज
एक कमरा,...कमरे में कुछ आलमारियां उन पर रखी अनगिनत #किताबें..... कुछ किस्सा सुनाती है.. कुछ #अपनेपन का किस्सा कुछ इधर-उधर की कहानियां..... कुछ ऐतिहासिक बातें.. कुछ सिलेबस की उछल-कूद उन किताबों में कुछ #लव_स्टोरीज
read moreधर्म देव सिंह भाटी
खून के रिश्तो से अपनों के अपनेपन से अलग होती है दोस्ती परायों को अपना बनाती है दोस्ती दोस्ती ना हो तो अधूरी है जिंदगी जिंदगी को रंगों से सजाती है दोस्ती गम और खुशी में दोस्तों का साथ नहीं छोड़ती दोस्ती स्वार्थ से परे है सच्ची दोस्ती क्या ऊंचा क्या नीचा नहीं विचारती दोस्ती दोस्ती में सब कुछ लूट जाता है दोस्तों का बुरा नहीं सोचती दोस्ती दोस्तों पर मर मिटने का नाम है दोस्ती खून के रिश्ते से अपने के अपनेपन से अलग होती है दोस्ती Friendship Pallavi Kumari Kalika Jitendra Singh Pakhi Gupta Divya Joshi Urvi Poonia
Friendship Pallavi Kumari Kalika Jitendra Singh Pakhi Gupta Divya Joshi Urvi Poonia
read moreKamal bhansali
उम्र की रेखा ज्यों ज्यों छोटी होती गई जिंदगी मकसदों से विहीन होती गई खामोशी की कीमत बढ़ती गई बदलती वक्त की नजाकत समझती गई परायों में अपनेपन को तलाशती गई पर आज तक जीने की वजह समझ में न आई मौत को जो नाजायज दौलत समझती उसी में ही आखिर अंतिम अपनेपन की खुशबू पाई उसके आलिंगन में ही आखिर शुकुन तलाश पाई ✍💖 कमल भंसाली तलाश
तलाश
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