Nojoto: Largest Storytelling Platform

New लेखक प्रभाकर Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about लेखक प्रभाकर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लेखक प्रभाकर.

Related Stories

    PopularLatestVideo

Prabhakar Prajapati

शीर्षक: छला नहीं लेखक: प्रभाकर प्रजापति मैं सींच रहा बरसों से जिसको, वृक्ष अभी तक फला नहीं... मैं छला गया हूँ उससे जिसको, कभी भी म #Prabhakar_Prajapati

read more
शीर्षक: छला नहीं
         लेखक: प्रभाकर प्रजापति

मैं सींच रहा बरसों से जिसको, वृक्ष अभी तक फला नहीं...
मैं छला गया हूँ उससे जिसको, कभी भी मैंने छला नहीं!!

1) फूलों की चाहत में मैंने, कांटो को दामन बना लिया,
उम्मीदों की बौछारों से, पतझड़ को सावन बना दिया l
 पल-पल मरता चला गया...विश्वास कभी जो पला यहीं...
मैं छला गया हूँ उससे जिसको, कभी भी मैंने छला नहीं!!

2) ख्वाबों को मान हक़ीक़त मैं तो...अपनी आँखे मींज रहा था,
थी डाली सूखी जिसकी...मैं उस पौधे को सींच रहा था..!!!

लगा रहा था आग जो दिल में... वो सूरज तो ढला नहीं...
मैं छला गया हूँ उससे जिसको, कभी भी मैंने छला नहीं!!
            -प्रभाकर प्रजापति

©Prabhakar Prajapati शीर्षक: छला नहीं
         लेखक: प्रभाकर प्रजापति

मैं सींच रहा बरसों से जिसको, वृक्ष अभी तक फला नहीं...
मैं छला गया हूँ उससे जिसको, कभी भी म

Prabhakar Prajapati

शीर्षक: छला नहीं लेखक: प्रभाकर प्रजापति मैं सींच रहा बरसों से जिसको, वृक्ष अभी तक फला नहीं... मैं छला गया हूँ उससे जिसको, कभी भी म #Shayari #Prabhakar_Prajapati

read more
शीर्षक: छला नहीं
         लेखक: प्रभाकर प्रजापति

मैं सींच रहा बरसों से जिसको, वृक्ष अभी तक फला नहीं...
मैं छला गया हूँ उससे जिसको, कभी भी मैंने छला नहीं!!

1) फूलों की चाहत में मैंने, कांटो को दामन बना लिया,
उम्मीदों की बौछारों से, पतझड़ को सावन बना दिया l
 पल-पल मरता चला गया...विश्वास कभी जो पला यहीं...
मैं छला गया हूँ उससे जिसको, कभी भी मैंने छला नहीं!!

2) ख्वाबों को मान हक़ीक़त मैं तो...अपनी आँखे मींज रहा था,
थी डाली सूखी जिसकी...मैं उस पौधे को सींच रहा था..!!!

लगा रहा था आग जो दिल में... वो सूरज तो ढला नहीं...
मैं छला गया हूँ उससे जिसको, कभी भी मैंने छला नहीं!!
            -प्रभाकर प्रजापति

©Prabhakar Prajapati शीर्षक: छला नहीं
         लेखक: प्रभाकर प्रजापति

मैं सींच रहा बरसों से जिसको, वृक्ष अभी तक फला नहीं...
मैं छला गया हूँ उससे जिसको, कभी भी म

Prabhakar Prajapati

छला नहीं Prabhakar Prajapati poem शीर्षक: छला नहीं लेखक: प्रभाकर प्रजापति मैं सींच रहा बरसों से जिसको, वृक्ष अभी तक फला नहीं... मै #Shayari

read more
mute video

Prabhakar Prajapati

शीर्षक: [आज अगर मैं धरती होता] लेखक: प्रभाकर प्रजापति लाखों जीवन देकर भी मैं, जीता जाता अर्थी होता बे परवाज तड़फता रहता... #IndiaFightsCorona

read more
#IndiaFightsCorona शीर्षक:  [आज अगर मैं धरती होता]
                

लाखों जीवन देकर भी मैं, जीता जाता अर्थी होता
बे परवाज तड़फता रहता...आज अगर मैं धरती होता

1) जब नदियां, झील समंदर के...कल-कल में कलरव भर देता,
बाग बगीचे उपवन सारे...हर रंगों से रंग देता!!!
जब डाल-डाल को चिड़ियों के, चीं-चीं से मैं चहका देता
और रंगबिरंगे फूलों को मैं भर खुशबू महका देता..!!
तब

आशाओं की ज्योति भर, इन आंखों में आवर्ती होता.
बे परवाज तड़फता रहता...आज अगर मैं धरती होता।


2) ना समझी में इक दिन मैं भी, जीवों में इंसान बनाता...
खुद के ही टुकड़े करने को, खुद से ही औजार बनाता!
दिल में सोच ये रखता मानव, जीवों पर उपकार करेगा...
पर पता न होता जीवों पर..ये जीव ही अत्याचार करेगा!!!

इंसानों की नजरों में, मैं भी पल पल अनुवर्ती होता..
बे परवाज तड़फता रहता... आज अगर मैं धरती होता..!!

3) किसको पता चला था आगे, ऐसा भी दिन आएगा
स्वार्थ में आकर के ये मानव, भी दानव बन जायेगा..
बुद्धिमान था जीव ये अपना...बुद्धि मानि भी दिखा रहा...
जिस डाल पे बैठा हुआ है आकर, उसी डाल को काट रहा..!!!

देख दशा ऐसी, क्षण भर में, मेरा दिल भी, गर्ती होता..
बे परवाज तड़फता रहता...आज अगर मैं धरती होता।
बे परवाज तड़फता रहता...आज अगर मैं धरती होता!!
                                  (-प्रभाकर प्रजापति)

©Prabhakar Prajapati शीर्षक:  [आज अगर मैं धरती होता]
                लेखक: प्रभाकर प्रजापति

लाखों जीवन देकर भी मैं, जीता जाता अर्थी होता
बे परवाज तड़फता रहता...

Prabhakar Prajapati

Aaj Agar Mai dharti hota Prabhakar Prajapati poem शीर्षक: [आज अगर मैं धरती होता] लेखक: प्रभाकर प्रजापति लाखों जीवन देकर भी #Shayari #Drops

read more
शीर्षक:  [आज अगर मैं धरती होता]
 लेखक: प्रभाकर प्रजापति

लाखों जीवन देकर भी मैं, जीता जाता अर्थी होता
बे परवाज तड़फता रहता...आज अगर मैं धरती होता

1) जब नदियां, झील समंदर के...कल-कल में कलरव भर देता,
बाग बगीचे उपवन सारे...हर रंगों से रंग देता!!!
जब डाल-डाल को चिड़ियों के, चीं-चीं से मैं चहका देता
और रंगबिरंगे फूलों को मैं भर खुशबू महका देता..!!
तब

आशाओं की ज्योति भर, इन आंखों में आवर्ती होता.
बे परवाज तड़फता रहता...आज अगर मैं धरती होता।


2) ना समझी में इक दिन मैं भी, जीवों में इंसान बनाता...
खुद के ही टुकड़े करने को, खुद से ही औजार बनाता!
दिल में सोच ये रखता मानव, जीवों पर उपकार करेगा...
पर पता न होता जीवों पर..ये जीव ही अत्याचार करेगा!!!

इंसानों की नजरों में, मैं भी पल पल अनुवर्ती होता..
बे परवाज तड़फता रहता... आज अगर मैं धरती होता..!!

3) किसको पता चला था आगे, ऐसा भी दिन आएगा
स्वार्थ में आकर के ये मानव, भी दानव बन जायेगा..
बुद्धिमान था जीव ये अपना...बुद्धि मानि भी दिखा रहा...
जिस डाल पे बैठा हुआ है आकर, उसी डाल को काट रहा..!!!

देख दशा ऐसी, क्षण भर में, मेरा दिल भी, गर्ती होता..
बे परवाज तड़फता रहता...आज अगर मैं धरती होता।
बे परवाज तड़फता रहता...आज अगर मैं धरती होता!!
                                  (-प्रभाकर प्रजापति)

©प्रभाकर प्रजापति Aaj Agar Mai dharti hota Prabhakar Prajapati poem
शीर्षक:  [आज अगर मैं धरती होता]
                लेखक: प्रभाकर प्रजापति

लाखों जीवन देकर भी

Prabhakar Prajapati

लेखक: प्रभाकर प्रजापति वो MSc की आस थी, बगल की कलास थी, नम्बर था छः जिसका, जो सीढ़ी के पास थी!! कॉलेज में आते ही जिसे मैं याद करता था इधर #कविता #Drops #fairwell_poetry_prabhakar_prajapati

read more
लेखक: प्रभाकर प्रजापति 

वो MSc की आस थी, बगल की कलास थी,
नम्बर था छः  जिसका, जो सीढ़ी के पास थी!!

कॉलेज में आते ही जिसे मैं याद करता था
इधर से जाऊँ की उधर से जाऊँ...
मैं ये बात करता था!!!
कुछ तो था...जो येबात इतनी ख़ास थी..
कोई और वजह नही थी...बस! ये आप लोगों की क्लास थी।

(क्लास में आने के बाद)

(1) आकाश भाई को देख ख़ुशी, मेरे होठों से जो छलक जाती,
दिल की, दरिया की, गहराई में...वो तो दूर तलक जाती..!!!
जैसे-जैसे वक्त मुझे इन सबसे दूर ले जायेगा..
सच कहता हूँ यारों मुझको...वो दिन बड़ा सताएगा।

(2) वो हार-जीत की हालातों में, ढ़लना याद आएगा,
तान के सीना नेता जी का, चलना याद आएगा।
याद आएंगे वो लम्हें, जो लम्हे संग गुजारे हैं..
जो शुभम,अमित,आशीष, DVD, आवेस जैसे प्यारे हैं...
वो नमकीन मिलाकर लायी में, संग खाना याद आएगा...
अखिलेश भाई के रूम पे आना...जाना याद आएगा..!!!

(3) अजनबी से थे जो कभी....आज मेरे नबी बन गए,
पहले बने दोस्त...अब ज़िन्दगी बन गए!!!
वज़ूद इनका जब-जब मेरे एहसासों को जगायेगा...
सच्ची कह रहा हूँ....ये लम्हा बहुत याद आएगा..!!

(4) दोसती का ऐसा तराना याद आएगा...
पूजा, नित्या और करिश्मा का दोसताना याद आएगा।
याद आएगा सोनम का हर पल गम्भीर ही रहना,
और innocent सी ज़ेहरा का मुस्कुराना याद आएगा।

(5) क्लासरूम में जिनके रहने से ही रौनक आई है...
हमज़ा के संग में ज़िसान और... अपने अकरम भाई हैं।।।
जो आप सभी लोगों में से, कोई अपना दूर जायेगा...
सच कहता हूँ यारों मुझको...वो दिन बड़ा सताएगा!!!

(आखिरी चार लाईन)

"आज मैं हूँ...कल चला जाऊँगा...
आप जैसे दोस्तों को मैं कहाँ पाऊँगा?
यूँ ही अपने दिल में ज़िंदा मेरा ऐहसास रखना...
चाहे सबको भूल जाना....
पर मुझे याद रखना!!

-आपका प्रभाकर प्रजापति [Msc. finale year Maths]

©प्रभाकर प्रजापति लेखक: प्रभाकर प्रजापति 

वो MSc की आस थी, बगल की कलास थी,
नम्बर था छः  जिसका, जो सीढ़ी के पास थी!!

कॉलेज में आते ही जिसे मैं याद करता था
इधर

SHANU KI सरगम

प्रभाकर #sunrays #समाज

read more
भोर सुहानी साथ लिए लो उदित हुआ फिर भानु प्रभाकर,
आस नई उम्मीद जगा मन देगा फिर आज दिवाकर।

©SHANU KI सरगम प्रभाकर

#sunrays

Prabhakar More

सघर्ष प्रभाकर मोरे #विचार

read more
mute video

Prabhakar More

क्रोध प्रभाकर मोरे #विचार

read more
mute video

Prabhakar More

प्रेम प्रभाकर मोरे #विचार

read more
mute video
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile