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~Bhavi
सिर्फ एक दिन और शेष जिंदगी की एक नई 365 पेज वाली सफेद पन्नो वाली कॉपी खुलने में जिसमें हम सब पुनः 2023 का एक नया अध्याय शुरू करेगें। जिसमें न जाने कितने लोग साथी बने। कितने अच्छे और बुरे दिन होंगें। हम सब एक बार पुनः जीने की एक प्रक्रिया का शुभारंभ करेगें।और हम सब नववर्ष के उत्सव, हर्षोंउल्लास के साथ नये वर्ष में प्रवेश करेगें। इसी के साथ शुरू होगी एक नये संघर्ष की कहानी हम सब की जुबानी। और धन्यवाद करेगें उस परमपिता परमेश्वर का जिसने हमें इस नव वर्ष में आने का सौभाग्य दिया।। #New year 2023 # एक दिन शेष ✍2022 #bhavi ki कलम से ✍✍ ©bhawna gupta सिर्फ एक दिन और शेष जिंदगी की एक नई 365 पेज वाली सफेद पन्नो वाली कॉपी खुलने में जिसमें हम सब पुनः 2023 का एक नया अध्याय शुरू करेगें। जिसमें
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 परिष्कृत दृष्टिकोण का नाम ही स्वर्ग है , किसी स्थान विशेष का नाम नहीं , वह तो मनुष्य के सोचने , देखने और करने की उत्कृष्टता मिश्रित प्रक्रिया मात्र है !.i. j ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 परिष्कृत दृष्टिकोण का नाम ही स्वर्ग है , किसी स्थान विशेष का नाम नहीं , वह तो मनुष्य के सोचने , देखने और करने की उत्कृष्टता मि
Sudha Tripathi
न्यायोचित निर्णय तक पहुंचने के लिए कई बार न तो न्यायालय की जरूरत होती है, न ही न्यायाधीश की। आत्म निरीक्षण की प्रक्रिया अगर ईमानदारी से निभाई जाए तो अपनी अंतरात्मा से बढ़कर कोई न्यायाधीश नहीं न तो किसीको दिखाने की जरूरत है न ही समझाने की..... ©Sudha Tripathi न्यायोचित निर्णय तक पहुंचने के लिए कई बार न तो न्यायालय की जरूरत होती है, न ही न्यायाधीश की। आत्म निरीक्षण की प्रक्रिया अगर इमानदारी स
Abhinav jain
Jiyalal Meena ( Official )
Lovely Spreet Sushmita
Pushpendra Pankaj
= पुष्पवर्षा = ----------------------------------------- आज का पथभ्रष्ट , कल का सज्जन भी सकता है । क्योंकि नेकियां वो डिटर्जेंट हैं जो, दागदार दामन को भी निखार देती हैं ।। सुधार एक सतत प्रक्रिया है, जिसे आप कभी भी प्रारंभ कर सकते हैं ।।। ©Pushpendra Pankaj #Nightlight सुधार एक सतत प्रक्रिया है
Jiyalal Meena ( Official )
GRHC~TECH~TRICKS
**** ज्ञान **** ज्ञान की पुर्ण परिभाषा देने वाले आपको अनेक प्रमाण मिलेगे। वास्तविक में ज्ञान क्या है ? क्या स्वरूप इसका ? (जानिए) हमारा मस्तिष्क एक आकाशगंगा है । इसका सम्बन्ध शरीर रूपी पात्र के हद्रय रुपी सागर की तरंग (विचार) रुप में बदल जाती इनसे है। यही मुख के द्वारा निकलनें से ज्ञान की परिभाषा में बदल जाती है। और यही सामने वाले के हद्रय के तरंग से तरंग (विचार से विचार) मिलने की प्रक्रिया ही एक ज्ञान है। ज्ञान का अब तक पुर्ण विकसित विकास किसी को नहीं हुआ है। चाहे भगवान के अवतार भी क्यूं ना हुआं हो। सभी का जन्म लेने के कुछ -कुछ कारण थे। अब तक जितने भगवान अवतार हुएं है उनको भी नहीं है? क्योंकि प्रकृति के प्रमाण से प्रमाण पर लिख रहा हूं ये सब। मार्ग दर्शन करने आते हैं हमाराऔर धर्म स्थापित करके चले जाते हैं। श्री गीता जी भी इसी का एक प्रमाण है, जो ज्ञान से ज्ञान प्राप्त होता है। उसको ही इस ज्ञान स्वरूप कहा जाता है। संसार में वह कोई और नहीं होता। आपके ह्रदय में खुद भगवान होता है। जो आपके मुख पर ज्ञान यज्ञ से प्रभावित होकर प्रसन्नता होती है। वह उन्हीं के द्वारा प्रदान की हुईं किया हुआ अलौकिक उपहार होता है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #treanding #reading #Tea Rahul ƈɦɛȶռǟ ƈօօʟ (Y̴a̴a̴r̴a̴) vishwadeepak Nikita vandna Create By Heart Rahul ƈɦɛȶռǟ ƈօօ