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Reema Mansoori
हिन्दू ना जाने अपने आप को क्या समझते है गाय का ओर भेस का गोश्त ना खुद खाते है ओर ना ही मुसलमानो को खाने देते है इसलिए क्योंकि वो दुध देती है अगर इतने ही पंडित है तो फिर बकरी का,मुर्गी का ओर मछली का गोश्त क्यू खाते इसे भी ना खाया करे बकरी भी तो दूध देती है अगर इतने ही वो है तो meet को हाथ ही ना लगाया करे , ©Reema Mansoori गोश्त"
गोश्त" #विचार
read moreVeer Bhai
साथ रहकर पता पड़ा इन्सान का गोश्त - एक गिद्ध का बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहता था। एक दिन गिद्ध का बच्चा अपने पिता से बोला- "पिताजी, मुझे भूख लगी है।'' "ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर। मैं अभी भोजन लेकर आता हूूं।'' कहते हुए गिद्ध उड़ने को उद्धत होने लगा। तभी उसके बच्चे ने उसे टोक दिया, "रूकिए पिताजी, आज मेरा मन इन्सान का गोश्त खाने का कर रहा है।'' "ठीक है, मैं देखता हूं।'' कहते हुए गिद्ध ने चोंच से अपने पुत्र का सिर सहलाया और बस्ती की ओर उड़ गया। बस्ती के पास पहुंच कर गिद्ध काफी देर तक इधर-उधर मंडराता रहा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली। थक-हार का वह सुअर का गोश्त लेकर अपने घोंसले में पहुंचा। उसे देख कर गिद्ध का बच्चा बोला, "पिताजी, मैं तो आपसे इन्सान का गोश्त लाने को कहा था, और आप तो सुअर का गोश्त ले आए?'' पुत्र की बात सुनकर गिद्ध झेंप गया। वह बोला, "ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर।'' कहते हुए गिद्ध पुन: उड़ गया। उसने इधर-उधर बहुत खोजा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली। अपने घोंसले की ओर लौटते समय उसकी नजर एक मरी हुई गाय पर पड़ी। उसने अपनी पैनी चोंच से गाय के मांस का एक टुकड़ा तोड़ा और उसे लेकर घोंसले पर जा पहुंचा। यह देखकर गिद्ध का बच्च एकदम से बिगड़ उठा, "पिताजी, ये तो गाय का गोश्त है। मुझे तो इन्सान का गोश्त खाना है। क्या आप मेरी इतनी सी इच्छा पूरी नहीं कर सकते?'' यह सुनकर गिद्ध बहुत शर्मिंदा हुआ। उसने मन ही मन एक योजना बनाई और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए निकल पड़ा। गिद्ध ने सुअर के गोश्त एक बड़ा सा टुकड़ा उठाया और उसे मस्जिद की बाउंड्रीवाल के अंदर डाल दिया। उसके बाद उसने गाय का गोश्त उठाया और उसे मंदिर के पास फेंक दिया। मांस के छोटे-छोटे टुकड़ों ने अपना काम किया और देखते ही पूरे शहर में आग लग गयी। रात होते-होते चारों ओर इंसानों की लाशें बिछ गयी। यह देखकर गिद्ध बहुत प्रसन्न हुआ। उसने एक इन्सान के शरीर से गोश्त का बड़ा का टुकड़ा काटा और उसे लेकर अपने घोंसले में जा पहुंचा। यह देखकर गिद्ध का पुत्र बहुत प्रसन्न हुआ। वह बोला, "पापा ये कैसे हुआ? इन्सानों का इतना ढेर सारा गोश्त आपको कहां से मिला?" गिद्ध बोला, "बेटा ये इन्सान कहने को तो खुद को बुद्धि के मामले में सबसे श्रेष्ठ समझता है, पर जरा-जरा सी बात पर 'जानवर' से भी बदतर बन जाता है और बिना सोचे-समझे मरने-मारने पर उतारू हो जाता है। इन्सानों के वेश में बैठे हुए अनेक गिद्ध ये काम सदियों से कर रहे हैं। मैंने उसी का लाभ उठाया और इन्सान को जानवर के गोश्त से जानवर से भी बद्तर बना दियाा।'' साथियो, क्या हमारे बीच बैठे हुए गिद्ध हमें कब तक अपनी उंगली पर नचाते रहेंगे? और कब तक हम जरा-जरा सी बात पर अपनी इन्सानियत भूल कर मानवता का खून बहाते रहेंगे? अगर आपको यह कहानी सोचने के लिए विवश कर दे, तो प्लीज़ इसे दूसरों तक भी पहुंचाए। क्या पता आपका यह छोटा सा प्रयास इंसानों के बीच छिपे हुए किसी गिद्ध को इन्सान बनाने का कारण बन जाए। ©Gaming World इंसान का गोश्त - The story based on situation #AdhureVakya
इंसान का गोश्त - The story based on situation #AdhureVakya #ज़िन्दगी
read morePraveen Jain "पल्लव"
अविश्वसनीय पल्लव की डायरी सहचर चराचर जीवो को बनाना चाहता हूँ धरती की खुशियां गगन तक पहुचाना चाहता हूँ लालचों ने जिंदगी छीन ली दाना चुनते हुये परिन्दों को कत्ल कर प्रकृति की प्रजातियां छीन ली मौजे परिन्दों के साथ करते थे सुबह शाम छतों मुडेरो पर अपनी भाषा मे बुलाते थे हम सभी भी उनसे बतियाते थे अपने परिवार का हिस्सा बनाते थे मगर आज हैवान और जानवर हम है उनके गोश्त की तलाश में हम मानव पीछे पड़े हुऐ है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" उनके गोश्त की तलाश में मानव पीछे पड़े हुऐ है #Unbelievable
उनके गोश्त की तलाश में मानव पीछे पड़े हुऐ है #Unbelievable
read moreItzz Rajatt
जवाब छीन कर मुझसे वो सवाल करने लगे, मेरे हाल पर वो यूँ मलाल करने लगे। तुमने गाय बन के गोश्त नोचा है, तुम भेड़िया बन के आते तो बेशक काट खाते। #yqbaba #yqdidi #ohhregretyou
तुमने गाय बन के गोश्त नोचा है, तुम भेड़िया बन के आते तो बेशक काट खाते। #yqbaba #yqdidi #ohhregretyou
read moreItzz Rajatt
सीता को ले जाने रावण साधु भेष में आया था, और राम ? "तुमने गाय बन के गोश्त नोचा है, तुम भेड़िया बन के आते तो बेशक काट खाते।" #ohhsitarama series #noexplanation #nocomments
"तुमने गाय बन के गोश्त नोचा है, तुम भेड़िया बन के आते तो बेशक काट खाते।" #ohhsitarama series #Noexplanation #NoComments
read morevibrant.writer
#coronaeffect #more_vegetarian_on_earth मांस के चिथड़े खाकर, वो स्वर्ग देखते थे। पांव पर जमे गोश्त को, वो जन्नत समझते थे। बीमारी इलाज हो गई, वो शाकाहारी हो गए। #coronavirus more_vegetarian_on_earth मांस के चिथड़े खाकर, वो #स्वर्ग देखते थे। पांव पर जमे गोश्त को, वो #जन्न
#coronavirus more_vegetarian_on_earth मांस के चिथड़े खाकर, वो #स्वर्ग देखते थे। पांव पर जमे गोश्त को, वो जन्न #Nature #yqdidi #जन्नत #शाकाहारी #vibrant_writer #pritliladabar #coronaeffect
read moreUjjwal Sharma
एक रोज़ मैं खो दूँगा ये गोश्त का थैला इसकी गर्म हवा खून से लतपत जिगर अरमानों की आग सीने की जलन ख़्यालों का समागम और सबसे ऊपर अपना मन इसी थैले के कपड़ो के साथ शायद इसे न गंगा नसीब होगी न छु पाएगी आग इसको दफ़न होना तो वैसे भी दूर की बात हैं खुद के पाने की तलाश में ऐसा मुमकिन हैं भला लैला इतनी आसानी से किसी को मिली हैं? इन सब को बहुत पीछे छोड़ मैं उससे मिलूँगा उस पहाड़ी मैदान में ढलते सूरज की चमक के साथ ख़ैर सावन आने को हैं तुम बताओ तुम अभी तक ज़िंदा हो? तुम मरे नहीं? उज्ज्वल~ ©Ujjwal Sharma एक रोज़ मैं खो दूँगा ये गोश्त का थैला इसकी गर्म हवा खून से लतपत जिगर अरमानों की आग सीने की जलन ख़्यालों का समागम और सबसे ऊपर अपना मन
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
"कलम से' कड़ी के अगले कलमकार हैं- सआदत हसन मंटो #KalamSe सआदत हसन मंटो (11 मई 1912–18 जनवरी 1955) ज़िला लुधियाना के गाँव पपड़ौदी (समराला नज़दीक
"कलम से' कड़ी के अगले कलमकार हैं- सआदत हसन मंटो #Kalamse सआदत हसन मंटो (11 मई 1912–18 जनवरी 1955) ज़िला लुधियाना के गाँव पपड़ौदी (समराला नज़दीक
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'कलम से' कड़ी के अगले कलमकार हैं- सआदत हसन मंटो #HappyBirthday #KalamSe सआदत हसन मंटो (11 मई 1912–18 जनवरी 1955) ज़िला लुधियाना के गाँव पपड़ौद
'कलम से' कड़ी के अगले कलमकार हैं- सआदत हसन मंटो #happybirthday #Kalamse सआदत हसन मंटो (11 मई 1912–18 जनवरी 1955) ज़िला लुधियाना के गाँव पपड़ौद
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