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Bulbul varshney
छनछन करके बारिश की बूंदे गिर रही है और मुझसे बोल रही है की क्यों तू इतनी उदास है आज तेरी जिंदगी में दुःखो की बरसात है तो कल मोहब्बत ही बरसात भी होगी जो तुझे पूरी तरह से भीगा कर रख देगी। ©Bulbul varshney क्यों तू इतनी उदास है।
Sumit Chouhan
हिज्र में तेरे जो चुभा वो तीर बड़ा नाशूर हैं वेपन्हा मुहोब्बत तुझसे मेरा यहीं कशूर हैं फिरता रहा फिराक में तेरी सजदे किये तुझे पाने को मुमकिन दुआएं विफल रही जो तू इतना दूर हैं। क्यों तू इतना दूर है..
amn kaur💛🕊️
खुशियों से भर कर मेरी ज़िन्दगी को क्यों उन मै तबाही मचा रहा है क्या कसूर है मेरा क्यों तू मुझे बता रहा है ना ख़तम कर मेरी हसी को जो सिर्फ तेरे साथ बंधी है क्यों तू मुझसे दूर जा रहा है क्यों तू मेरी ज़िन्दगी में तबाही मचा रहा है💔😊 क्यों तू दूर जा रहा है💔🤗
Sandeep Kothar
मुझे तेरी फ़िक्र क्यों... तू क्या मुझसे जुदा हैं...? ©Sandeep Manohar Kothar मुझे तेरी फ़िक्र क्यों... तू क्या मुझसे जुदा हैं...? #प्यार #मोहब्बत #lovebirds
Akash Maurya
ना जाने क्यों तू मेरे ख्वाबो में आने लगी है।
jyoti rashmi ntl
सुकुन् मिले जहा एक,ऐसा संसार चाहिए । अशांति को पीछे छोड़,शांति की बौछार चाहिए , न हो अपनो के बिना ,छूटा जहा कोई भी पल, ऐसे संस्कार चाहिए । समय के साथ जीवन के, हर सफर में सबका साथ चाहिये। मन की शुद्धि के साथ,बुद्धि बलवान चाहिए। सुबह की चाय की, मीठी प्याली के साथ,जुबान भी मीठी सी चाहिए । पैसों से रिश्तों का मोल नहीं,मन के भावों का मेल चाहिए । दिल की धड़कन कि हर सॉंस, पे ऐ मालिक तेरा ही साथ चाहिए । न दे सके तू साथ तो , तुझसे भी एक गुहार चाहिए, जानता तू भी सब है । बस जीवन के हर साथ में ,मेरे अपनो का हाथ चाहिए । *Written by jyoti* कुछ परेशान#कुछ् अनसुलझे तथ्य#ज़िन्दगी क्यों तू बन गई इतना बड़ा रहस्य# #AwayFromFamily
Internet Jockey
रात को जागे और दिन में सोए बेखबर, क्यों तू सुध बुध खोए ©Internet Jockey रात को जागे और दिन में सोए बेखबर, क्यों तू सुध बुध खोए
Internet Jockey
क्यों तू अब भी इतना बेताब है जब धुआं हो रहे सब ख़्वाब हैं ©Internet Jockey क्यों तू अब भी इतना बेताब है जब धुआं हो रहे सब ख़्वाब हैं
Abhijeet Yadav
ऐ वक्त तेरी फितरत भी इंसान जैसी है, जाने क्यों तू इक जगह टिकता नहीं।। जब बिक जाते है इंसान चन्द सिक्कों में, तो बता क्यों तू यूं बाजारों में बिकता नहीं ?।। वक़्त ऐ वक्त तेरी फितरत भी इंसान जैसी है, जाने क्यों तू इक जगह टिकता नहीं।। जब बिक जाते है इंसान चन्द सिक्कों में, तो बता क्यों तू यूं बाजार