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ANSARI ANSARI
Ham majdur hai magar har gamo se dur hai , tabhi to dil ko sakun milta hai, mehant ki roti khate hai,auro ko bhee khilate tabhi to dil se duaa milta hai, jab nid aati hai to khule aasma me sojate hai,yaad karte hai khuda ko tabhi to khuda khwabo me aate hai ©ANSARI ANSARI Majdur
Majdur #विचार
read moreKamlesh Kandpal
बाकी सब का परिचय होगा, उसका क्या?, वह मजदूर हैं ना। ईट ढोएगा, रेत ढोएगा जरूरत पर हमारा खेत बोयेगा. क्या करे?, घर से दूर हैं ना। उसका क्या?, वह मजदूर हैं ना। धूप में भी, छांव में भी कांटा चुभ जाए चाहे पांव में भी आखिर पेट से,वह भी मजबूर है ना. सड़क बनाएंगे, घर बनाएंगे भले ही रुखा सूखा खाएंगे किसी को क्या, गर वह पसीने से चूर हैं ना उसका क्या?, वह मजदूर हैं ना। ©Kamlesh Kandpal #majdur
Pushkar Tiwari
श्रम दिवस के अवसर पर, अथक परिश्रम करने वाले हमारे सभी श्रमिक भाई-बहनों को शुभकामनाएं। यह दिवस हमारे करोड़ों मजदूर भाई-बहनों की मेहनत और लगन के सम्मान के लिए समर्पित है। वे एक बेहतर और समृद्ध भारत की नींव तैयार कर रहे हैं। वे सही अर्थों में हमारे राष्ट्र-निर्माता हैं। #majdur
Hiran Kumar
Me majdur hun sayed isiliye majbur hun Tepti rastoper pairo me chhale liye chelrahahun akhake ashu pikar apni pyas mita rahahun kala ghana asman par biwi ki ratihui chehera or bacha ka khali pet dekhkar ghabra rahahu Me majdur hun saye isiliye majbur hun majdur
majdur #Talk
read morePrem singh Sengar
कब जागोगे सरकार... थके, बेबस, लाचार मजदूर हैं, सरकार। कब तक करे इंतजार.. सब सही हो, रोटी मिलें चार । मजबूर हैं, सरकार। भूखे प्यासे बच्चों को घरों का इन्तजार.. कब तक सोयें खाली पेट, नन्ही से ये जान। कुछ तो करो सरकार। निकल पड़े घर को, मीलों चलते चलते, पावों में कंकण चुभते, रस्ते हुए लहूलुहान, वो भी हुए लाचार, कुछ तो करो सरकार। नहीं थके कदम उनके, थके रास्ते-पथ। एक आशा, एक उम्मीद, अपने गांव के घर से, वही मिले झोपड़ी, नहीं चाहिये घर आलीशान, कुछ तो करो सरकार। कुछ पहुँचे घर, कुछ रस्ते में दम तोड़ दिए, कितनों ने मां का आँचल, कितनो ने बच्चो के बचपन, से मुख मोड़ लिए, नही नसीब गांव का घर, सपने सब शमसान, कब जागोगे सरकार। प्रेम कुमार सिंह सेंगर #majdur