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Ravi Shankar Kumar Akela
"परि" जो हमारे चारों ओर है"आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। ©Ravi Shankar Kumar Akela #Gulaab "परि" जो हमारे चारों ओर है"आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्या
#Gulaab "परि" जो हमारे चारों ओर है"आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्या #पौराणिककथा
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"परि" जो हमारे चारों ओर है"आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। ©Ravi Shankar Kumar Akela #DiyaSalaai "परि" जो हमारे चारों ओर है"आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। प
#DiyaSalaai "परि" जो हमारे चारों ओर है"आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है,अर्थात पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरे हुए। प #पौराणिककथा
read moreजीत की नादान कलम से...
READ IN CAPTION 👉 "माँ ज़न्नत है " जब तक माँ मैं ज़िंदा रहूँ, बस तेरी छाँव तले पलता रहूँ। मुझे ख़्वाहिश नहीं महलों की, बस तेरी गोद में सोता रहूँ।। ख़ुदा देते रहन
"माँ ज़न्नत है " जब तक माँ मैं ज़िंदा रहूँ, बस तेरी छाँव तले पलता रहूँ। मुझे ख़्वाहिश नहीं महलों की, बस तेरी गोद में सोता रहूँ।। ख़ुदा देते रहन
read moreकवि राहुल पाल 🔵
हाइकु (आधुनिक काव्य विधा ) ( 5-7-5 वर्ण ) शुष्क अधर 1- मन की प्यास आज चरम पर वो अनजानी 2- जीवन भर जानी फिर न मानी कल के फूल 3- बेरोजगारी में वो बने है धूल जीवन मेल 4- फिर बन सुमेल क़लमकार उलझी बेल राहुल पाल जन्म मरण 5- जीवन पथ के है के ये चरण डर किस में 6- सबको ही जाना है जब नाव में बुनिये कुछ 7- गुन गुनाये जब फिर लिखिए #HAIKU #हाइकु निवेदन -व्याख्या अवश्य पढ़ें १~शुष्क अधर मन की प्यास आज चरम पर " अर्थात गर्मी अपने चरम सीमा पर है जिससे सभी जीवधा
यशवंत कुमार
5 जून - पर्यावरण- दिवस #environmentday 5 जून - पर्यावरण- दिवस. कभी-कभी लोग पर्यावरण बचाने का मतलब यह समझते हैं कि पेड़-पौधों का संरक्षण करना है,और इसके लिए वो पर्
#environmentday 5 जून - पर्यावरण- दिवस. कभी-कभी लोग पर्यावरण बचाने का मतलब यह समझते हैं कि पेड़-पौधों का संरक्षण करना है,और इसके लिए वो पर्
read moreVedantika
अस्तित्व इस जीवन का धरा पर ही तो सम्भव है। प्रकृति का हर दृश्य मनोहर लगता बड़ा विहंगम हैं। ईश्वर की अदभुत रचना यह है संभावनाओं का संसार, निज स्वार्थ से ऊपर उठकर करो इसका संरक्षण हर बार। ईश्वर द्वारा रचित इस सृष्टि में कितनी ही आकाशगंगाएँ है जिसमें न जाने कितने अनगिनत तारे, कितने ही ब्रम्हांड और कितने ही ग्रह उपस्थित है। ऐसी
ईश्वर द्वारा रचित इस सृष्टि में कितनी ही आकाशगंगाएँ है जिसमें न जाने कितने अनगिनत तारे, कितने ही ब्रम्हांड और कितने ही ग्रह उपस्थित है। ऐसी
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