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K L MAHOBIA
White वह आखिरी मुलाकात अधूरी ही रही। कह ना सके तुझसे बात जरूरी है वही। हिले ना होंठ मेरे वो समझे है दिल की , मेरे जज्बातों का ख्याल करो तो सही। तेरे दर से गुजरके कहां और जाए कहीं हमने सजा ली थी जिंदगी तुझी से यही आंखों में आंखें डाल कह तो दिया उसे आखिरी मुलाकात जरूरी जाने ही नहीं कैसे कहां था आखिरी मुलाकात यही दिल तो समझा और यह माना ही नहीं दिल के जज्बातों ने मुझे किया धोखा क़सम से होती आखिर मुलाकात कहीं। के एल महोबिया ✍️ ©K L MAHOBIA #दिल से - के एल महोबिया
K L MAHOBIA
दिल तुम्हारी याद में जलता रहा है। दम भी घुटता और खुद गलता रहा है। कब से बैठा खौफ में मुश्किल घड़ी है। इक भरोसे में जिंदगी छलता रहा है। बिकते कैसे कौड़ियों के दाम में सारे। देख कर दिल में हमेशा खलता रहा है। छोड़ देते है साथ वादा करके अपने ही, उगता सूरज आशिकी में ढलता रहा है। के एल महोबिया✍️ ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
उन्हें देखते ही यह दिल खो गया है। जाने मुझे अब फिर ये क्या हो गया है। यूं उन पर भरोसा जो मैंने किया था। दिल तोड़ के वो अब कहां खो गया है। के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
सुन तिहारे रोज़ झांसे में नहीं आएंगे। मत पुकारों लोग फांसे में नहीं आएंगे। नार रखते और होंगे द्यूत क्रीड़ा खेलने, हम बिसातों और पांसे में नहीं आएंगे। गम बुरा है रोग का छुपता नहीं छुपाने से, दिल बुझा रम जान रासे में नहीं आएंगे। उड़ गई रंगत बुझा चहरा तिरी चाहत में, इश्क में मर कर दिलासे में नहीं आएंगे। ओढ़ चादर सो गया वो आप गुमनामी में। छुप गया फिर हम जगाने नहीं आएंगे। ✍️के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #आशिकी में :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
मेरी महकती सांसों में तुझको बसा लूंगा। कितना भी बचो खुद से मैं अपना बना लूंगा। मुझसे छुपा ओ कितना मैं तुझको चुरा लूंगा। तेरी महक उड़ती नभ में अपना खुदा लूंगा। देखो तड़प मेरी सपनों में आ मिलो खुद ही तेरी कसम से मैं खुद से सपना भुना लूंगा। तोड़ेंगे कसम फिर वो हम आके मिले दिल से मेरी धडकनों में फिर मैं तुझको सज़ा लूंगा। मौके की नजाकत को तुम समझो अभी जाने तेरी महक खुशबू को इक सपना बना लूंगा। वैसे सबक देना तुमको चढ़ता नशा दिन का मेरे सनम तुमको दिल से अपना दुआ लूंगा। तेरी चमक होगी महफ़िल में फिर नज़ारे की तेरी महक को दिल में ले नगमा सज़ा लूंगा। के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #आशिकी :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
झाड़ू पोंछा कर रहे , पुरुष घरों में बंद। आफिस में पत्नी गई , पढ़िए मीठे छंद। पढ़ा -लिखा खुद आदमी, करता वह तैयार। पति को भूली शान में , छोड़ दिया मझधार।। कैद हुआ पति घर में , पत्नी का आनंद। रोना धोना बैठ के , खो गया गुल कंद।। के एल महोबिया ✍️ ©K L MAHOBIA #बेचारी के एल महोबिया
K L MAHOBIA
Black मेरी आंखों में मेरे हमदम का साया है। मेरे जीवन में चमकीला बन के छाया है। सांसों ख्यालों ख्बाबों में प्रीती जागे सारी देखो रातों में जुगनू से रौशन पाया है। के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #मुक्तक :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
Men walking on dark street शहर आग में है उसे तो बुझा दो। बुझा दीप घर का उसे तो जला दो। कहां से चले थे कहां आ गए हम जगे तम कहर की खबर को छुपा दो। जहां में भले की करो बात हर-दिन इसी से जहां से , बुरे को मिटा दो। खुशी है जहां में न शिकवा शिकायत भली ज़िन्दगी है जहां फिर निभा दो। सज़ा क्या लिखा है उसे तुम मुझे भी लिखी तो नहीं है किसी को वफ़ा दो। मिटा जिंदगी इश्क में आदमी है। उसी आदमी का मुझे तुम पता दो। दवा से बड़ी चीज हमको मिली है। मिटे रोग उसका कि ऐसी दवा दो। ✍️ के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #दिल से:- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
White कभी-कभी मेरे दिल में यह सवाल आता है। खुदा कहां पूछे इस जग में खयाल आता है। जिसे खुदा समझे धोखा दे दिया हमें ऐसे। हुए नहीं अपने जो दिल से मलाल आता है। जिसे कहा था कैसे वो भी ज़लाल आता है। नहीं लिये पीने से मतलब कलाल आता है। नहीं मिला सागर में मोती बिने उतरे जल में दुआ दवा दोनों ही फैला कर जाल आता है। कभी-कभी मेरे दिल में ये सवाल आता है। हरेक दिन दर पे ठगने को दलाल आता है। मिले घड़ी में कोई राहत जनाब यूं लुट कर फरेब भी रचके बच कहने विलाल आता है। ✍️ के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
White लगी आग घर में उसे तो बुझा दो। बुझा दीप घर का उसे तो जला दो। कहां से चले थे कहां आ गए हम जगे तम कहर की खबर को छुपा दो। जहां में भले की करो बात हर-दिन इसी से जहां से , बुरे को मिटा दो। खुशी है जहां में न शिकवा शिकायत भली ज़िन्दगी है जहां फिर निभा दो। सज़ा क्या लिखा है उसे तुम मुझे भी लिखी तो नहीं है किसी को वफ़ा दो। मिटा जिंदगी इश्क में आदमी है। उसी आदमी का मुझे तुम पता दो। दवा से बड़ी चीज हमको मिली है। मिटे रोग उसका कि ऐसी दवा दो। ✍️ के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #ग़ज़ल - के एल महोबिया