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Stories related to मानवता में प्रत्यय है

- Arun Aarya

#autumn #जग में है

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Autumn एक दुनियाँ में सबकी
 दुनियाँ अलग अलग है ,

मग़र  मिलती - जुलती  
लगभग - लगभग  है !

कहाँ  तक  भागोगे  तुम  
अपनी  जिम्मेदारी से ,,

"आर्या " मिलना-जुलना तो
 सबको इसी जग में है..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #autumn #जग में है

Praveen Jain "पल्लव"

#good_night मानक मानवता के मिट्टी में मिलाये जा रहे है

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White पल्लव की डायरी
हालातो ने हदे पार कर दी
राजनीतियों ने हवा पानी 
मुल्क की खराब कर दी
दाना पानी से मोहताज होकर
वेवशी के शिकार थे
किस्मत परदेश में चमक जाये
शायद मेरा परिवार कुंठाओ से उभर जाये
बस इसी बोझ को लेकर 
आज कैदी और जंजीरो में जकड़े नजर आ रहे है
विश्वगुरु और विकसित भारत में
मानक मानवता के मिट्टी में मिलाये जा रहे है
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #good_night मानक मानवता के मिट्टी में मिलाये जा रहे है

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

#मानवता भक्ति भजन भक्ति सागर

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White 
 पाया है मानव जन्म, ध्येय पहचानो।
करना है प्रभु को याद, सार यह  जानो।।
 हो अतिथि रहे दिन चार, बात मत भूलो ।
करते रहिए शुभ कार्य, पुण्य फल छू लो।।1।।

तुम करना सेवा राष्ट्र, धेनु माॅं गंगा।
है यही तुम्हारा धर्म, रहे मन चंगा।।
शुभता उर में रख तात, मातु हित करना।
 जीवन में हो आनन्द, स्वाद फिर चखना।।2।।

धारण करिए निज धर्म ,सत्य यह जानो।
 करता रक्षित है धर्म,मर्म यह मानो।।
निज मन- वाणी- कर्म,पीर मत देना।
प्राणि-मात्र के सब व्याधि, कष्ट हर लेना।।3।।

तब कृपा करें श्री नाथ,सत्य यह गाथा।
अपनाओ जीवन सार, झुका कर माथा।।
जो अपने ही हैं कर्म, भोगना पड़ता।
पाकर ज्ञानी से ज्ञान,कहो क्यों अड़ता।।4।।

मोहक -मायामय जग मिथ्या, सन्त जन कहते।
 जो चले राह विपरीत, सकल दुख सहते।।
जग सुन्दर रुचिर वितान,रचे यह माया।
जब आधि-व्याधि तब साथ, नहीं निज साया।।5।।

जग में देते तब साथ, कर्म जो अपने।
शुभ -अशुभ सभी हैं भुक्त,शेष सब सपने।।
सन्त सयाने सच बात, यही बतलाते।
जग में जीवन का मर्म, सदा सिखलाते।।6।।

जपिए हरि सुन्दर नाम, सदा मधु घोलें।
हिय अंतस जगे उमंग,पाप सब धो लें।।
प्रभु करते हैं नित दूर, भक्त-जन बाधा।
उर आनिए निज तोष,सोच क्यों आधा।।7।।

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #मानवता  भक्ति भजन भक्ति सागर

BANDHETIYA OFFICIAL

#GoodMorning #धार याद में है।

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White चकल्लस, चॉकलेटी कुछ,
मुंह से नाम पे तेरे लपके,
रस ही याद से तेरी टपके,
बस इक फासले सारा अटके,
तेरा तसव्वुर, तस्वीर तेरी अंचार,
जबां से धार गजब की लार।

©BANDHETIYA OFFICIAL
  #GoodMorning #धार याद में है।

Shailendra Anand

देशभक्ति और देश संविधान में न्याय में देश में अवाम में खुशहाली आती है भक्ति भाव से पुजा करने वाले अच्छे लगते देश भक्ति में संनिहित है वि

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रचना दिनांक 25 जनवरी दोहजार पच्चीस
वार शनिवार
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ्
््निज विचार ्
््शीर्षक ्
।््तेरी रुहानी रुह में अल्फाज़ नगीना लिखने वाले अच्छे ख्यालात की इबादत है,,
 संविधान में न्याय पाओ मर्यादा में रहो यही सही समय की मर्यादा और प्रतिष्ठा सौगात दी गई है।।
राजनीति और धर्मांन्धता और अर्थ व्यवस्था में सुधार समरसता बहुत जरूरी है ््
पच्चीस   जनवरी  दोहजार   पच्चीस
अंक शास्त्र में 25बराबर25तारीख और साल में एक समान है।
 श्रुति स्मृति चिन्ह प्रदान देश में,
 अवाम में खुशहाली में एक विधान संविधान का आलेख सुलेखा की पूर्व संध्या पर ,
हम दिलों से पूजा करें जनसेवा ही मानव सेवा है जिसे हम गणतंत्र दिवस कहते हैं,।।
माना कि तुम मेरे लिखे शब्दों से सहमति असहमति जताते हुए ,
जनस्वीकारोक्ति निस्वार्थ भाव को नहीं नकार सकते हो।।
यही उत्तेजना यन्त्र तंत्र को मजबूत करने वाले,
 संविधान विशेषज्ञ दल में शामिल समन्वय समिति द्वारा स्थापित विचार संगोष्ठी में,
 आन्तरिक रूप से एक अन्तिरम निम्नांकित विषय वस्तु धारा नियमावली पर
 आपसी सहमति बहस में 
विचारों का आदान प्रदान करने वाली अग्नि परीक्षा स्वलेखक और सहयोगीयो में,
 एक सम निदान हेतु सेतुबंध में कुछ मन का अन्तर्द्वंद से सजाया गया जिसे हम 
अनुसरण करें अंनत आख्यान संहिता दर्शन शास्त्र ज्ञान दर्शन है।।
। तथ्यों पर विचार प्रवाह में बह निकले ध्वनि तरंगों में एक गाढे खून पसीने की पीड़ा हो,
 किसी धनवान का आयना नज़रिया जो भी व्यक्ति पहले इन्सान नागरिक हैं ।।
तदपश्यात प्रृथ्वीतले परिभ़मणं लोककल्याणं नरलीला में,
 जाति, धर्म, भाषा, सम्बन्धी कहावतें से पूजा करने वाले हो सकते है।।
जो इन्सान आज अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर रहा है,
 वह उस समय की मर्यादा काल्पनिक दशा का आख्यान व्याख्यान कर रहा हूं।
यह जग मग माया मोह ््मद से जलरंहा रहा है,,
और यह सुखद अहसास दिया गया जिसे हम देश का संविधान कहते हैं।।
यह आज का दर्शन मैं शैलेंद्र आनंद जो देख सकता हूं ,,
वह अदभुत झलकियां हकीकत में रचती बसती है ।
दीप्ति नवल किशोर मेरे दिल में दीपक कलश स्वस्तिक कुंभ राशि में 
पच्चीस जनवरी दोहजार पच्चीस की सुबह स्वागत में ,,
सुंदरता को परखना तन मन को निखारना स्वयं को पढ़कर अभ्यास से 
मन को लिखने वाले आत्ममंथन को आनंद कहते हैं।।
््कवि शैलेंद्र आनंद ्
25 जनवरी। 2025

©Shailendra Anand देशभक्ति और देश संविधान में न्याय में देश में अवाम में खुशहाली आती है  भक्ति  भाव से पुजा करने वाले अच्छे लगते 
 देश भक्ति में संनिहित है वि

Kiran Chaudhary

कश्मकश में है जिंदगी..

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White कश्मकश में है जिंदगी,
जीत से दामन छूटा-छूटा सा है,
और हार मुझे मंजूर नहीं।।

©Kiran Chaudhary कश्मकश में है जिंदगी..

F M POETRY

#चाँद बादल में है....

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White मैं तो हैरत में हूँ किसको देखूँ..


चाँद बादल में है छत पर भी है..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #चाँद बादल में है....

meri_lekhni_12

मानवता का पाठ 👍

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset समानता का ख़्वाब अब भी दिल में बसा है,
हर इंसान को मानवता का पाठ पढ़ाया जाए।

धन-दौलत से नहीं, प्रेम से ग़म मिटाना है,
हर ग़रीब को  जीने का हक़ दिलाया जाए।

अधिकार सबका सामान हो, कोई न  यहाँ तुच्छ हो,
ऊंच नीच जाति पांति का भेद मिटाया जाए।

शोषण और अत्याचार का रास्ता अब बंद हो,
हर ज़ुल्म से लड़कर, नफ़रत को सुलझाया जाए।

बच्चों मे संस्कार हो ,  बुजुर्गों का आदर बढ़े, 
शांति अमन मदद प्यार  हर जगह फैलाया जाए।

ज्यादा नहीं है बस एक कदम हमारी तरफ़ से,
खुद को सुधारने का, यह नज़रिया अपनाया जाए।

अब न कोई भूखा रहे, न कोई अकेला हो,
सभी का एकजुट साथ हो, एक ऐसा समाज बनाए जाए।

किसी की थाली मे ना परोसी गयी मौत हो,
हर जीव से प्रेम कर, हर जीव को बचाया जाये।
(मानवता सर्वोपरि )

स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित 
पूनम सिंह भदौरिया 
#poonam_singh_bhadauria 
#humanity 
#HumanityFirst 
#stopanimalcruelty

©meri_lekhni_12 मानवता का पाठ 👍

Nurul Shabd

Shashi Bhushan Mishra

#दीप जलता है सदन में#

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दीप जलता है सदन में,
अंधेरा है व्याप्त मन में,

चलाता है श्वास सबका,
वही रक्षक  है  भुवन में,

प्रेम और विश्वास से ही,
प्रकट होते  ईश क्षण में,

कर रहे  गुणगान  सारे,
धरा से लेकर  गगन में,

सिंधु से जलश्रोत लेता,
वही भरता नीर घन में,

जागता है साथ हरपल,
साथ रहता है  सयन में,

हृदय में है व्याप्त गुंजन,
बसा ले उसको नयन में,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #दीप जलता है सदन में#
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