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Ramandeep Kaur
मेरी सुन्दरता ~~~~~~~ पूछा मैंने कल आइने से, बता तो कैसी लगती हूं मैं? निहारकर मेरे चेहरे को ढंग से, कूछ देर सोचकर वह बोला.... माथे पर बिंदिया के साथ सजी, रेखाएं साफ झलकती हैं पर इनमें फ़िक्र है अपनो की, यह बात सभी से कहती हैं। आखों में काजल होना था, पर काले घेरों का डेरा है, सोई नहीं न जो तू रातों में, यह उन सेवाओं का घेरा है। कानों से बाली की चमक जुदा, चुभते शब्दों का जोड़ा है। होठों की लाली मिटती रही, बातों में स्नेह समेटा है। रंग हिना का खो गया कहीं, पर हाथों मे स्वाद भतेरा है। काया तेरी अब कमसीन न सही, तूने झुककर ही सबको जीता है। सुंदरता तेरी कायम है, तू जीवन देने वाली है। तू कल तितली सी कोमल थी, आज प्रबल, सशक्त, स्थिर नारी है। ©Raman मेरी सुन्दरता ~~~~~~~ पूछा मैंने कल आइने से, बता तो कैसी लगती हूं मैं? निहारकर मेरे चेहरे को ढंग से,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मिलें आप जो चाय पे , कर ली फिर दो बात । इसी बहाने आप से , हो रही मुलाकात ।।१ बढ़ जाये फिर चाय का , स्वाद और भी खूब । आप रहे सम्मुख सुनो , औ हम जाये डूब ।।२ हर चुस्की पे चाय की , किया प्रेम की बात । बिन मिश्री मीठी लगी , वहीं चाय की रात ।।३ जूठी करके दे रही , नित्य सुबह की चाय । कहती दिन मीठा रहे , उत्तम यही उपाय ।।४ निर्मंल मन को देखिए , तन के क्या है हाथ । प्रेम -प्रीत की डोर तो , बाधे जीवन साथ ।।५ पीते थे हम भी कभी , चाय आपके साथ । छुड़ा लिए है आपने , आज हाथ से हाथ ।।६ लौट नहीं पाया कभी , देखो वह रविवार । अदरक वाली चाय में , मिला आपका प्यार ।।७ चंदा भी छुपता रहे , देख तुम्हारा भाल । रूप तुम्हारा देखकर , मन में उठे सवाल ।।८ कहीं और देखा नही , ऐसा सुंदर रूप । जन जन को वह मोह ले , रंक दिखे या भूप ।।९ देख पिया खिलने लगा , गोरी का हर अंग । अधरो से मिलने लगा , आज हिना का रंग ।।१० १५/०९/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मिलें आप जो चाय पे , कर ली फिर दो बात । इसी बहाने आप से , हो रही मुलाकात ।।१ बढ़ जाये फिर चाय का , स्वाद और भी खूब । आप रहे सम्मुख सुनो ,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मिलें आप जो चाय पे , कर ली फिर दो बात । इसी बहाने आप से , हो सीधी मुलाकात ।।१ बढ़ जाये फिर चाय का , स्वाद और भी खूब । आप रहे सम्मुख सुनो , औ हम जाये डूब ।।२ हर चुस्की पे चाय की , किया प्रेम की बात । बिन मिश्री मीठी लगी , अपनी वह मुलाकात ।।३ जूठी करके दे रही , नित्य सुबह की चाय । कहती दिन मीठा रहे , उत्तम यही उपाय ।।४ निर्मंल मन को देखिए , तन के क्या है हाथ । प्रेम -प्रीत की डोर तो , बाँधे जीवन साथ ।।५ पीते थे हम भी कभी , चाय आपके साथ । छुड़ा लिए है आपने , आज हाथ से हाथ ।।६ लौट नहीं पाया कभी , देखो वह रविवार । अदरक वाली चाय में , मिला आपका प्यार ।।७ चंदा भी छुपता रहे , देख तुम्हारा भाल । रूप तुम्हारा देखकर , मन में उठे सवाल ।।८ कहीं और देखा नही , ऐसा सुंदर रूप । जन जन को वह मोह ले , रंक दिखे या भूप ।।९ देख पिया खिलने लगा , गोरी का हर अंग । अधरो से मिलने लगा , आज हिना का रंग ।।१० १५/०९/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मिलें आप जो चाय पे , कर ली फिर दो बात । इसी बहाने आप से , हो सीधी मुलाकात ।।१ बढ़ जाये फिर चाय का , स्वाद और भी खूब । आप रहे सम्मुख सुनो
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
निर्मंल मन को देखिए , तन के क्या है हाथ । प्रेम -प्रीत की डोर तो , बाधे जीवन साथ ।।१ पीते थे हम भी कभी , चाय आपके साथ । छुड़ा लिए है आपने , आज हाथ से हाथ ।।२ लौट नहीं पाया कभी , देखो वह रविवार । अदरक वाली चाय में , मिला आपका प्यार ।।३ बातें थी संसार की , तुम भी जाते भूल । हँसकर मिलते आप भी , जैसे फूल बबूल ।।४ एक डाल खिलते यहाँ , संग सुमन के शूल । वैसे ही इंसान में , लगते सुख-दुख फूल ।।५ देख गुलाब-बबूल ये , देते है प्रतिमान । डर कर बैठो मत कभी , होगा कर्म प्रधान ।।६ छाया कभी न दे सके , ऊँचा उठा खजूर । देख-देख राही कहे , बाट अभी है दूर ।। ७ चंदा भी छुपता रहे , देख तुम्हारा भाल । रूप तुम्हारा देखकर , मन में उठे सवाल ।।८ कहीं और देखा नही , ऐसा सुंदर रूप । जन जन को वह मोह ले , रंक दिखे या भूप ।।९ देख पिया खिलने लगा , गोरी का हर अंग । अधरो से मिलने लगा , आज हिना का रंग ।।१० १५/०९/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR निर्मंल मन को देखिए , तन के क्या है हाथ । प्रेम -प्रीत की डोर तो , बाधे जीवन साथ ।।१ पीते थे हम भी कभी , चाय आपके साथ । छुड़ा लिए है आप
ASHKAR Shahi
एक सफरनामा ये हमारी टीम खुशी के रंग का चौथा टॉपिक है जो होली के हमजोली प्रतियोगिता के लिए हैं। सिमरन एक शिक्षित परिवार से बहुत सुलझी व बुद
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
हमारे हाथ मॆं ही सब कुछ होता तो... आज हिना उसके हाथ मॆं नहीं होती..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 हिना
Anuj Ray
वो तेरा रंगे हिना, आज भी ना उतरा दिल से छुप के बैठे हो निग़ाहों में, पूछ लो अपने दिले क़ातिल से। बाद अरसों के दिल पे छाई है ,अब भी ख़ुमारी तेरी, शाम सुरमई, हुआ करती है , तेरे काजल से। जब भी आती हो , आहिस्ता से मेरे कमरे में। ताल छम छम की , निकलती है तेरी पायल से। तेरे सुख चैन की , परवाह में जिया करते हैं, हर वक्त निकलती है दुआ , तिरे सदके में दिले घायल से। ©Anuj Ray #वो तेरा रंगे हिना"