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Gudiya Gupta (kavyatri).....
मैं सार्वजनिक एक जंक्शन सी तुम रेल की भांति आते हो तुम्हारा क्या तुम तो चले गए पर मुझे कंपित कर जाते हो लबालब छलकता दर्द का गागर तुम सुकून से मुस्काते हो यात्री ..यात्रा ..यातनाएं हर बार वही दोहराते हो...! ©Gudiya Gupta (kavyatri)..... #सार्वजनिक जंक्शन
#सार्वजनिक जंक्शन #विचार
read moreKajalife....
आह ! जंक्शन !! रेलें जहॉ देर के लिए रूकती है । बाकी सफर के लिए पानी लेती है । मै ढूढंता हूं वहॉ अपने पुराने हमसफर को ..... # unknown अाह ! जंक्शन !!
अाह ! जंक्शन !!
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
सरई का फूल,सरहूल रे, पुजा जाए श्रद्धा से कबूल रे । आदिवासी - आदरणीय जंगल, फूल पुछा जाये,पुछे जो फल, फूल से पुजा जाये फूल रे । पर्व बड़ा , मनोयोग भारी, जहां, जहां सुगंध -पुजारी , हवा बहे त्योहार उसूल रे । ©BANDHETIYA OFFICIAL #झारखण्ड का सरहूल! #girl
_itni _si _baat _hai _vandana Upadhyay
हमारे आस -पास पहाड़ होने चाहिए ताकी जब भी हम दुख से भर जाए... उन्हें गले लगाकर मुक्त हो जाएं अपनी अनहद पीड़ाओं से.... ©वंदना उपाध्याय पहाड़
पहाड़ #कविता
read moreShivani Thapliyal
*मेरु पहाड़* मेरी अलग पहचान ची ; मैं उत्तराखंडी छो , जाणा छीन लोग मीता छोड़ी यख बतीन। कुछ यख छीन मेरा भूमयाल मां, क्वै क्वै लुकारी मैमा जान माया शक्ति ची। गो खाली वैग्या जन विनाश वैगी होलू मेरू , यूँ आँखी तरसी तूता देखरो आज भी । कुछ लोग घोर कुड़ी पुंगरी छवारी यन चलया, जन तुन पलटी भी नी देखर होलू अब। गो सुन करी कनके बसोला कुड़ी शहर मां, अपणी भाषा भूली कन बोल लेंदा शहर की भाषा । गो का बटा भूली के कन जाण लगया छोदा बटा बतीन, मेता भूली कर रोंदा गुमजवारू उन। जे चौक मा नालोडा ओर लोग बैठया रोंदा छा , तो देखी ता तख आज घास जमी छो । जै भीतरू मनखी रोंदा छा, तख मुशुन अपणु घोर जमेली। ज्यूँ पुंगुरू मा सदा अनाज रोंदू छो, तख बसेलु घासन आणु बड़ेली। कन पैसा वे कन शहर वे, जख पाणी भी बीन पैसान नी मीलदू। यख मनखी मनखी नी रे , सब मनखियों मा स्वार्थ वैगी। ©Shivani Thapliyal पहाड़
पहाड़
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